'भारत के विदेश मंत्री की बात पर भरोसा नहीं, बाहरियों की बात सुनते हैं', जब जयशंकर के बचाव में उतरे गृह मंत्री अमित शाह
संसद में विदेश मंत्री जयशंकर ने ऑपरेशन सिंदूर पर कहा कि भारत अब आतंकवाद और परमाणु धमकियों से डरने वाला नहीं है. उन्होंने बताया कि अमेरिका की चेतावनी के बावजूद पीएम मोदी ने सख्त जवाब दिया. ऑपरेशन सिंदूर को वैश्विक समर्थन मिला और केवल तीन देशों ने विरोध किया.

संसद के मॉनसून सत्र में सोमवार को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर बड़ी बहस देखने को मिली. विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने लोकसभा में इस अभियान के संदर्भ में पाकिस्तान की हरकतों और भारत की जवाबी कार्रवाई पर विस्तृत जानकारी दी. उन्होंने कहा कि 7 मई को भारत ने पाकिस्तान स्थित आतंकी ठिकानों को निशाना बनाकर सख्त संदेश दिया कि भारत आतंकवाद को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेगा.
अमेरिका की चेतावनी और मोदी का जवाब
जयशंकर ने बताया कि 9 मई की सुबह अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने भारत सरकार से संपर्क कर चेतावनी दी थी कि पाकिस्तान बड़ा हमला कर सकता है. इस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें दो टूक जवाब दिया कि अगर हमला हुआ, तो भारत "मज़बूत और निर्णायक जवाब" देगा. विदेश मंत्री ने स्पष्ट किया कि पीएम मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच 22 अप्रैल से 17 जून के बीच कोई संवाद नहीं हुआ.
विपक्ष पर बरसे अमित शाह
जयशंकर के बयान के दौरान विपक्ष ने सवाल उठाने शुरू कर दिए, जिसके बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह खड़े हुए और विपक्ष पर जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा, "अगर भारत के विदेश मंत्री की बात पर भरोसा नहीं है और विदेशी बयानों को अधिक महत्व दिया जा रहा है, तो यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है." उन्होंने तंज कसते हुए कहा, “आप अगले 20 साल तक वहीं बैठे रहेंगे जहां अभी हैं.”
भारत की कूटनीति का असर
जयशंकर ने बताया कि भारत की सक्रिय कूटनीति के चलते अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी और यूरोपीय संघ ने पाकिस्तान द्वारा फैलाए गए आतंकवाद की खुलकर निंदा की. भारत के दबाव में अमेरिका ने तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पण भी किया. साथ ही, पाकिस्तान ने खुद युद्धविराम की अपील की और भारत से बातचीत की मांग रखी.
अब भारत परमाणु ब्लैकमेल नहीं सहेगा
विदेश मंत्री ने साफ कहा कि भारत अब पाकिस्तान की “परमाणु धमकियों” से डरने वाला नहीं है. उन्होंने कहा, “हमारे पास अपने नागरिकों की सुरक्षा का अधिकार है. जब पाकिस्तान ने हमारी रेड लाइन पार की, तो हमें जवाब देना पड़ा.” उन्होंने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर की जानकारी अंतरराष्ट्रीय समुदाय को साझा की गई और पाकिस्तान की पोल खोली गई.
संयुक्त राष्ट्र में भारत को समर्थन
जयशंकर ने यह भी बताया कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 193 में से केवल तीन देशों ने ऑपरेशन सिंदूर पर आपत्ति जताई, जिनमें पाकिस्तान भी शामिल था. इससे यह स्पष्ट होता है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की रणनीति को व्यापक समर्थन मिला है.


