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Earthquake News: भूकंप के तेज झटकों से हिली धरती, अफगानिस्तान में 6.3 तीव्रता का भूकंप... दिल्ली- NCR तक महसूस हुए झटके

बीती रात अफगानिस्तान के नंगरहार प्रांत में आए 6.0 तीव्रता के भूकंप से दिल्ली-एनसीआर सहित उत्तरी भारत में तेज झटके महसूस किए गए. भूकंप से अफगानिस्तान में कम से कम 800 लोगों की मौत और 1000 से ज्यादा लोग घायल हुए. काबुल से राहत दल प्रभावित क्षेत्रों की ओर भेजे गए हैं. झटकों के बाद कई आफ्टरशॉक्स दर्ज किए गए, जिससे दहशत और बढ़ गई. USGS ने ऑरेंज अलर्ट जारी किया है.

Utsav Singh
Edited By: Utsav Singh

Afghanistan Earthquake 2025 : बीती रात जब अधिकतर लोग गहरी नींद में सो रहे थे, तभी अचानक राजधानी दिल्ली और आसपास के इलाकों में धरती तेज झटकों से कांप उठी. आधी रात को आए इन झटकों से लोग घबराकर घरों से बाहर निकल आए. भूकंप का केंद्र अफगानिस्तान के पूर्वी हिस्से में नंगरहार प्रांत रहा, जिसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 6.0 मापी गई. अमेरिकी जियोलॉजिकल सर्वे (USGS) के अनुसार, यह भूकंप जलालाबाद से करीब 27 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में और 8 किलोमीटर की गहराई में आया था. स्थानीय समयानुसार यह झटका रात 11:47 बजे महसूस किया गया.

800 लोगों की मौत, 1000 घायल
दरअसल, नंगरहार सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग के प्रवक्ता के अनुसार अब तक कम से कम 800 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और 1000 लोग घायल हुए हैं. भूकंप के तेज झटकों से लोग दहशत में अपने घरों और इमारतों से बाहर निकल आए. अफगानिस्तान के अलावा पाकिस्तान और भारत के उत्तरी हिस्सों, विशेषकर दिल्ली-एनसीआर में भी झटके महसूस किए गए. कई जगह इमारतें हिलने लगीं जिससे लोगों में घबराहट फैल गई.

गहरे भूकंपों की तुलना में अधिक खतरनाक

मुख्य भूकंप के बाद कई आफ्टरशॉक्स दर्ज किए गए. इनकी तीव्रता क्रमशः 4.7, 4.3, 5.0 और 5.0 रिक्टर पैमाने पर रही. वैज्ञानिकों के मुताबिक, ये सभी झटके या तो उथले (shallow) या मध्यम (intermediate) श्रेणी के थे. ऐसे भूकंप गहरे भूकंपों की तुलना में अधिक खतरनाक माने जाते हैं, क्योंकि इनके झटके सतह तक तेजी से पहुँचते हैं और जमीन पर ज्यादा तबाही मचाते हैं.

हिमालयी क्षेत्र में बढ़ता भूकंप का खतरा
पिछले कुछ वर्षों से अफगानिस्तान और उसके पड़ोसी हिमालयी क्षेत्रों में भूकंपीय गतिविधि तेजी से बढ़ रही है. यह ताजा हादसा एक बार फिर इस पूरे इलाके की नाज़ुक भौगोलिक स्थिति की याद दिलाता है. वैज्ञानिक बताते हैं कि भारतीय और यूरेशियाई टेक्टोनिक प्लेटों की धीमी लेकिन लगातार टक्कर इस पूरे क्षेत्र को अस्थिर बनाए हुए है. इन्हीं प्लेटों की टक्कर से लाखों साल पहले हिमालय का निर्माण हुआ था और आज भी यह प्रक्रिया जारी है.

बढ़ती आबादी और कमजोर ढांचे से खतरा दोगुना
विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि घनी आबादी वाले क्षेत्र, खराब निर्माण वाली इमारतें और भूकंप से निपटने की तैयारी की कमी, किसी भी बड़े झटके को तबाही में बदल सकती है. अफगानिस्तान और इसके पड़ोसी इलाकों में इस खतरे की आशंका और ज्यादा है क्योंकि यहां के पहाड़ी इलाके दरारों और फॉल्ट लाइनों से भरे हुए हैं.

जलवायु परिवर्तन ने बढ़ाई मुश्किलें
भूवैज्ञानिकों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन से भी हालात और जटिल हो गए हैं. अस्थिर मिट्टी, बदलते मौसम के पैटर्न और बढ़ती मानवीय गतिविधियाँ इस क्षेत्र की पहले से नाजुक भूगर्भीय संतुलन को और चुनौती दे रही हैं. ऐसे में लगातार निगरानी और बेहतर आपदा प्रबंधन की ज़रूरत पहले से कहीं अधिक बढ़ गई है.

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01 September 2025, 07:18 AM IST

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