अमेरिका पर जवाबी टैरिफ? 'जैसे को तैसा' की मांग के बीच व्यापार संगठन ने पीएम मोदी को लिखी चिट्ठी
अमेरिका द्वारा भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ बढ़ाने से भारतीय निर्यातकों पर संकट गहराया है. सीटीआई और सांसद शशि थरूर ने जवाबी टैरिफ की मांग की है. गोयल ने सरकार से वैकल्पिक बाज़ार तलाशने और रणनीतिक कदम उठाने की सलाह दी है, क्योंकि इससे करोड़ों का व्यापार और लाखों नौकरियां प्रभावित हो सकती हैं.

India US trade war: अमेरिका द्वारा भारत से आयातित वस्तुओं पर भारी टैरिफ लागू करने के फैसले से भारत के व्यापारिक हलकों में चिंता की लहर दौड़ गई है. चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (CTI) के अध्यक्ष बृजेश गोयल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर इस पर कड़ी प्रतिक्रिया और रणनीतिक कदम उठाने की अपील की है. उन्होंने अमेरिका से आयातित वस्तुओं पर जवाबी शुल्क लगाने की सिफारिश की है ताकि भारतीय व्यवसायों को बचाया जा सके.
टैरिफ बढ़ोतरी से बढ़ेगी लागत
गोयल ने अपने पत्र में बताया कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पहले ही 25% टैरिफ की घोषणा की थी, जिसे अब 50% करने का प्रस्ताव रखा गया है. यह बढ़ोतरी 27 अगस्त से प्रभावी होगी. उन्होंने कहा कि यह अचानक किया गया निर्णय भारतीय निर्यातकों के लिए भारी असमंजस की स्थिति पैदा कर रहा है, खासकर उनके लिए जिनके ऑर्डर पहले से भेजे जा चुके हैं या रास्ते में हैं.
भारतीय वस्तुओं की प्रतिस्पर्धा पर असर
भारत से अमेरिका को निर्यात किए जाने वाले प्रमुख उत्पाद जैसे स्टील, मशीनरी, ऑटो पार्ट्स, रत्न और आभूषण, कपड़ा और इलेक्ट्रॉनिक्स अब टैरिफ के कारण महंगे हो जाएंगे. उदाहरण के लिए, जो वस्तु पहले $100 की थी, वह अब $125 की हो जाएगी. इससे भारत के उत्पाद अमेरिकी बाज़ार में महंगे हो जाएंगे और अन्य प्रतिस्पर्धी देशों जैसे वियतनाम, बांग्लादेश और चीन को फायदा मिलेगा.
कई उद्योगों को होगा भारी नुकसान
रत्न एवं आभूषण उद्योग अब ज्यादा शुल्क के चलते संकट में आ गया है. इसी तरह कपड़ा और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग, विशेष रूप से स्मार्टफोन सेक्टर भी महंगे टैरिफ के कारण नुकसान की कगार पर हैं. दवा उद्योग भी सुरक्षित नहीं है, क्योंकि भारत से अमेरिका को ज़ीरो टैरिफ पर भेजी गई ₹92,000 करोड़ की दवाइयां अब महंगी हो जाएंगी, जिससे प्रतिस्पर्धा कमजोर हो सकती है.
नौकरियों पर संकट
गोयल ने चेताया कि यह सिर्फ आर्थिक नुकसान नहीं, बल्कि लाखों नौकरियों का सवाल है. भारत की हजारों कंपनियां अमेरिका को निर्यात करती हैं और भारी टैरिफ के चलते उनका कारोबार प्रभावित हो सकता है.
वैकल्पिक बाज़ार की सलाह
सीटीआई ने सरकार से आग्रह किया कि भारत को जर्मनी, ब्रिटेन, सिंगापुर और मलेशिया जैसे देशों में नए बाज़ार तलाशने चाहिए. इसके अलावा, अमेरिकी उत्पादों पर भारत की निर्भरता भी घटाई जानी चाहिए.
शशि थरूर का तीखा बयान
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भी मांग की कि अगर वार्ता विफल होती है, तो भारत को भी अमेरिकी आयात पर 50% टैरिफ लगाना चाहिए. उन्होंने कहा कि किसी भी देश को भारत को धमकाने की इजाज़त नहीं दी जा सकती.


