'भारत का पानी, भारत के हक में रुकेगा', सिंधु जल निलंबन पर पीएम मोदी की पाकिस्तान को दो टूक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिंधु जल संधि के निलंबन पर कहा कि अब भारत का पानी भारत में ही रहेगा और देशहित में उपयोग होगा. यह फैसला जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद लिया गया, जिसमें पाकिस्तान समर्थित आतंकियों की भूमिका बताई गई. कैबिनेट समिति ने यह निर्णय सुरक्षा कारणों से लिया, जो पहली बार हुआ है. मोदी ने पूर्ववर्ती सरकारों की नीतियों की आलोचना करते हुए इसे आत्मनिर्भर जल नीति की दिशा में एक बड़ा कदम बताया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को सिंधु जल संधि के निलंबन के बाद पहली बार इस मुद्दे पर सार्वजनिक बयान दिया. उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि अब भारत के अधिकार का पानी देश के भीतर ही रहेगा और इसका उपयोग भारतीय नागरिकों के हित में किया जाएगा.
पीएम मोदी का दो टूक बयान
प्रधानमंत्री ने एक कार्यक्रम में कहा, “पहले भारत के हक का पानी भी बाहर चला जाता था... अब भारत का पानी भारत के लिए बहेगा, भारत में रुकेगा और भारत के ही काम आएगा.” यह बयान एक स्पष्ट नीति परिवर्तन की ओर इशारा करता है, जिसमें भारत अब अपनी जल सम्पदा को रणनीतिक रूप से देख रहा है.
सिंधु जल संधि की पृष्ठभूमि
1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता से भारत और पाकिस्तान के बीच हुई सिंधु जल संधि, दोनों देशों के बीच जल वितरण को लेकर एक ऐतिहासिक समझौता रही है. इस संधि के अंतर्गत भारत तीन पूर्वी नदियों—रावी, ब्यास और सतलुज—का उपयोग कर सकता है, जबकि पाकिस्तान को तीन पश्चिमी नदियाँ—सिंधु, झेलम और चिनाब—प्रदान की गई थीं.
आतंकी हमले के बाद लिया गया निर्णय
यह ऐलान ऐसे समय पर आया है जब हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 नागरिकों की मौत हो गई. भारत ने इस हमले के लिए पाकिस्तान समर्थित आतंकियों को जिम्मेदार ठहराया और इसके बाद एक के बाद एक कड़े कदम उठाने शुरू किए.
कैबिनेट समिति का बड़ा निर्णय
सिंधु जल संधि को निलंबित करने का फैसला सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) ने लिया है. यह समिति देश की सुरक्षा से जुड़े सबसे अहम निर्णयों के लिए उत्तरदायी है. अधिकारियों के अनुसार, यह बैन तब तक रहेगा जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को समर्थन देना बंद नहीं करता.
इतिहास में पहली बार आधिकारिक निलंबन
संधि के अस्तित्व में आने के बाद यह पहली बार है कि भारत ने आधिकारिक तौर पर इसके क्रियान्वयन को निलंबित किया है. यह भारत की कूटनीतिक नीति में बड़ा बदलाव माना जा रहा है, जहाँ अब केवल प्रतीक्षा और सहिष्णुता नहीं, बल्कि सख्त जवाब भी नीति का हिस्सा बन चुके हैं.
पूर्ववर्ती सरकारों पर निशाना
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में परोक्ष रूप से पिछली सरकारों की आलोचना करते हुए कहा कि, “पहले सरकारें सोचती थीं कि दुनिया क्या कहेगी, वोट मिलेगा या नहीं. इन कारणों से जरूरी सुधारों में देरी होती थी. लेकिन राष्ट्र सर्वोपरि होना चाहिए.”
आत्मनिर्भर भारत की ओर
भारत की यह नीति जल संसाधनों को लेकर आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम है. यह निर्णय न केवल पाकिस्तान के प्रति कड़ा संदेश है, बल्कि घरेलू जल प्रबंधन में भी सुधार का मार्ग प्रशस्त करता है.


