'उन्होंने कुछ भी योजना नहीं बनाई थी', बेंगलुरु भगदड़ में मारे गए किशोर के पिता का सरकार पर फूटा गुस्सा
चिन्नास्वामी स्टेडियम में आईपीएल जीत के जश्न के दौरान भारी भीड़ में भगदड़ मच गई, जिसमें 11 लोगों की मौत और 47 घायल हुए. 14 वर्षीय दिव्यांशी की सिर में चोट लगने से मौत हो गई. प्रशासन की खराब व्यवस्था और अपर्याप्त सुरक्षा को लेकर सवाल उठे. राज्य सरकार की योजना विफल रही, जिससे यह त्रासदी हुई.

रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु की आईपीएल जीत के जश्न में शामिल होने के लिए 9वीं कक्षा की छात्रा दिव्यांशी अपने परिवार के साथ चिन्नास्वामी स्टेडियम पहुंची थी. मां और मौसी के साथ वह दोपहर करीब 3 बजे स्टेडियम के गेट नंबर 15 पर पहुंची, जहां पहले से ही भारी भीड़ उमड़ चुकी थी. जश्न का माहौल था, लेकिन कुछ ही समय में स्थिति बिगड़ गई.
अराजकता और हादसा
गेट पर धक्का-मुक्की शुरू हो गई. लाखों लोग एक साथ अंदर जाने की कोशिश कर रहे थे. इसी अफरातफरी में 14 वर्षीय दिव्यांशी का सिर लोहे की बैरिकेड से टकरा गया और वह ज़मीन पर गिर पड़ी. उसकी मां और मौसी ने तुरंत उसे पास के अस्पताल पहुंचाया, लेकिन वहां उसे समय पर इलाज नहीं मिल सक और उसकी मौत हो गई.
पिता की व्यथा और आरोप
दिव्यांशी के पिता शिवकुमार ने नम आंखों से बताया कि मोबाइल नेटवर्क जाम होने की वजह से आपात स्थिति में कोई संपर्क नहीं हो पाया. उन्होंने NDTV से बातचीत में कहा कि स्टेडियम के बाहर कोई प्राथमिक चिकित्सा सुविधा नहीं थी और न ही एम्बुलेंस की व्यवस्था. जब वे अस्पताल पहुंचे तो वहां भी स्टाफ ने उनकी बेटी को छूने तक से परहेज किया. “मेरी पत्नी ने खुद उसे CPR दिया,” उन्होंने बताया.
प्रशासन पर गंभीर सवाल
शिवकुमार ने आयोजन की अव्यवस्था और प्रशासन की लापरवाही की कड़ी आलोचना की. उन्होंने कहा कि अगर यह कोई राजनीतिक रैली होती, तो प्रशासन पूरी तैयारी करता. उन्होंने सवाल उठाया कि जब स्टेडियम की क्षमता 35,000 है, तो लाखों लोगों के लिए सुरक्षा और चिकित्सा इंतजाम क्यों नहीं किए गए?
अन्य पीड़ित और घटनास्थल की स्थिति
दिव्यांशी अकेली नहीं थी जो इस हादसे का शिकार हुई. गेट नंबर 15 और एक अन्य प्रवेश द्वार पर मची भगदड़ में 11 लोगों की जान चली गई और 47 लोग घायल हो गए. मृतकों में किशोर, युवक और महिलाएं शामिल थीं, जिनकी उम्र 13 से 33 साल के बीच थी.
सरकारी कार्यक्रम बना कारण
राज्य सरकार द्वारा विधान सौधा में आयोजित टीम के सम्मान समारोह के चलते पुलिस बल का बड़ा हिस्सा वहां तैनात था. इसकी वजह से चिन्नास्वामी स्टेडियम में भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त पुलिसबल नहीं पहुंच सका. सुरक्षा की यह असमान वितरण भी दुर्घटना की एक बड़ी वजह बन गया.
जिम्मेदार कौन?
इस त्रासदी ने राज्य सरकार की तैयारी पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. बिना योजना और नियंत्रण के इस आयोजन ने एक हर्षोल्लास के अवसर को दुःखद अंत में बदल दिया.


