जावेद अख्तर का पाक अभिनेत्री को करारा जवाब, सिंधियों के दर्द पर जताया दुख
जावेद अख्तर ने बुशरा अंसारी के बयान का खंडन करते हुए अपने साथ हुए भेदभाव के अनुभव साझा किए. उन्होंने सिंधी शरणार्थियों के ऐतिहासिक दर्द को याद दिलाते हुए सामाजिक तनावों की जड़ों को समझने की अपील की.

जाने-माने गीतकार और पटकथा लेखक जावेद अख्तर ने पाकिस्तानी अभिनेत्री बुशरा अंसारी के उस बयान का तीखा जवाब दिया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि मुंबई में मुसलमानों को किराए पर घर नहीं मिलता. साथ ही, अंसारी द्वारा उन्हें नसीरुद्दीन शाह की तरह चुप रहने की सलाह पर भी अख्तर ने नाराज़गी जताई. उन्होंने स्पष्ट कहा कि किसी को यह तय करने का अधिकार नहीं है कि वह कब बोले और कब नहीं.
अख्तर ने अंसारी के आरोपों को किया खारिज
अख्तर ने अंसारी के आरोपों को खारिज करते हुए व्यंग्यात्मक अंदाज़ में कहा कि हां, शबाना और मैं सड़कों पर सो रहे हैं और साथ ही एक पुरानी घटना साझा की जिसमें शबाना आज़मी को मुसलमान होने के कारण एक फ्लैट देने से मना कर दिया गया था. उन्होंने इस अनुभव को विभाजन के दौरान पाकिस्तान से आए सिंधी शरणार्थियों की पीड़ा से जोड़ा.
जावेद अख्तर ने बताया कि जिन लोगों ने शबाना को फ्लैट नहीं दिया, वे वही शरणार्थी समुदाय के लोग थे, जिन्हें विभाजन के समय अपने घर, संपत्ति और सामाजिक प्रतिष्ठा छोड़नी पड़ी थी. उन्होंने कहा कि जब कोई इतनी पीड़ा से गुजरता है, तो उसके मन में कड़वाहट आना स्वाभाविक है और यही कड़वाहट कभी-कभी सामने आती है.
उन्होंने कहा कि अगर कोई व्यक्ति एक दिन में अपना सब कुछ खोकर शरणार्थी बन जाए, तो उसका दर्द और प्रतिक्रिया स्वाभाविक होती है. बुशरा अंसारी की आलोचना पर उन्होंने कहा कि आप हमें दोष दे रहे हैं? पहले अपने भीतर झांकिए.
महाराष्ट्र महोत्सव में शुरू हुआ था विवाद
यह विवाद तब शुरू हुआ जब अख्तर ने महाराष्ट्र महोत्सव में आतंकवादियों द्वारा पहलगाम में मारे गए पर्यटकों की आलोचना की थी. इसके जवाब में अंसारी ने उनके बयान को "बहाना" कहकर खारिज कर दिया था. अंत में अख्तर ने साफ किया कि वे किसी के कहने पर चुप नहीं रहेंगे और जब भी जरूरत होगी, आवाज़ उठाते रहेंगे.


