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दिहाड़ी मजदूर ने पास की NEET परीक्षा, मेहनत ने दिलाई सफलता... शुभम ने ऐसे क्रैक किया एग्जाम

ओडिशा के खुर्दा जिले के 19 वर्षीय शुभम सबर ने कठिन हालात और गरीबी के बावजूद NEET UG परीक्षा पास कर ली. बेंगलुरु में मजदूरी कर परिवार का सहारा बने शुभम ने मेहनत और धैर्य से डॉक्टर बनने का सपना पूरा करने की दिशा में कदम बढ़ाया. अब वे एमकेसीजी मेडिकल कॉलेज, ओडिशा में पढ़ाई कर रहे हैं. उनकी प्रेरणादायक कहानी संघर्ष और सफलता की मिसाल है.

Utsav Singh
Edited By: Utsav Singh

Shubham Sabar NEET Topper : ओडिशा के खुर्दा जिले के छोटे से गांव मुदुलिधिया के 19 वर्षीय शुभम सबर ने कठिन परिस्थितियों और आर्थिक तंगी के बावजूद वह कर दिखाया, जिसका सपना लाखों छात्र देखते हैं. बेहद साधारण परिवार से आने वाले शुभम ने अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए बेंगलुरु में दिहाड़ी मजदूरी तक की, लेकिन अपनी लगन और मेहनत से उन्होंने कभी हार नहीं मानी.

संघर्षों के बाद नीट परीक्षा में बड़ी उपलब्धि

लंबे संघर्षों के बाद शुभम ने NEET UG परीक्षा पास की और अब वह ओडिशा के एमकेसीजी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में डॉक्टर बनने की पढ़ाई कर रहे हैं. अनुसूचित जनजाति वर्ग में 18,212वीं रैंक हासिल करना उनके लिए एक बड़ी उपलब्धि रही. जब उनके शिक्षक बासुदेव मोहराणा ने एडमिशन कन्फर्मेशन की खबर दी, तो उनके परिवार में खुशी का माहौल छा गया.

मजदूरी कर कमाए 45,000 हजार रुपये 
शुभम बताते हैं कि जब वे बेंगलुरु में एक निर्माण स्थल पर मजदूरी कर रहे थे, तभी उन्हें शिक्षक का फोन आया कि उन्होंने NEET परीक्षा पास कर ली है. यह उनके जीवन का सबसे भावुक क्षण था. खुशी के आंसुओं के साथ उन्होंने तुरंत घर लौटने का निर्णय लिया. मजदूरी से उन्होंने लगभग 45,000 रुपये कमाए, जिनमें से 25,000 रुपये बचाकर शुरुआती दाखिला प्रक्रिया पूरी की.

माता-पिता को बेटे पर बेहद गर्व 
शुभम के माता-पिता अपने बेटे की इस सफलता से बेहद गर्वित हैं, लेकिन पांच साल के लंबे एमबीबीएस कोर्स की आर्थिक चुनौतियों को लेकर चिंतित भी. उनकी मां रंगी ने बताया कि शुभम बचपन से ही मेहनती और मेधावी रहा है. अब परिवार को उम्मीद है कि सरकार और समाज से उन्हें मदद मिलेगी, ताकि शुभम अपना सपना पूरा कर सके.

सपना डॉक्टर बनकर सेवा करने की...
शुभम का सपना पहले पुलिस अधिकारी बनने का था, लेकिन समय के साथ उनका रुझान डॉक्टर बनने की ओर मुड़ गया. अब उन्होंने ठान लिया है कि वह डॉक्टर बनकर ओडिशा के लोगों की सेवा करेंगे. मजदूरी से लेकर मेडिकल कॉलेज तक का उनका सफर इस बात का सबूत है कि सच्ची मेहनत, धैर्य और सही मार्गदर्शन से कोई भी कठिनाई पार की जा सकती है.

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01 September 2025, 07:53 AM IST

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