'रॉबर्ट वाड्रा ने गलत तरीके से कमाए 58 करोड़ रुपये', गुरुग्राम जमीन घोटाले वाले मामले में ED ने चार्जशीट में किया खुलासा
गुरुग्राम के शिकोहपुर भूमि सौदे में रॉबर्ट वाड्रा पर मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज हुआ है, जिसमें 58 करोड़ रुपये की हेराफेरी और फर्जी वाणिज्यिक लाइसेंस का आरोप है. ईडी ने 43 संपत्तियां कुर्क कीं, सहयोगियों व कई कंपनियों को नामजद किया. वाड्रा ने इसे राजनीतिक प्रतिशोध बताया, जबकि जांच में जमीन सौदे, लाइसेंस अनियमितता व धन के दुरुपयोग के सबूत मिले.

कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ गुरुग्राम के शिकोहपुर क्षेत्र में धोखाधड़ी वाले जमीन लेनदेन के सिलसिले में मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया गया है. मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े गंभीर आरोपों के तहत मामला दर्ज किया गया है. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दावा किया है कि कथित अवैध जमीन लेनदेन में करीब 58 करोड़ रुपये का हेरा-फेरी हुई, जिसे बाद में कई संपत्तियों में बदल दिया गया.
मामला धन शोधन विरोधी कानून के तहत
यह मामला भारतीय धन शोधन विरोधी कानून (पीएमएलए) की विभिन्न धाराओं के अंतर्गत दर्ज किया गया है. आरोपों के अनुसार, इस अपराध के लिए 3 से 7 साल तक की जेल की सजा हो सकती है और अपराध से प्राप्त सभी संपत्तियों को जब्त भी किया जाएगा. मामले की सुनवाई पीएमएलए के तहत गठित विशेष अदालत में होगी.
आरोपियों में शामिल सहयोगी और कंपनियां
रॉबर्ट वाड्रा के सहयोगी सत्यानंद याजी और केवल सिंह विर्क के खिलाफ भी मामले दर्ज किए गए हैं. साथ ही, स्काई लाइट हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड, स्काई लाइट रियल्टी प्राइवेट लिमिटेड और ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड (अब एसजीवाई प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड) समेत कई अन्य कंपनियों को भी इस मामले में नामजद किया गया है.
रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ पहले से चल रहे मामले
रॉबर्ट वाड्रा पहले से ही तीन मामलों का सामना कर रहे हैं, जिनमें से पहला आरोपपत्र 17 जुलाई को दाखिल किया गया था. उनकी ओर से जारी बयान में यह कार्रवाई वर्तमान सरकार द्वारा राजनीतिक बदले की प्रक्रिया बताया गया है.
जांच में सामने आए तथ्य
चार्जशीट में कहा गया है कि यह मामला सितंबर 2018 में हरियाणा पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर से जुड़ा है, जिसमें हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और डीएलएफ लिमिटेड का भी नाम है. आरोपों में धोखाधड़ी, जालसाजी, आपराधिक साजिश और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत अपराध शामिल हैं.
जमीन की कीमत और धोखाधड़ी
प्रवर्तन निदेशालय के मुताबिक, एसएलएचपीएल ने ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज से 3.5 एकड़ जमीन 7.5 करोड़ रुपये में खरीदी जबकि वास्तविक कीमत 15 करोड़ रुपये बताई गई. दस्तावेजों में दिखाए गए चेक का भुगतान कभी हुआ ही नहीं. इस गलतबयानी से लगभग 45 लाख रुपये की स्टाम्प ड्यूटी की चोरी हुई.
वाणिज्यिक लाइसेंस में अनियमितताएं
ईडी ने आरोप लगाया है कि इस लेनदेन में वाड्रा के कथित प्रभाव का इस्तेमाल किया गया, ताकि उसी इलाके में वाणिज्यिक लाइसेंस हासिल किया जा सके. जबकि केवल 1.35 एकड़ भूमि ही मानदंडों को पूरा करती थी, अधिकारियों ने हेराफेरी कर अधिक भूमि को शामिल किया. इसके चलते लाइसेंस जल्दबाजी में जारी किया गया, जिससे बाद में जमीन 58 करोड़ रुपये में डीएलएफ को बेच दी गई.
पैसे के लेनदेन का तरीका
जांच में यह भी पता चला कि लगभग 5 करोड़ रुपये मेसर्स ब्लू ब्रीज़ ट्रेडिंग प्राइवेट लिमिटेड के माध्यम से भेजे गए, जबकि 53 करोड़ रुपये एसएलएचपीएल के माध्यम से ट्रांसफर किए गए. वाड्रा ने इस धन का उपयोग अचल संपत्तियां खरीदने, निवेश करने और कंपनी के ऋण चुकाने में किया.
संपत्तियों की जब्ती
एजेंसी ने अब तक 38.69 करोड़ रुपये मूल्य की 43 अचल संपत्तियों को कुर्क कर लिया है. इनमें बीकानेर में जमीन, गुरुग्राम, मोहाली, नोएडा में वाणिज्यिक इकाइयां तथा अहमदाबाद में आवासीय फ्लैट शामिल हैं. कुछ संपत्तियां सीधे रॉबर्ट वाड्रा की हैं, जबकि कई उनकी कंपनियों के नाम पर दर्ज हैं.


