हैप्पी बर्थडे शाहरुख: 60 की उम्र में शाहरुख खान का जलवा बरकरार, Gen Z की पहली पसंद क्यों हैं लवरबॉय?

डिजिटल युग में भी जेन जेड शाहरुख खान की क्लासिक प्रेम कहानियों से फिर से प्यार कर रही है. OTT और री-रिलीज के जरिए पुराना रोमांस नए अंदाज में लौट आया है. शाहरुख की भावनात्मक सच्चाई, बदलते दौर के साथ उनका विकास और सिनेमा से जुड़ा मानवीय जुड़ाव उन्हें पीढ़ियों तक प्रासंगिक बनाए रखता है.

Yaspal Singh
Edited By: Yaspal Singh

मुंबईः तेज रफ्तार डेटिंग ऐप्स, इंस्टेंट चैट और अस्थायी रिश्तों के इस युग में यह मान लेना आसान है कि पुराना, सच्चा रोमांस अब बीते जमाने की बात हो गया है. लेकिन हैरानी की बात यह है कि डिजिटल पीढ़ी यानी जेन जेड शाहरुख खान की क्लासिक प्रेम कहानियों को फिर से खोज रही है और उनसे दोबारा प्यार कर बैठी है. दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे (DDLJ) से लेकर कुछ कुछ होता है, वीर-जारा और मोहब्बतें तक, आज के युवा इन फिल्मों को OTT पर देख रहे हैं या थिएटर में री-रिलीज होने पर टिकट खरीदने को तैयार हैं.

पुराने रोमांस में नई पीढ़ी की दिलचस्पी

18 से 25 साल के वे युवा जो शॉर्ट फॉर्म कंटेंट और सुपरहीरो फिल्मों के बीच बड़े हुए हैं, उन्हें शाहरुख की रोमांटिक कहानियों में कुछ अलग महसूस होता है. ईमानदारी, सादगी और दिल से जुड़ा भावनात्मक जुड़ाव. सरसों के खेतों में मुलाकात, रेलवे स्टेशन पर विदाई और बड़े-बड़े प्रेम-प्रस्ताव आज की डिजिटल दुनिया में ताजगी का एहसास कराते हैं.

शाहरुख खान की प्रासंगिकता का राज

फिल्म मार्केटिंग विशेषज्ञ गिरीश वानखेड़े का मानना है कि शाहरुख का जेन जेड से रिश्ता महज नॉस्टेल्जिया नहीं, बल्कि उनके सतत विकास का परिणाम है. उन्होंने कहा कि शाहरुख ने हमेशा समय के साथ खुद को बदला. वह सिर्फ अभिनेता नहीं, एक ब्रांड हैं. उन्होंने तकनीक, सोशल मीडिया और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को समय रहते अपनाया, जिससे वे हर पीढ़ी से जुड़े रहे.

फिल्म विश्लेषक गिरीश जौहर का कहना है कि शाहरुख खान वैश्विक स्टार हैं. उनकी लोकप्रियता भाषा, संस्कृति और उम्र की सीमाओं से परे है. उनकी फिल्मों में भावनात्मक जुड़ाव इतना गहरा है कि ‘डीडीएलजे’ आज भी दर्शकों के चेहरे पर मुस्कान ला देती है.

सोशल मीडिया पर पुरानी फिल्मों की नई धूम

‘कुछ कुछ होता है’, ‘मोहब्बतें’ या ‘कल हो ना हो’ के क्लिप्स आज इंस्टाग्राम रील्स और टिकटॉक पर खूब चल रहे हैं. जेन जेड इन्हें व्यंग्यात्मक या रोमांटिक कैप्शन के साथ साझा करते हैं, लेकिन इन दृश्यों की मूल भावना अब भी वही रहती है. जो पीढ़ी प्यार को ड्रामा कहती है, वही आज राज और राहुल जैसे किरदारों से जुड़ाव महसूस कर रही है.

फिल्मों का दोबारा रिलीज होना बना इवेंट

यशराज फिल्म्स जैसे प्रोडक्शन हाउस अब इन क्लासिक फिल्मों को चुनिंदा थिएटरों में फिर से रिलीज़ कर रहे हैं. यह कदम बड़े मुनाफे के लिए नहीं, बल्कि सांस्कृतिक जुड़ाव के लिए उठाया जा रहा है. राजकुमार मल्होत्रा, डिलाइट सिनेमा के महाप्रबंधक, कहते हैं, “लोग इन फिल्मों को फिर से देखना चाहते हैं क्योंकि इनमें सच्ची प्रेम कहानियां, खूबसूरत संगीत और असली भावनाएं हैं, जो आज की फिल्मों में कम मिलती हैं.

भले ही बॉक्स ऑफिस पर इन री-रिलीज फिल्मों से बड़ी कमाई नहीं होती, लेकिन हर शो एक उत्सव बन जाता है. दर्शक 90 के दशक के किरदारों की तरह सजते हैं, तुझे देखा तो ये जाना सनम पर गाते हैं और थिएटरों को यादों के जश्न में बदल देते हैं.

तीन दशक बाद भी ‘किंग ऑफ रोमांस’

शाहरुख खान आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने 1990 के दशक में थे. “पठान” और “जवान” जैसी हालिया हिट्स ने साबित किया कि उन्होंने खुद को फिर से परिभाषित किया है. रोमांस के बादशाह से एक्शन स्टार तक का सफर तय करते हुए भी उनकी भावनात्मक गहराई बरकरार रही.

गिरीश जौहर कहते हैं कि शाहरुख सिर्फ नॉस्टेल्जिया पर नहीं टिके. उन्होंने नई कहानियों और नई पीढ़ी से जुड़ने का रास्ता खोज लिया. यही उनकी असली ताकत है.

पुराना प्यार, नया नजरिया

जेन जेड के लिए शाहरुख की फिल्में सिर्फ सिनेमा नहीं, एक एहसास हैं. ऐसे समय में जब रिश्ते स्वाइप और एल्गोरिद्म तक सीमित हो गए हैं, उनकी फिल्मों का रोमांस सच्चा और इंसानी लगता है. शायद यही वजह है कि राज और सिमरन की कहानी आज भी पीढ़ियों को जोड़ रही है. क्योंकि जब तक कोई, कहीं, किसी से प्यार करता रहेगा, शाहरुख खान का जादू कायम रहेगा.

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02 November 2025, 10:42 AM IST

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