Sensex में 640 तो Nifty में...19 घंटे में 6 लाख करोड़ का नुकसान, जानें कौन पलट रहा शेयर बाजार की बाजी
शेयर बाजार में लगातार गिरावट देखने को मिली है, जिसमें सेंसेक्स 750 और निफ्टी 271 अंकों से लुढ़का. विदेशी निवेशकों की बिकवाली, वैश्विक मार्केट की कमजोरी, भारत-अमेरिका ट्रेड डील की अनिश्चितता और आर्थिक आंकड़ों की अस्थिरता प्रमुख कारण हैं.

नई दिल्ली : देश के प्रमुख शेयर सूचकांक सेंसेक्स और निफ्टी में लगातार तीसरे दिन गिरावट देखने को मिली है. तीन दिनों के कारोबारी सत्रों में कुल लगभग 19 घंटे के दौरान शेयर बाजार को भारी नुकसान झेलना पड़ा. आंकड़ों के अनुसार, सेंसेक्स में तीन दिनों में 750 अंकों से अधिक की गिरावट दर्ज की गई, जबकि निफ्टी 271 अंकों तक लुढ़क गया. शुक्रवार को सेंसेक्स ने 640 अंकों की गिरावट दर्ज की, और निफ्टी में 191 अंकों से अधिक की कमी देखी गई. हालांकि, दोनों सूचकांक कारोबारी सत्र के दौरान कुछ हद तक रिकवर हुए, लेकिन हरे निशान में बंद नहीं हो सके. इन तीन दिनों में निवेशकों को कुल मिलाकर लगभग 6 लाख करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ा.
विदेशी निवेशकों और वैश्विक मार्केट का असर
इकोनॉमिक इंडिकेटर्स और बाजार की अस्थिरता
हालिया इकोनॉमिक आंकड़े भी शेयर बाजार को समर्थन नहीं दे रहे हैं. चालू वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 7.8% की वृद्धि दर के साथ बढ़ा, जबकि नॉमिनल जीडीपी की वृद्धि दर घटकर 8.8% रह गई. अगस्त में सर्विस सेक्टर की गतिविधियाँ 5 महीने के निचले स्तर पर पहुंच गईं. ये संकेत बाजार में अनिश्चितता और निवेशकों के सतर्क रवैये को दर्शाते हैं.
भारत-अमेरिका ट्रेड डील और अनिश्चितता
भारत और अमेरिका के बीच संभावित व्यापार समझौते को लेकर अनिश्चितता भी निवेशकों की चिंता का कारण बनी हुई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच सौहार्दपूर्ण संबंध होने के बावजूद, व्यापार समझौते के अंतिम रूप न होने से बाजार में अस्थिरता बनी हुई है.
तकनीकी और कमोडिटी सेक्टर की भूमिका
वैश्विक स्तर पर इस साल तेजी मुख्य रूप से तकनीकी और कमोडिटी कंपनियों के कारण रही है. एआई टेक्नोलॉजी को लेकर निवेशकों में आशावाद बढ़ा, लेकिन भारत में इन सेक्टरों में मजबूत कंपनियों की कमी ने बाजार की प्रदर्शन क्षमता को सीमित किया है. तीन दिनों की लगातार गिरावट से पता चलता है कि विदेशी निवेशकों की बिकवाली, वैश्विक बाजार की कमजोरी, आर्थिक आंकड़ों की अस्थिरता और भारत-अमेरिका व्यापार समझौते की अनिश्चितता मिलकर भारतीय शेयर बाजार में दबाव बना रही हैं. निवेशकों के लिए सावधानी और रणनीतिक निर्णय अब पहले से अधिक जरूरी हो गए हैं.


