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Operation Sindoor: चार दिन तक चली सैन्य कार्रवाई... लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने ऑपरेशन को लेकर किया चौंकाने वाला खुलासा

India Military Operation : पहलागाम आतंकी हमले के बाद भारत ने "ऑपरेशन सिंदूर" के तहत पाकिस्तान और पीओके में आतंकियों पर करारा जवाब दिया. चार दिन तक चले सैन्य संघर्ष में भारतीय नौसेना अरब सागर तक पहुँच गई थी. पाकिस्तान की अपील पर संघर्षविराम हुआ. अभियान में सौ से अधिक पाक सैनिक मारे गए. सेना ने चेतावनी दी है कि भविष्य में ऐसा हमला हुआ तो ऑपरेशन सिंदूर का अगला चरण और घातक होगा.

Utsav Singh
Edited By: Utsav Singh

India Military Operation : पहलागाम पर हुए आतंकवादी हमले के बाद भारतीय सशस्त्रबलों ने ऑपरेशन सिंदूर नामक अभियान चलाया, जिसके दौरान मई में कुछ दिनों तक तनावपूर्ण सैन्य झड़पें हुईं. अभियान का नेतृत्व करने वाले महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने बताया कि इन कुटिल घटनाओं के जवाब में सेना ने सीमाओं पर सक्रिय कार्रवाई की और भारतीय नौसेना तक अरब सागर में तैनात कर दी गई थी. उन्होंने कहा कि नौसेना कार्रवाई के लिए पूरी तरह तैयार थी और यदि विरोधी पक्ष ने नरमी नहीं दिखाई होती तो समुद्री और अन्य तबकों से और कड़े हमले किए जा सकते थे.

नौसेना ने धाराप्रवाह तैयारी दिखाई

बता दें कि लेफ्टिनेंट जनरल घई ने संयुक्त राष्ट्र के एक सैन्य समागम में बताया कि अरब सागर में नौसेना की तैनाती और डिफेन्स तैयारियों का उद्देश्य विरोधी को निर्णायक हानि पहुंचाना था. उन्होंने यह भी दावा किया कि अभियान के दौरान पाकिस्तानी सुरक्षाबलों को भारी क्षति हुई और सैकड़ों जवानों के मारे जाने की सूचना है यह आंकड़ा उन्होंने ऑपरेशन के कथित प्रभाव के तौर पर प्रस्तुत किया. घई ने कहा कि डीजीएमओ स्तर पर बातचीत के बाद ही संघर्षविराम पर सहमति बनी, वरना परिणाम और विनाशकारी होते.

जमीनी लक्ष्यों का चयन और इंटर-एजेंसी समन्वय
घाई ने बताया कि अप्रैल के अंत से मई की ओर तक (22 अप्रैल से 6-7 मई के बीच) कई निशानेबाजी और लक्ष्यों पर अभियान हुए. लक्ष्यों के अंतिम चयन के समय सेना ने विभिन्न रूप से जाँचे गए विकल्पों में से प्राथमिकतानुसार निशाने चुने. इस दौरान कई सरकारी विभाग और सुरक्षा एजेंसियाँ एक साथ समन्वय कर रही थीं तथा सूचना और मनोवैज्ञानिक अभियान भी सक्रिय रहे, ताकि विरोधी के संचालन को बाधित किया जा सके.


आतंकवाद को युद्ध की कार्रवाई मानने का दृष्टिकोण
घई ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ नीतिगत दृष्टिकोण में बदलाव आया है और प्रधानमंत्री के तीन बिंदुओं आतंकवादी हमलों का निर्णायक जवाब, परमाणु ब्लैकमेल के आगे न झुकने तथा आतंकवादियों और उनके प्रायोजकों को एक समान ठहराने को अब रणनीति का केंद्र बनाया गया है. दक्षिण और पश्चिमी कमान की तैयारियों का नेतृत्व कर रहे लेफ्टिनेंट जनरल मनोज कुमार कटियार ने भी कहा कि पाकिस्तान के पास पारंपरिक मुकाबले की क्षमता सीमित है, पर वह असमान तरीके से चोट पहुँचाने की नीति जारी रख सकता है. इसलिए ऑपरेशन सिंदूर का अगला चरण और भी प्रभावी व तीव्र होगा, उन्होंने आगाह किया.

संभावित प्रतिकार और भविष्य की चुनौतियां
लेफ्टिनेंट जनरल कटियार ने स्पष्ट किया कि पाकिस्तान ऐसे हमलों से बाज़ नहीं आएगा जब तक उसकी सोच में मूलभूत परिवर्तन नहीं आता; वह ‘हजार जख्मों से लहूलुहान करने’ जैसी नीति अपनाए रखने का प्रयास कर सकता है. इसलिए, यदि भविष्य में पहलगाम जैसे हमले की पुनरावृत्ति हुई तो सीमाओं के अलावा समुद्र और अन्य मोर्चों से भी और सख्त जवाब दिया जाएगा. उन्होंने आश्वस्त किया कि भारतीय सेनाएं पूरी तरह तैयार हैं और अगला चरण पहले से भी अधिक घातक हो सकता है.

कूटनीति-सेना का मिश्रित पठान और आगाहियां
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हुई कार्रवाइयाँ सुरक्षा बलों के निर्णायक रुख और तीव्र तैयारियों को दर्शाती हैं, वहीं डीजीएमओ स्तर की बातचीत ने संघर्षविराम की राह भी खोली. सैन्य नेतृत्व का संदेश स्पष्ट है: यदि प्रतिदेश आक्रामकता जारी रखेगा तो उसे तीव्र और व्यापक जवाब का सामना करना होगा. साथ ही यह स्पष्ट है कि भविष्य में किसी भी अप्रत्याशित घटनाक्रम से निपटने के लिए सेना, नौसेना और अन्य एजेंसियों के बीच समन्वय और तैयारी को और सशक्त बनाना होगा.

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14 October 2025, 11:28 PM IST

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