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'सिर्फ आरोप नहीं, सबूत चाहिए', सुप्रीम कोर्ट का ईडी को साफ संदेश

सुप्रीम कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा पर्याप्त साक्ष्य के बिना आरोप लगाने की प्रवृत्ति पर चिंता जताई. यह टिप्पणी छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में आरोपी अरविंद सिंह की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान की गई. अदालत ने ईडी से ठोस साक्ष्य प्रस्तुत करने को कहा. एएसजी ने समय मांगा. बचाव पक्ष ने बताया कि आरोपी 10 महीने से जेल में है. कोर्ट ने गिरफ्तारी से पहले पुख्ता जांच की आवश्यकता पर बल दिया.

Yaspal Singh
Edited By: Yaspal Singh

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में पर्याप्त साक्ष्य के अभाव में आरोप तय करने की आदत पर कड़ी नाराजगी जताई. न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुयान की पीठ ने कहा कि एजेंसी कई मामलों में केवल आरोप लगाकर ही संतुष्ट हो जाती है, जबकि अपराध की आय से आरोपी को जोड़ने के लिए ठोस साक्ष्य पेश नहीं किए जाते.

पीठ ने स्पष्ट रूप से कहा, “हमने देखा है कि ईडी द्वारा दाखिल मामलों में यह एक प्रवृत्ति बन गई है – बिना पुख्ता आधार के सीधे आरोप लगा देना.” अदालत ने यह टिप्पणी छत्तीसगढ़ शराब घोटाले से जुड़े आरोपी अरविंद सिंह की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान की.

2,000 करोड़ के घोटाले का आरोप

अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एस. वी. राजू ने अदालत को बताया कि अरविंद सिंह कथित रूप से राज्य में चल रहे करोड़ों रुपये के समानांतर शराब व्यापार से जुड़े हुए थे. उन्होंने यह दावा किया कि आरोपी ‘अनुराग ट्रेडर्स’ नामक कंपनी के माध्यम से खाली शराब बोतलों की खरीददारी में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे थे. यह व्यापार कथित रूप से 2,000 करोड़ रुपये के घोटाले का हिस्सा था.

हालांकि, जब अदालत ने यह स्पष्ट किया कि अरविंद सिंह कंपनी में किसी अधिकारिक पद पर नहीं थे – न निदेशक, न प्रबंध निदेशक, तब एएसजी ने दावा किया कि सिंह अप्रत्यक्ष रूप से कंपनी के कामकाज का संचालन कर रहे थे.

अदालत ने मांगे ठोस साक्ष्य

सुप्रीम कोर्ट ने एएसजी से पूछा कि वह किस आधार पर अरविंद सिंह को उस 40 करोड़ रुपये की कथित अपराध की आय से जोड़ते हैं, जिसका उल्लेख ईडी ने किया है. जब अदालत संतुष्ट नहीं हुई, तो एएसजी राजू ने आग्रह किया कि उन्हें समय दिया जाए ताकि वे सिंह की भूमिका से संबंधित प्रासंगिक दस्तावेज अदालत के समक्ष प्रस्तुत कर सकें.

जमानत पर बहस 

अरविंद सिंह की ओर से वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ अग्रवाल ने जमानत की मांग करते हुए कहा कि उनके मुवक्किल पहले ही 10 महीने जेल में बिता चुके हैं और इतने बड़े मामले में जल्द सुनवाई संभव नहीं दिखती. उन्होंने बताया कि 25,000 से अधिक पन्नों की चार्जशीट दाखिल हो चुकी है और 150 से अधिक गवाह सूचीबद्ध हैं. एएसजी ने तर्क दिया कि दस्तावेजों की अधिकता मात्र से जमानत नहीं दी जा सकती और सिंह की भूमिका पर जांच पूर्ण हो चुकी है.

गिरफ्तारी में जल्दबाजी पर भी टिप्पणी

दिलचस्प रूप से, कुछ दिन पहले ईडी के स्थापना दिवस पर एएसजी राजू ने खुद एजेंसी को सलाह दी थी कि वह आरोपियों को जल्दबाज़ी में गिरफ्तार करने से बचे. उन्होंने सुझाव दिया था कि मजबूत साक्ष्य जुटाने के बाद ही गिरफ्तारी की जाए ताकि अदालतों से राहत पाने की संभावनाएं कम हो सकें.

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06 May 2025, 06:00 PM IST

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