‘उदयपुर फाइल्स’ रिलीज़ को हरी झंडी, SC ने सुनवाई से किया इंकार
सुप्रीम कोर्ट ने ‘उदयपुर फाइल्स’ पर रोक लगाने की मांग खारिज कर दी. कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता संबंधित अदालत में अपील करें. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार करते हुए फिल्म को रिलीज़ होने की अनुमति दी. इससे पहले कई याचिकाएं फिल्म के खिलाफ दाखिल की गई थीं.

उदयपुर में दर्जी कन्हैयालाल की नृशंस हत्या पर आधारित फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ को लेकर विवाद गहराता जा रहा है. फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी, लेकिन अदालत ने इससे इनकार कर दिया. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता संबंधित अदालत में जाकर अपनी बात रखें, फिलहाल फिल्म को रिलीज़ होने दिया जाए. सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी फिल्म के रिलीज के एक दिन पहले आई है, जिससे फिल्म निर्माता पक्ष को राहत मिली है.
जस्टिस सुधांशु धूलिया की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह संबंधित अदालत के समक्ष दोबारा अपील करे. अदालत ने यह भी कहा कि फिल्म पर पहले ही केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) ने निर्णय ले लिया है और 130 कट्स के बाद इसे A सर्टिफिकेट के साथ रिलीज़ की अनुमति मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल इसमें हस्तक्षेप से इनकार कर दिया.
दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई आज
उधर, दिल्ली हाई कोर्ट में ‘उदयपुर फाइल्स’ के खिलाफ सुनवाई जारी है. याचिकाकर्ताओं ने फिल्म में कथित आपत्तिजनक संवादों और धार्मिक भावना भड़काने वाले दृश्यों को लेकर आपत्ति जताई है. इन याचिकाओं में फिल्म को समाज में नफरत फैलाने वाला बताया गया है. याचिका में कहा गया कि फिल्म का ट्रेलर 4 जुलाई को रिलीज हुआ था, जिसमें विशेष समुदाय के खिलाफ अपमानजनक बातें दिखाई गईं.
मौलाना अरशद मदनी और रजा एकेडमी की याचिका
दारुल उलूम देवबंद और मौलाना अरशद मदनी की ओर से भी हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है. याचिका में दावा किया गया है कि फिल्म में देवबंद और मुस्लिम समुदाय को गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया है. रजा एकेडमी और MSO (मुस्लिम स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशन) के पदाधिकारियों ने भी याचिका दाखिल कर कहा है कि फिल्म देश की सांप्रदायिक एकता को नुकसान पहुंचा सकती है.
निर्देशक का पक्ष
फिल्म के डायरेक्टर भारत एस. श्रीनेत ने अपने बयान में कहा कि फिल्म का मकसद नफरत फैलाना नहीं, बल्कि कन्हैयालाल साहू की हत्या के पीछे की मानसिकता को उजागर करना है. उन्होंने कहा, "हमने पूरी जिम्मेदारी से फिल्म बनाई है, इसमें पैगम्बर मोहम्मद के बारे में कोई आपत्तिजनक दृश्य नहीं है. सेंसर बोर्ड ने फिल्म को 130 कट्स के बाद पास किया है. विरोध करने वालों से मैं निवेदन करता हूं कि वे पहले फिल्म देखें, फिर अपनी राय बनाएं."
फिलहाल, फिल्म 11 जुलाई को तय कार्यक्रम के अनुसार रिलीज़ हो रही है. देखना होगा कि दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला क्या होता है और यह फिल्म सामाजिक समरसता और कानून व्यवस्था पर क्या प्रभाव डालती है.


