जिस ड्रोन से आस्ट्रेलिया ने लादेन का खोजा, भारत ने खरीदा वहीं ड्रोन, 32,000 करोड़ का हुआ समझौता
MQ-9B Predator Drones: भारत ने 15 अक्टूबर को अमेरिका से 31 एमक्यू-9बी प्रीडेटर ड्रोन खरीदने और उनके लिए भारत में रखरखाव केंद्र स्थापित करने के लिए 32,000 करोड़ रुपए की डील फाइनल की है। इस समझौते से भारत की तीनों सेनाओं की निगरानी क्षमता में वृद्धि होगी.

MQ-9B Predator Drones: भारत ने मंगलवार 15 अक्टूबर को अमेरिका के साथ 31 एमक्यू-9बी प्रीडेटर ड्रोन खरीदने और उनके लिए भारत में एमआरओ सेंटर स्थापित करने के लिए डील फाइनल कर ली है. भारत और अमेरिका के बीच हुए इस समझोते की लागत 32 हजार करोड़ रुपए है.
इस डील के बाद भारत की तीनों सेनाओं की निगरानी की क्षमता बढ़ने वाली है. यह समझौता दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग में एक महत्वपूर्ण कदम है. इसे इस महीने की शुरुआत में भारत की सुरक्षा पर कैबिनेट समिति द्वारा स्वीकृति मिली थी. इस प्रस्तावित बिक्री को पिछले साल प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान उजागर किया गया था.
31 एमक्यू-9बी प्रीडेटर ड्रोन खरीद रहा है भारत
रिपोर्टों के मुताबिक, भारतीय नौसेना को 'सीगार्डियन' वेरिएंट की 15 यूनिट्स मिलने की उम्मीद है, जबकि सेना और वायु सेना दोनों को आठ-आठ 'स्काईगार्डियन' ड्रोन दिए जाएंगे. इस लेनदेन की कुल लागत $3.5 बिलियन से कम होने का अनुमान है. ड्रोन की आपूर्ति विदेशी सैन्य बिक्री अनुबंध के तहत जनरल एटॉमिक्स एयरोनॉटिकल सिस्टम्स (जीए-एएसआई) द्वारा की जाएगी.
2,155 किलो तक उठा सकता है भार
एमक्यू-9बी प्रीडेटर ड्रोन, एमक्यू-9 'रीपर' का एक वेरिएंट है, जिसे हाई- एल्टीट्यूड, लंबे समय तक सहन करने वाले मानव रहित हवाई वाहन (यूएवी) के रूप में वर्गीकृत किया गया है. यह 40,000 फीट से अधिक की ऊंचाई पर 40 घंटे तक हवा में रहने की क्षमता रखता है. इसकी बाहरी भार क्षमता 2,155 किलोग्राम है.
ऑटोमेटिक टेक-ऑफ और लैंडिंग के लिए किया गया है डिजाइन
अपनी एडवांस निगरानी क्षमताओं के अलावा, एमक्यू-9बी सटीक हमला करने वाली मिसाइलों से लैस है, जो इसे हाई एक्यूरेसी के साथ लक्ष्य पर हमला करने में सक्षम बनाता है. ड्रोन को ऑटोमेटिक टेक-ऑफ और लैंडिंग के लिए डिजाइन किया गया है, जो नागरिक हवाई क्षेत्र में सुरक्षित रूप से एकीकृत होता है.
विभिन्न अभियानों के लिए उपयुक्त
एमक्यू-9बी की क्षमताएं इसे विभिन्न अभियानों के लिए विशेष रूप से उपयुक्त बनाती हैं, जिनमें भूमि और समुद्री निगरानी, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध, पनडुब्बी रोधी और सतह रोधी संचालन और विशिष्ट संकटों से निपटने के लिए मिशन शामिल हैं.


