'एक बार जो मैंने कमिट किया...', ऑपरेशन सिन्दूर के बाद IAF चीफ ने किया सलमान खान की फिल्म के डायलॉग का इस्तेमाल
सीआईआई समिट में एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के ज़रिए भारत की रक्षा रणनीति, तकनीकी विकास और सैन्य तैयारियों की दिशा पर प्रकाश डाला. उन्होंने वायु सेना की केंद्रीय भूमिका, निजी उद्योग की भागीदारी और स्वदेशी डिजाइन व निर्माण पर बल दिया. उन्होंने कहा कि भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए विचार प्रक्रिया में बदलाव ज़रूरी है और वायु सेना हर सैन्य अभियान में अहम भूमिका निभाएगी.

भारतीय वायु सेना के प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह ने गुरुवार को सीआईआई बिजनेस समिट में संबोधित करते हुए भारत की रक्षा नीति और सैन्य तैयारियों को लेकर महत्वपूर्ण बातें साझा कीं. उन्होंने कहा कि 'ऑपरेशन सिंदूर' ने न केवल सैन्य क्षमताओं को परखा, बल्कि यह भी स्पष्ट कर दिया कि भारत को रक्षा क्षेत्र में आगे किन क्षेत्रों में सुधार और विकास की आवश्यकता है.
तकनीक के साथ बदलता युद्ध का स्वरूप
एयर चीफ मार्शल ने इस बात पर जोर दिया कि आधुनिक युद्धों का स्वरूप तेजी से बदल रहा है. उन्होंने कहा कि अब हर दिन नई तकनीकों का विकास हो रहा है, और इस बदलाव के अनुरूप भारतीय सेनाओं को भी खुद को ढालना होगा. 'ऑपरेशन सिंदूर' ने इस दिशा में स्पष्ट संकेत दिए हैं कि किस दिशा में हमें रणनीति बनानी है और भविष्य के लिए कौन-से संसाधनों की आवश्यकता होगी.
विचार प्रक्रिया में परिवर्तन की आवश्यकता
वायुसेना प्रमुख ने यह भी कहा कि मौजूदा हालात में हमारी सोच और योजनाओं में भी बदलाव की जरूरत है. "हमें अपनी विचार प्रक्रियाओं को फिर से संगठित करना होगा. यह प्रक्रिया पहले ही शुरू हो चुकी है और इसे और तेज करने की आवश्यकता है," उन्होंने कहा. उन्होंने यह विश्वास भी दिलाया कि जिन बातों का उन्होंने वादा किया है, उन्हें पूरा किया जाएगा.
निजी उद्योग की भूमिका पर भरोसा
एयर चीफ मार्शल ने भारत में विकसित हो रहे एएमसीए (एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट) प्रोजेक्ट का उल्लेख करते हुए बताया कि इस परियोजना में निजी क्षेत्र की भागीदारी को मंजूरी मिल चुकी है. उन्होंने इसे एक बड़ा और सकारात्मक कदम बताया और कहा कि देश को अब निजी कंपनियों पर भरोसा है और यह भविष्य में रक्षा उत्पादन में बड़े बदलाव लाएगा.
सभी सेनाओं में वायु सेना की अहम भूमिका
वायुसेना चीफ ने स्पष्ट किया कि वायु सेना की भूमिका किसी भी सैन्य अभियान में केंद्रीय होती है, चाहे वह थल सेना हो या जल सेना. "कोई भी सैन्य ऑपरेशन वायु सेना की भागीदारी के बिना संभव नहीं है. उन्होंने कहा कि 'ऑपरेशन सिंदूर' ने यह बात और भी अच्छे से साबित कर दी है," एयर चीफ मार्शल ने कहा, " एक बार जो हमने कमिट किया है, फिर मैं अपने आप की भी नहीं सुनता.
डिजाइनिंग और विकास भारत में हो
एयरचीफ मार्शल ने इस बात पर भी बल दिया कि सिर्फ भारत में उत्पादन करना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि डिजाइन और अनुसंधान भी यहीं होना चाहिए. साथ ही, उन्होंने सेनाओं और उद्योग के बीच भरोसे को मजबूत बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया ताकि भारत की रक्षा तैयारियां और भी सशक्त बन सकें.


