दिलजीत की फिल्म 'पंजाब-95' भारत में नहीं होगी रिलीज, पढ़ें सेंसर बोर्ड ने क्यों लगाई रोक
1 जनवरी को उन्होंने दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। जब दिलजीत ने पीएम मोदी को बधाई दी तो पीएम ने भी सत श्री अकाल कहकर दोसांझ का स्वागत किया।

पंजाबी गायक दिलजीत दोसांझ की फिल्म 'पंजाब-95' भारत में रिलीज नहीं होगी। यह फिल्म सिख मानवाधिकार कार्यकर्ता जसवंत सिंह खालरा के जीवन पर आधारित है। खालरा ने 1980 और 1990 के दशक में पंजाब में सिखों पर हुए अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाई। केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड ने फिल्म में 120 कट्स की मांग की थी, लेकिन फिल्म निर्माता, निर्देशक और खालसा के अपने परिवार के सदस्य इसके लिए तैयार नहीं थे। जिसके बाद यह निर्णय लिया गया है कि यह फिल्म भारतीय सिनेमाघरों में नहीं दिखाई जाएगी।
7 फरवरी को रिलीज होगी
ये फिल्म 7 फरवरी को ऑस्ट्रेलिया, यूके (यूनाइटेड किंगडम), कनाडा और अमेरिका में रिलीज होने वाली है। दिलजीत ने खुद सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर कर फिल्म की रिलीज डेट का खुलासा किया। दिलजीत ने पोस्ट में लिखा- पूरी फिल्म, कोई कट नहीं। दिलजीत के पोस्ट से साफ है कि यह फिल्म अब बिना किसी कट के रिलीज होने वाली है। दिलजीत ने हाल ही में दिल लुमिनाती टूर का आयोजन किया और देश भर में लाइव कॉन्सर्ट किए।
सेंसर बोर्ड ने फिल्म में ये बदलाव करने को कहा था
सेंसर बोर्ड ने फिल्म निर्माताओं को फिल्म में वे सभी दृश्य बदलने का आदेश दिया था, जिनमें पंजाब और उसके जिले तरनतारन साहिब का उल्लेख है। फिल्म में दिखाए गए कनाडा और ब्रिटेन के संदर्भों को हटाने की भी मांग की गई। फिल्म का नाम पंजाब 95 रखा गया है। वर्ष 1995 में जसवंत सिंह खालरा लापता हो गए, ऐसे में सेंसर बोर्ड समिति ने इस शीर्षक में बदलाव की मांग की। इससे लोगों की भावनाएं आहत हो सकती हैं। समिति ने मांग की कि फिल्म के नायक जसवंत सिंह खालरा का नाम भी बदला जाए। फिल्म से गुरबानी के दृश्य हटा दिए जाने चाहिए।
जसवंत सिंह खालरा कौन हैं?
जसवंत सिंह खालड़ा एक साहसी और समर्पित मानवाधिकार कार्यकर्ता थे। जिन्होंने 1980 और 1990 के दशक के दौरान पंजाब में सिखों के खिलाफ अत्याचार और मानवाधिकार उल्लंघन के खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने खुलासा किया था कि उस दौरान हजारों सिख युवकों को अवैध रूप से हिरासत में लिया गया और फर्जी मुठभेड़ों में मार दिया गया। जसवंत ने एक बड़ा खुलासा यह भी किया कि मुठभेड़ में मारे गए सिख युवकों के शवों का गुप्त तरीके से अंतिम संस्कार कर दिया गया था।


