score Card

भारतीय अर्थव्यवस्था ने भरी हुंकार, GDP में रिकॉर्ड तोड़ वृद्धि...8.2 की तेज रफ्तार से बढ़ी इकोनॉमी

भारत की अर्थव्यवस्था जुलाई-सितंबर तिमाही में 8.2% की तेज वृद्धि दर्ज कर रही है, जो पिछली छह तिमाहियों में सबसे उच्च है. उपभोक्ता खर्च और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में मजबूती ने जीडीपी को बढ़ाया, जबकि सर्विस सेक्टर में 9.2% और प्रोफेशनल सेवाओं में 10.2% वृद्धि हुई.

Utsav Singh
Edited By: Utsav Singh

नई दिल्ली : भारत की अर्थव्यवस्था इस समय ऐतिहासिक गति से आगे बढ़ रही है. जुलाई-सितंबर तिमाही (Q2) में जीडीपी 8.2% की मजबूती के साथ बढ़ी है, जो विशेषज्ञों के पूर्वानुमानों से कहीं अधिक है. यह वृद्धि पिछले 18 महीनों यानी पिछली छह तिमाहियों में सबसे उच्च दर है. पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही में जीडीपी केवल 5.6% की दर से बढ़ी थी, जबकि अप्रैल-जून तिमाही (Q1) में 7.8% की वृद्धि दर्ज की गई थी. यह आंकड़ा यह स्पष्ट करता है कि भारत की अर्थव्यवस्था वर्तमान में स्थिर और तेज़ रफ्तार पर है.

उपभोक्ता खर्च और मैन्युफैक्चरिंग का योगदान

आपको बता दें कि इस तिमाही की शानदार वृद्धि में उपभोक्ता खर्च और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की भूमिका अहम रही है. घरेलू मांग में बढ़ोतरी और उत्पादन क्षेत्र में उच्च प्रदर्शन के कारण जीडीपी ने 8% की सीमा को पार किया. सितंबर तिमाही में सर्विस सेक्टर ने 9.2% की वृद्धि दर्ज की, जबकि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में 9.1% की वृद्धि देखी गई. इसके अलावा, वित्तीय सेवाओं, रियल एस्टेट और प्रोफेशनल सर्विस सेक्टर ने 10.2% की बढ़ोतरी कर अर्थव्यवस्था में मजबूती प्रदान की. यह संकेत करता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था न केवल उत्पादन और सेवाओं में संतुलन बनाए हुए है बल्कि निजी उपभोक्ता और व्यावसायिक निवेश में भी तेजी आई है.

GST कटौती का सीमित प्रभाव
सितंबर तिमाही के जीडीपी आंकड़ों में जीएसटी कटौती का केवल मामूली प्रभाव देखा गया. दरअसल, जीएसटी दरों में कटौती 22 सितंबर से लागू हुई थी, इसलिए इसका व्यापक असर दिसंबर तिमाही में देखने को मिलेगा. विशेषज्ञों का मानना है कि इस कटौती के बाद आर्थिक गतिविधियों में सकारात्मक प्रभाव धीरे-धीरे दिखाई देगा और अगले तिमाहियों में उपभोक्ता खर्च और उत्पादन में और तेजी आ सकती है.

राजकोषीय घाटे में बढ़ोतरी
चालू वित्त वर्ष के पहले सात महीनों यानी अप्रैल से अक्टूबर तक भारत का राजकोषीय घाटा बढ़कर 8.25 लाख करोड़ रुपये हो गया है. यह वार्षिक अनुमान का 52.6% है, जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में यह केवल 46.5% था. सरकार का लक्ष्य इस वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 4.8% से घटाकर 4.4% पर लाना है. विशेषज्ञों का मानना है कि राजकोषीय घाटे में यह वृद्धि आर्थिक विकास और सरकारी व्यय के बीच संतुलन की चुनौती को स्पष्ट करती है.

भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत आधार पर...
कुल मिलाकर भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत आधार पर बढ़ रही है. उपभोक्ता खर्च, मैन्युफैक्चरिंग और सेवा क्षेत्र की वृद्धि के कारण जीडीपी में लगातार उछाल दिखाई दे रहा है. जीएसटी कटौती का सीमित असर सितंबर तिमाही में दिखाई दे रहा है, लेकिन भविष्य में इसके सकारात्मक परिणाम आने की संभावना है. राजकोषीय घाटे में वृद्धि के बावजूद, सरकार की नीतियां आर्थिक स्थिरता और विकास को बनाए रखने की दिशा में प्रभावी प्रतीत होती हैं.

calender
28 November 2025, 05:19 PM IST

जरूरी खबरें

ट्रेंडिंग गैलरी

ट्रेंडिंग वीडियो

close alt tag