तीन साल की तबाही के बाद अक्ल आई ठिकाने! नाटो की जिद छोड़ने को तैयार हुए जेलेंस्की, अब चाहते हैं सुरक्षा गारंटी
रूस–यूक्रेन युद्ध समाप्त करने की कोशिशों के तहत यूक्रेन ने नाटो सदस्यता की महत्वाकांक्षा फिलहाल टाल दी है. बदले में कीव पश्चिमी देशों से कानूनी और ठोस सुरक्षा गारंटी चाहता है, जिस पर बर्लिन में बहुपक्षीय वार्ता जारी है.

नई दिल्लीः रूस के साथ जारी युद्ध को खत्म करने की कोशिशों के बीच यूक्रेन ने अपने रुख में बड़ा बदलाव संकेत दिया है. राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने कहा है कि यूक्रेन ने फिलहाल नाटो (NATO) में शामिल होने की अपनी महत्वाकांक्षा को स्थगित करने पर सहमति जताई है. इसके बदले वह पश्चिमी देशों से ठोस और भरोसेमंद सुरक्षा गारंटियां चाहता है. यह बयान उन्होंने जर्मनी की राजधानी बर्लिन में रविवार को उस समय दिया, जब रूस–यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के लिए नई कूटनीतिक वार्ताएं शुरू हुईं.
जर्मनी की मेजबानी
इन वार्ताओं की मेजबानी जर्मन चांसलर फ्रेडरिक मर्ज कर रहे हैं. बर्लिन में जेलेंस्की की मुलाकात अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के विशेष प्रतिनिधि स्टीव विटकॉफ और सलाहकार जेरेड कुशनर से हुई. शुरुआती औपचारिक टिप्पणी के बाद दोनों पक्षों के प्रतिनिधिमंडल विस्तृत चर्चा में जुट गए. जेलेंस्की ने बताया कि यूक्रेन, अमेरिका और यूरोपीय साझेदार मिलकर एक 20-सूत्रीय योजना पर विचार कर रहे हैं, जिसका उद्देश्य युद्धविराम की दिशा में ठोस रास्ता निकालना है.
यूरोपीय नेताओं के शामिल होने की संभावना
सूत्रों के अनुसार, सोमवार को कई अन्य यूरोपीय नेता भी इस प्रक्रिया में शामिल हो सकते हैं. वार्ता से पहले जेलेंस्की ने साफ किया कि अमेरिका, यूरोप और अन्य सहयोगी देशों से मिलने वाली सुरक्षा गारंटियां नाटो सदस्यता का व्यावहारिक विकल्प बन सकती हैं. उन्होंने कहा कि शुरुआत से ही यूक्रेन की प्राथमिकता नाटो में शामिल होना रही है, क्योंकि यही सबसे मजबूत सुरक्षा ढांचा है, लेकिन सभी पश्चिमी साझेदार इस दिशा में एकमत नहीं रहे.
नाटो की जगह कानूनी सुरक्षा गारंटी की मांग
जेलेंस्की ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि मौजूदा परिस्थितियों में अमेरिका के साथ द्विपक्षीय सुरक्षा समझौते, नाटो के आर्टिकल-5 जैसी गारंटियां और यूरोपीय देशों के साथ-साथ कनाडा व जापान जैसे साझेदारों का समर्थन रूस के किसी भी भविष्य के आक्रमण को रोकने में अहम भूमिका निभा सकता है. उन्होंने जोर देकर कहा कि यह यूक्रेन की ओर से किया गया एक बड़ा समझौता है, लेकिन इसके बदले मिलने वाली सुरक्षा गारंटियां कानूनी रूप से बाध्यकारी होनी चाहिए.
20 सूत्रीय योजना
यूक्रेनी राष्ट्रपति के मुताबिक, 20-सूत्रीय योजना में मौजूदा मोर्चों पर युद्धविराम एक संभावित और व्यावहारिक विकल्प के रूप में देखा जा रहा है. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि कीव फिलहाल मॉस्को के साथ सीधे संवाद में शामिल नहीं है. उनका कहना था कि किसी भी समझौते का लक्ष्य सिर्फ लड़ाई रोकना नहीं, बल्कि स्थायी और सम्मानजनक शांति स्थापित करना होना चाहिए.
रूस की पुरानी शर्तें
रूस लंबे समय से मांग करता रहा है कि यूक्रेन नाटो में शामिल होने का विचार छोड़कर तटस्थ देश बने. राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन डोनबास के कुछ इलाकों से यूक्रेनी सेना की वापसी और यूक्रेनी धरती पर नाटो सैनिकों की तैनाती न होने की शर्त भी रखते रहे हैं. हालांकि, जेलेंस्की पहले ही कह चुके हैं कि कोई भी समझौता यूक्रेन की संप्रभुता और गरिमा से समझौता किए बिना होना चाहिए.
युद्ध लंबा खींचने का आरोप
यूक्रेन ने रूस पर आरोप लगाया है कि वह शहरों और महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे पर लगातार मिसाइल और ड्रोन हमले कर युद्ध को जानबूझकर लंबा खींच रहा है. इस बीच ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी जैसे यूरोपीय सहयोगी पहले के अमेरिकी प्रस्तावों को नए सिरे से आकार देने पर काम कर रहे हैं, ताकि एक ऐसा समाधान निकले जो युद्ध रोकने के साथ-साथ यूरोप की दीर्घकालिक सुरक्षा भी सुनिश्चित कर सके.


