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'भारत से शांति की अपील लेकिन रूस-यूक्रेन पर आक्रामक रुख', EU के पाखंड की फिर खुली पोल, जयशंकर का पुराना बयान चर्चा में

रूस-यूक्रेन युद्ध में यूक्रेन को सैन्य सहायता देने वाला यूरोपीय संघ अब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को लेकर शांति की अपील कर रहा है, जिससे वह आलोचनाओं के घेरे में आ गया है. EU की विदेश मामलों की प्रमुख काजा कल्लास ने हाल ही में भारत-पाकिस्तान से संयम बरतने की बात कही, लेकिन पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को समर्थन देने के मुद्दे को नजरअंदाज कर दिया. इस दोहरे रवैये को लेकर विशेषज्ञों और आम नागरिकों ने यूरोपीय संघ को पाखंडी और पक्षपाती बताया है.

Aprajita
Edited By: Aprajita

रूस-यूक्रेन युद्ध में यूक्रेन को हथियार मुहैया कराकर उसका समर्थन करने वाला यूरोपीय संघ अब दक्षिण एशिया को शांति का पाठ पढ़ा रहा है. हाल ही में EU की विदेश मामलों की प्रमुख और उपाध्यक्ष काजा कल्लास ने भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर और पाकिस्तान के उपप्रधानमंत्री इशाक डार से बातचीत कर कहा कि "तनाव बढ़ाने से किसी को लाभ नहीं होगा." इस अपील के बाद सोशल मीडिया पर EU की भारी आलोचना शुरू हो गई. खासकर भारत के प्रति आतंकवाद पर लंबे समय से झेले जा रहे अनुभवों को नजरअंदाज करना कई विश्लेषकों और आम लोगों को खल गया.

आतंकवाद पर चुप्पी, भारत में नाराजगी

काजा कल्लास

Kaja Kallas
 

ने बातचीत के दौरान पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को दिए जा रहे समर्थन की कोई चर्चा नहीं की. भारत, जो दशकों से सीमा पार से होने वाले आतंकी हमलों का शिकार रहा है, इस चुप्पी से बेहद आक्रोशित है. विश्लेषकों ने EU के इस रवैये को "समदूरी नहीं, पाखंड" कहा. एक यूजर्स ने ट्वीट किया, “भारत और पाकिस्तान को एक ही नजर से देखना ज़मीनी हकीकत की अनदेखी है.” विदेश नीति विशेषज्ञों ने इसे यूरोप के 'डबल स्टैंडर्ड्स' यानी दोहरे मापदंड का उदाहरण बताया.

यूक्रेन पर रुख कुछ और, भारत पर कुछ और

यूरोपीय संघ ने रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान बार-बार यह कहा कि "रक्षा एक उकसावा नहीं है" और "आक्रांता को रोका जाना चाहिए." ऐसे में विशेषज्ञों ने पूछा कि क्या यही सिद्धांत भारत पर लागू नहीं होता? जब भारत को आतंकवाद से निपटना होता है, तो यूरोप शांतिपूर्ण बातचीत की बात करता है, लेकिन खुद हथियारों से युद्ध झेलने वाले देश को समर्थन देता है.

एक्सपर्ट की तीखी प्रतिक्रिया

विदेश नीति पर टिप्पणी करने वाले सुशांत सरीन ने EU की आलोचना करते हुए ट्वीट किया, “अगर कूटनीति और संवाद कारगर होते, तो अब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद से बाज आ गया होता." उन्होंने यह भी कहा कि EU को अब तक पता चल जाना चाहिए था कि बातचीत और सबूतों का पाकिस्तान पर कोई असर नहीं होता.

कार्नेगी संस्था के फेलो ओलिवर ब्लारेल ने भी EU के 'निराशाजनक' दृष्टिकोण को उजागर किया. उन्होंने कहा, "भारत ने पाकिस्तान को बार-बार ठोस सबूत दिए, लेकिन कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं मिली. ऐसे में भारत को केवल शांत रहने की सलाह देना अव्यवहारिक और अस्वीकार्य है."

Kaja Kallas
 

जयशंकर का दो साल पुराना बयान फिर चर्चा में

इस विवाद के बीच विदेश मंत्री एस. जयशंकर का दो साल पुराना बयान फिर से वायरल हो गया. उन्होंने कहा था, "यूरोप को यह समझना होगा कि उसके मुद्दे दुनिया के मुद्दे नहीं हैं, लेकिन दुनिया के मुद्दे उसके लिए मायने नहीं रखते."

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03 May 2025, 04:33 PM IST

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