छह साल बाद आज होगी डोनाल्ड ट्रंप और शी जिनपिंग की मीटिंग, व्यापारिक तनाव के बीच बेहद अहम है यह वार्ता
ट्रंप और शी जिनपिंग की छह साल बाद बुसान में मुलाकात अमेरिका-चीन संबंधों को स्थिर करने की दिशा में अहम मानी जा रही है. व्यापार युद्ध, टैरिफ, फेंटेनाइल और टिकटॉक जैसे मुद्दे एजेंडे में हैं. दोनों देश पारस्परिक समझौते और आर्थिक सहयोग बढ़ाने के लिए आशावादी दिख रहे हैं.

नई दिल्लीः छह वर्षों के लंबे अंतराल के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग गुरुवार को दक्षिण कोरिया के बुसान में आयोजित एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (APEC) शिखर सम्मेलन के दौरान मिलने वाले हैं. यह बैठक ऐसे समय पर हो रही है जब दोनों देशों के बीच व्यापारिक तनाव, तकनीकी प्रतिस्पर्धा और वैश्विक आर्थिक अस्थिरता बढ़ती जा रही है.
दोनों नेताओं की पिछली आमने-सामने बातचीत ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान हुई थी. इस बार का उद्देश्य पुराने मतभेदों को कम करना और व्यापारिक संबंधों को फिर से पटरी पर लाना है. अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक, वाशिंगटन स्थिर संबंधों के लिए एक ठोस ढांचा” तैयार करने की दिशा में काम कर रहा है.
वर्षों की तैयारी के बाद आई यह वार्ता
इस मुलाकात की नींव कई महीनों की बातचीत के बाद रखी गई है. अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने बताया कि दोनों देश दुर्लभ मृदा खनिजों के निर्यात पर चीन द्वारा लगाए गए संभावित प्रतिबंधों से बचने की कोशिश कर रहे हैं, जो वैश्विक उद्योगों को प्रभावित कर सकते हैं. बदले में, चीन अमेरिकी सोयाबीन की खरीद फिर से शुरू कर सकता है, जो अमेरिकी किसानों के लिए एक सकारात्मक संकेत माना जा रहा है.
व्यापार युद्ध का फिर उभरना
हाल ही में अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध फिर से तेज हो गया है. बीजिंग ने उच्च तकनीकी उत्पादों और रक्षा से जुड़े रेयर अर्थ मिनरल्स के निर्यात पर कड़े प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव दिया. इसके जवाब में ट्रंप प्रशासन ने चीनी निर्यात पर 100% टैरिफ लगाने की धमकी दी. अर्थशास्त्रियों का कहना है कि ऐसे कदम वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकते हैं.
हालांकि सख्त बयानबाजी के बीच ट्रंप ने संकेत दिया है कि यदि चीन फेंटेनाइल से जुड़ी दवाओं के निर्माण में उपयोग होने वाले रसायनों पर अंकुश लगाता है, तो अमेरिका टैरिफ कम करने पर विचार कर सकता है. फेंटेनाइल एक सिंथेटिक ओपिओइड है, जो अमेरिका में ओवरडोज संकट का बड़ा कारण बन चुका है.
नए समझौते की संभावनाएं
टैरिफ और व्यापारिक तनाव के अलावा, दोनों नेताओं की बातचीत में टिकटॉक जैसे डिजिटल मुद्दे भी चर्चा में रह सकते हैं. अमेरिका ने इस ऐप के संचालन को लेकर सख्त रुख अपनाया है और मांग की है कि इसकी मूल कंपनी अपने अमेरिकी संचालन को बेच दे. ट्रंप ने इशारा किया कि इस विषय पर कोई अंतिम निर्णय सीधे शी जिनपिंग के साथ वार्ता में लिया जा सकता है.
व्हाइट हाउस ने यह भी कहा है कि यह बैठक दोनों देशों के बीच नए संवादों की श्रृंखला की शुरुआत हो सकती है, जिसमें भविष्य में पारस्परिक यात्राएं और नियमित वार्ताएं शामिल होंगी.
समय के साथ बढ़ती कूटनीतिक तात्कालिकता
कई पुराने व्यापारिक और टैरिफ समझौते 10 नवंबर को समाप्त हो रहे हैं, जिससे इस बातचीत का महत्व और बढ़ गया है. पहले हुए समझौतों के तहत अमेरिका ने अपने जवाबी टैरिफ को लगभग 55% तक घटाया था, जबकि चीन ने अपने निर्यात शुल्क को 10% तक कम किया था. अब बीजिंग अमेरिकी तकनीक पर लगे निर्यात नियंत्रणों और बंदरगाह शुल्कों में रियायत की उम्मीद कर रहा है.
एशिया यात्रा और क्षेत्रीय तनाव
बुसान शिखर सम्मेलन ट्रंप की पांच दिवसीय एशियाई यात्रा का अंतिम पड़ाव है. इस दौरान उन्होंने जापान और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के साथ ऐसे समझौते किए जिनका उद्देश्य चीन पर निर्भरता घटाना और दुर्लभ खनिजों की आपूर्ति श्रृंखला को विविध बनाना है. हालांकि, क्षेत्रीय तनाव अब भी गहराते जा रहे हैं. ताइवान को लेकर विवाद, चीन की सैन्य गतिविधियां और अमेरिका की सुरक्षा प्रतिबद्धताएं इस पृष्ठभूमि में नई जटिलताएं जोड़ रही हैं.
बीजिंग का नरम रुख
बैठक से पहले चीन ने संवाद के लिए सकारात्मक संकेत दिए हैं. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने कहा कि बीजिंग “सकारात्मक और रचनात्मक परिणामों” के लिए अमेरिका के साथ मिलकर काम करने को तैयार है.


