मधुबाला या नरगिस नहीं, 16 साल की थी भारत की पहली महिला सुपरस्टार, जुबली गर्ल ने 26 साल की उम्र में छोड़ दी एक्टिंग
मुमताज शांति उन शुरुआती सफल महिला सितारों में से एक थीं, जो बाद में बॉलीवुड बन गए . 1942 में मंगती में मुख्य भूमिकाएं निभाने से पहले मुमताज ने 1937 में पंजाबी फिल्मों में एक बाल कलाकार के रूप में अपना करियर शुरू किया, इसी वर्ष उन्होंने बसंत के साथ मुख्य कलाकार के रूप में हिंदी में अपनी शुरुआत की. वह उस समय 16 वर्ष की थीं. 17 साल की उम्र में मुमताज को अब 'जुबली गर्ल' कहा जाने लगा था क्योंकि उनकी सभी चार फिल्में जुबली हिट रही थीं.

भारतीय सिनेमा का इतिहास 1910 के दशक की शुरुआत में शुरू हुआ जब दादा साहब फाल्के ने मोशन पिक्चर्स की शुरुआत की. लेकिन टॉकीज़ के आगमन ने सिने आइकन को जन्म दिया. आज, हम उन्हें सुपरस्टार कहते हैं. केएल सहगल, करण दीवान और अशोक कुमार भारतीय सिनेमा के पहले स्क्रीन आइकन में से एक थे और उनके समकक्ष एक किशोर था जिसने स्क्रीन पर राज किया, ऐसे रिकॉर्ड बनाए जो केवल आठ दशक बाद टूटे.
भारत की पहली महिला सुपरस्टार
मुमताज शांति उन शुरुआती सफल महिला सितारों में से एक थीं, जो बाद में बॉलीवुड बन गए . 1942 में मंगती में मुख्य भूमिकाएं निभाने से पहले मुमताज ने 1937 में पंजाबी फिल्मों में एक बाल कलाकार के रूप में अपना करियर शुरू किया, इसी वर्ष उन्होंने बसंत के साथ मुख्य कलाकार के रूप में हिंदी में अपनी शुरुआत की. वह उस समय 16 वर्ष की थीं. बसंत एक जबरदस्त सफलता थी, जो 76 सप्ताह तक सिनेमाघरों में चली और उस वर्ष की सबसे अधिक कमाई करने वाली भारतीय फिल्म बन गई. अगले वर्ष मुमताज ने फिर से किस्मत के साथ सफलता का स्वाद चखा, जो ₹ 1 करोड़ कमाने वाली पहली भारतीय फिल्म थी. 17 साल की उम्र में मुमताज को अब 'जुबली गर्ल' कहा जाने लगा था क्योंकि उनकी सभी चार फिल्में जुबली हिट रही थीं.
अगले कुछ सालों में मुमताज घर की इज्जत (1948) और आहुति (1950) जैसी कई हिट फिल्मों में नजर आईं. उन्होंने उस समय के सभी बड़े सितारों के साथ काम किया और दिलीप कुमार जैसे 'युवा' सितारों के साथ सीनियर लीड रोल भी किया.
मुमताज शांति का अचानक संन्यास
40 के दशक के आखिर में मुमताज ने फिल्म निर्माता वली साहब से शादी कर ली. भले ही उन्होंने उसके बाद भी अभिनय जारी रखा, लेकिन जल्द ही परिवार उनकी प्राथमिकता बन गया. 1952 में दंपति ने पाकिस्तान जाने का फैसला किया और इसके साथ ही मुमताज का फिल्मी करियर खत्म हो गया. उस समय अभिनेत्री की उम्र सिर्फ़ 26 साल थी. वह अपने जीवन के बाकी समय लाहौर में रहीं, जहां 1989 में 63 साल की उम्र में उनकी मृत्यु हो गई.
मुमताज शांति की विरासत
उनकी फिल्मों द्वारा बनाए गए कई रिकॉर्ड दशकों तक टिके रहे. उदाहरण के लिए, किस्मत तीन साल तक एक थिएटर में चली, यह रिकॉर्ड 1978 में शोले और फिर दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे ने तोड़ा. उनकी दो फिल्में - बसंत और किस्मत - रिलीज के लगभग आठ दशक बाद 2021 तक सबसे ज्यादा देखी जाने वाली भारतीय फिल्मों की शीर्ष 50 सूची में बनी रहीं.


