'इस बार घर में घुस कर बैठ जाना', असदुद्दीन ओवैसी ने पाकिस्तान पर बोला तीखा हमला
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हालिया आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के संबंधों में बढ़े तनाव पर एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने केंद्र सरकार को घेरते हुए तीखी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि भारत पाकिस्तानी चेक पोस्टों में घुसकर कार्रवाई करे. इसके साथ ही ओवैसी ने जाति जनगणना को लेकर सरकार की नीयत और बजटीय प्रावधानों पर सवाल उठाते हुए इसे सिर्फ़ दिखावा करार दिया और रिपोर्ट को 2029 चुनाव से पहले सार्वजनिक करने की मांग की.

एआईएमआईएम प्रमुख और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने गुरुवार को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव पर केंद्र सरकार को घेरते हुए तीखी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने पाकिस्तान पर सीधा निशाना साधते हुए कहा कि यदि भाजपा 'घर में घुसकर मारने' की बात करती है, तो अब समय आ गया है कि सेना पाकिस्तानी चेक पोस्ट में घुसकर वहां डटी रहे.
ओवैसी ने कहा कि मीडिया रिपोर्टों के अनुसार पाकिस्तानी सेना अपनी कुछ अग्रिम चौकियों को खाली कर चुकी है. इस स्थिति का लाभ उठाते हुए भारतीय सेना को न केवल जवाबी कार्रवाई करनी चाहिए, बल्कि उन चेक पोस्टों पर काबिज हो जाना चाहिए. उन्होंने संसद के उस ऐतिहासिक प्रस्ताव की याद दिलाई जिसमें यह कहा गया था कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) भारत का अभिन्न हिस्सा है. उन्होंने कहा, "यह भारतीय संसद का संकल्प है कि पीओके भारत का है. विपक्ष की भी यह मांग है कि आतंकवाद का स्थायी समाधान निकाला जाए. पाकिस्तान पर सख्त कार्रवाई वक्त की ज़रूरत है."
#WATCH | Hyderabad, Telangana: AIMIM chief and MP Asaduddin Owaisi says, "...BJP says 'ghar me ghus ke maarenge'. If you (central government) are taking action this time (against Pakistan), 'toh ghar mein ghus kar baith jana'. It is the resolution of the Indian Parliament that… pic.twitter.com/lFFareuYgY
— ANI (@ANI) May 1, 2025
जाति जनगणना पर सरकार को घेरा
असदुद्दीन ओवैसी ने जाति आधारित जनगणना को लेकर सरकार की मंशा पर गंभीर सवाल उठाए. उन्होंने केंद्र से यह स्पष्ट करने की मांग की कि क्या 2029 के आम चुनावों से पहले इसकी रिपोर्ट सार्वजनिक की जाएगी या नहीं. ओवैसी का कहना था कि यदि सरकार सामाजिक न्याय की सच्ची पक्षधर है, तो जातिगत आंकड़े जल्द सामने लाने चाहिए. उन्होंने कहा, "जाति जनगणना से यह पता चलेगा कि कौन सी जातियां आज भी पिछड़ेपन का सामना कर रही हैं और किसे वास्तव में आरक्षण की जरूरत है. आज ओबीसी को सिर्फ 27 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है, जो पर्याप्त नहीं है. जब तक सटीक आंकड़े नहीं होंगे, तब तक न्यायसंगत आरक्षण की नीति नहीं बन सकती."
बजट और मंशा पर उठाए सवाल
ओवैसी ने आरोप लगाया कि सरकार जाति जनगणना को लेकर गंभीर नहीं है. उन्होंने बताया कि इस वर्ष के बजट में गृह मंत्रालय के अंतर्गत जनगणना आयुक्त कार्यालय को केवल 575 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2019 में कहा था कि जनगणना के लिए 8,254 करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी. उन्होंने तंज कसते हुए कहा, "जब 2019 में मोदी सरकार ने जनगणना के लिए बड़ी रकम की जरूरत बताई थी, तो अब इतनी कम राशि क्यों? क्या यह सिर्फ एक दिखावटी वादा था? न तो स्पष्ट योजना है और न ही ठोस बजट. यह केवल सुर्खियों के लिए किया जा रहा कदम प्रतीत होता है."
कागजी साबित होगा फैसला
प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट कमेटी की बैठक में हाल ही में यह तय किया गया है कि आगामी जनगणना में जातिगत आंकड़े भी एकत्र किए जाएंगे. हालांकि, ओवैसी और अन्य विपक्षी नेताओं का कहना है कि जब तक ठोस कार्यवाही नहीं होती, तब तक ऐसे निर्णय केवल कागज़ी साबित होंगे.


