'हमारी सैन्य कार्रवाई का लक्ष्य था...', पाकिस्तान से जुड़े 'परमाणु' सवालों पर विदेश मंत्रालय ने क्या कहा?
भारत के विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान को चेतावनी दी कि वह परमाणु ब्लैकमेल और सीमा पार आतंकवाद को बंद करे. रणधीर जायसवाल ने स्पष्ट किया कि भारत की सैन्य कार्रवाई पूरी तरह पारंपरिक थी और पाकिस्तान को आरोपों का जवाब देना चाहिए. उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भारत ने हमेशा कहा है कि कश्मीर का मुद्दा द्विपक्षीय बातचीत से हल होगा. भारत ने पाकिस्तान को क्षेत्रीय अस्थिरता बढ़ाने के खिलाफ चेतावनी दी.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने मंगलवार को ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान की परमाणु सुविधाओं पर हुई कथित हमलों के बारे में उठे सवालों का जवाब दिया. विशेष रूप से किराना हिल्स में पाकिस्तान की परमाणु सुविधा को हुए नुकसान पर पत्रकारों द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए, उन्होंने यह स्पष्ट किया कि ऐसे आरोपों का जवाब पाकिस्तान को देना चाहिए, न कि भारत को. उन्होंने कहा, "यह पाकिस्तान का काम है कि वह इन दावों का जवाब दे. हमारा रुख रक्षा ब्रीफिंग में पूरी तरह स्पष्ट किया जा चुका है. पाकिस्तान के मंत्री ने भी इस पर टिप्पणी की है."
भारत की सैन्य कार्रवाई पर स्पष्टता
रणधीर जायसवाल ने भारत की सैन्य कार्रवाई की प्रकृति पर भी स्पष्टता दी. उन्होंने कहा, "हमारी सैन्य कार्रवाई पूरी तरह से पारंपरिक क्षेत्र में थी." इसका मतलब है कि भारतीय सेना ने पाकिस्तान के खिलाफ केवल पारंपरिक सैन्य ताकत का इस्तेमाल किया और किसी भी प्रकार की परमाणु ताकत का इस्तेमाल नहीं किया गया. इसके बावजूद, उन्होंने यह भी बताया कि कुछ रिपोर्टें थीं, जिनमें दावा किया गया था कि पाकिस्तान ने अपनी राष्ट्रीय कमान प्राधिकरण (NCA) की बैठक 10 मई को आयोजित की थी, लेकिन पाकिस्तान ने इन रिपोर्टों का खंडन किया. पाकिस्तान के जनरल मजहर और विदेश मंत्री ने खुद सार्वजनिक रूप से इन आरोपों का खंडन किया था.
पाकिस्तान के खिलाफ चेतावनी
भारत के विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान को चेतावनी दी है कि वह परमाणु ब्लैकमेल और सीमा पार आतंकवाद के प्रयासों को बंद करे. रणधीर जायसवाल ने कहा, "भारत का यह मजबूत रुख है कि हम परमाणु ब्लैकमेल के आगे नहीं झुकेंगे." उन्होंने यह भी कहा कि भारत ने विभिन्न देशों से यह अनुरोध किया है कि पाकिस्तान को आतंकवाद के प्रायोजक के रूप में गतिविधियां जारी रखने से रोकने के लिए दबाव डाला जाए. इसके साथ ही, भारत ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि पाकिस्तान ऐसे नापाक प्रयास जारी रखता है, तो यह न केवल क्षेत्र में अस्थिरता को बढ़ावा देगा, बल्कि खुद पाकिस्तान के लिए भी खतरनाक हो सकता है.
ट्रंप की टिप्पणियों पर भारत का रुख
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत और पाकिस्तान के बीच परमाणु युद्ध की संभावना पर दखल देने संबंधी बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए, रणधीर जायसवाल ने स्पष्ट किया कि भारत ने अपनी सैन्य कार्रवाई पूरी तरह पारंपरिक तरीके से की थी. राष्ट्रपति ट्रंप ने दावा किया था कि अमेरिका ने भारत और पाकिस्तान के बीच संभावित परमाणु युद्ध को रोकने में भूमिका निभाई थी, लेकिन भारत ने इस पर स्पष्ट रूप से कहा कि इस मामले में कोई परमाणु खतरा नहीं था. भारत ने हमेशा से यह रुख अपनाया है कि कश्मीर का मुद्दा केवल द्विपक्षीय बातचीत के जरिए हल हो सकता है, और इस तरह के मुद्दों में किसी भी तीसरे पक्ष की भूमिका को अस्वीकार किया है.
भारत की दीर्घकालिक नीति
रणधीर जायसवाल ने भारत की दीर्घकालिक नीति को दोहराते हुए कहा, "हमने हमेशा कहा है कि सीमा पार आतंकवाद और परमाणु ब्लैकमेल को हम किसी भी हालत में स्वीकार नहीं करेंगे." उन्होंने यह भी बताया कि भारत ने इस मुद्दे पर कई देशों से बात की है और उन्हें यह चेतावनी दी है कि ऐसे प्रयासों को जारी रखने से पाकिस्तान को अपने ही क्षेत्र में नुकसान उठाना पड़ सकता है.


