तुम्हारे पास 10 लोग हैं लेकिन मेरे पास पूरी फौज...जब धर्मेंद्र ने अंडरवर्ल्ड को भी बना दिया था भीगी बिल्ली
हिंदी सिनेमा के दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र, जिन्हें ही-मैन के नाम से भी जाना जाता है. अपने जमाने में इनके अलग ही ठाठ हुआ करते थे. इनकी लंबी-चौड़ी कद काठी को देख अच्छे-अच्छों का पसीना छूट जाता था. पर्दों के साथ-साथ जब उनका सामना असल जिंदगी में भी बदमाशों से हुआ उन्होंने अंडरवर्ल्ड को भी धमका दिया था.

मुंबई : 1980 और 90 के दशक में जब मुंबई का फिल्म उद्योग अंडरवर्ल्ड के शिकंजे में जकड़ा हुआ था, तब जबरन वसूली, फोन पर धमकियां और गैंगस्टरों की दखलंदाजी आम बात हो चुकी थी. कई अभिनेता सुरक्षा के लिए पैसे चुकाते थे या फिर भयवश अंडरवर्ल्ड से जुड़े निर्माताओं की फिल्मों में काम करना स्वीकार कर लेते थे. ऐसे अस्थिर और डराने वाले माहौल में हिंदी सिनेमा के ही-मैन धर्मेंद्र वह अकेले सितारे थे जिन्होंने कभी कोई समझौता नहीं किया, न धमकियों के आगे झुके और न ही अपने आत्मसम्मान से पीछे हटे.
धर्मेंद्र से क्यों डरता था अंडरवर्ल्ड
आपको बता दें कि एक माह पहले अभिनेता-निर्देशक सत्यजीत पुरी ने यह बताया था कि अंडरवर्ल्ड के हावी दौर में भी धर्मेंद्र को कभी डराने की हिम्मत किसी ने नहीं की. उनका कहना था कि उस समय एक फोन कॉल से बड़े-बड़े अभिनेता कांप उठते थे, लेकिन धर्मेंद्र और उनका परिवार कभी विचलित नहीं हुआ. पुरी ने बताया कि धर्मेंद्र अक्सर धमकाने वालों से हंसते हुए कहते “अगर मुझे पकड़ने की कोशिश की, तो पूरा साहनेवाल पंजाब से उतर आएगा. तुम्हारे पास दस आदमी होंगे, मेरे पास ट्रक भरकर लोग आ जाएंगे.” ऐसी दृढ़ता और निडरता से प्रभावित होकर अंडरवर्ल्ड भी उनसे दूरी बनाए रखता था.
‘गुलामी’ के सेट पर गुस्से से लाल हुए धर्मेंद्र
सत्यजीत पुरी ने गुलामी की शूटिंग का एक रोमांचक किस्सा भी सुनाया. एक दृश्य में घोड़े को संगमरमर की फिसलन भरी सीढ़ियों पर चढ़ाना था. हालांकि इसके लिए डुप्लीकेट भी मौजूद था, लेकिन धर्मेंद्र ने खुद इसे करने पर जोर दिया. घोड़े के फिसलने पर परिस्थिति खतरनाक हो गई, लेकिन धर्मेंद्र ने अपनी अद्भुत शारीरिक ताकत और संतुलन से खुद को और घोड़े को गिरने से बचा लिया. घटना के बाद उनका गुस्सा भड़क उठा, लेकिन उसी क्षण उन्होंने खुद को संयत करते हुए सबसे पहले घोड़े का हाल पूछा और उसे नुकसान न पहुँचे, इस चिंता में उसके मालिक को 200 रुपये भी दे दिए.
खुलेआम हमला करने वाले को भी चटाई धूल
पुरी ने एक और घटना का ज़िक्र किया जिसमें किसी ने खुलेआम धर्मेंद्र पर चाकू से हमला कर दिया था. चौंकाने वाली बात यह थी कि धर्मेंद्र ने कुछ ही क्षणों में हमलावर को निहत्था कर जमीन पर गिरा दिया. उस दौर में जब अधिकांश कलाकार सुरक्षा दस्ता लेकर चलते थे, धर्मेंद्र और विनोद खन्ना जैसे कलाकार बिना किसी सुरक्षा के सड़क पर निकलते थे. उनका निडर व्यक्तित्व और आत्मविश्वास ही उन्हें बाकियों से अलग बनाता था.
अंतिम झलक ‘इक्कीस’ में, एक साहसी पिता का किरदार
अपने अंतिम दिनों में भी धर्मेंद्र का अभिनय उत्साह कम नहीं हुआ. वे जल्द ही श्रीराम राघवन द्वारा निर्देशित युद्ध-आधारित फिल्म इक्कीस में दिखाई देंगे, जिसमें उन्होंने 1971 के युद्ध के वीर सेकेंड लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल (पीवीसी) के पिता की भूमिका निभाई है. यह फिल्म असाधारण वीरता की कहानी है और क्रिसमस पर रिलीज़ होगी. धर्मेंद्र का यह किरदार न केवल देश के इतिहास को सम्मान देता है, बल्कि उनके अद्वितीय व्यक्तित्व और जीवटता को भी अंतिम सलाम जैसा है.


