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'क्या बाहरी लोग तय करेंगे कि कौन सा ईंधन इस्तेमाल किया जाए', सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की E20 पेट्रोल के खिलाफ याचिका

सुप्रीम कोर्ट ने E20 पेट्रोल पर जनहित याचिका खारिज कर दी है. पुराने वाहनों के लिए इथेनॉल-मुक्त विकल्प की मांग अस्वीकार की गई. केंद्र ने कहा यह नीति गन्ना किसानों के लिए लाभकारी, विदेशी मुद्रा बचत और कार्बन उत्सर्जन में कमी लाती है.

Yaspal Singh
Edited By: Yaspal Singh

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार के E20 पेट्रोल के खिलाफ दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया. याचिका में मांग की गई थी कि पुराने वाहनों के लिए इथेनॉल-मुक्त पेट्रोल का विकल्प उपलब्ध कराया जाए. सीजेआई बीआर गवई और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ ने अधिवक्ता अक्षय मल्होत्रा ​​द्वारा दायर याचिका से संबंधित मामले की सुनवाई की.

याचिकाकर्ता की दलील

याचिकाकर्ता अधिवक्ता अक्षय मल्होत्रा ने नीति आयोग की 2021 की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि 2023 से पहले निर्मित वाहन E20 मानक के अनुरूप नहीं हैं. वरिष्ठ अधिवक्ता शादान फरासत ने अदालत में तर्क दिया कि उनका उद्देश्य इथेनॉल मिश्रण का विरोध करना नहीं है, बल्कि उन वाहनों के लिए विकल्प उपलब्ध कराना है, जिन पर E20 पेट्रोल का नकारात्मक असर हो सकता है. उन्होंने यह भी कहा कि रिपोर्टों के मुताबिक E20 के इस्तेमाल से वाहनों की ईंधन दक्षता लगभग छह प्रतिशत तक कम हो सकती है.

अटॉर्नी जनरल की दलील

भारत के अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने याचिका का कड़ा विरोध किया और कहा कि याचिकाकर्ता महज़ “नाम के लिए खड़े किए गए” व्यक्ति हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि इसके पीछे एक बड़ी पेट्रोलियम लॉबी काम कर रही है. वेंकटरमणी ने कहा कि यह नीति गन्ना किसानों के लिए फायदेमंद है और देश की विदेशी मुद्रा बचत में मदद कर रही है. उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा, “क्या भारत के लिए ईंधन नीति विदेशी ताकतें तय करेंगी?”

सुप्रीम कोर्ट का फैसला

दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने साफ किया कि सरकार की इथेनॉल नीति पर दखल देने का कोई आधार नहीं है.

केंद्र का पक्ष

केंद्र सरकार और मंत्रालयों ने लगातार E20 पेट्रोल को लाभकारी बताया है. सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा था कि यह तर्क निराधार है कि E20 वाहनों का माइलेज घटाता है. उनके अनुसार, पेट्रोलियम लॉबी जानबूझकर भ्रम फैला रही है. पेट्रोलियम मंत्रालय ने भी नीति आयोग की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि E20 न केवल बेहतर ड्राइविंग अनुभव देता है बल्कि किसानों की आय बढ़ाने और कार्बन उत्सर्जन घटाने में भी अहम भूमिका निभाता है.

कार्बन उत्सर्जन में कमी

मंत्रालय के अनुसार, E20 पेट्रोल से E10 की तुलना में लगभग 30 प्रतिशत तक कार्बन उत्सर्जन कम होता है. इसके अलावा, यह ईंधन पेट्रोल के रिसर्च ऑक्टेन नंबर (RON) को भी बेहतर बनाता है, जिससे इंजन प्रदर्शन में सुधार होता है.

माइलेज विवाद पर सरकार का रुख

ईंधन दक्षता में गिरावट को लेकर उठाए गए सवालों पर मंत्रालय ने कहा कि माइलेज केवल ईंधन पर निर्भर नहीं करता, बल्कि कई अन्य कारक जैसे ड्राइविंग स्टाइल, वाहन का रखरखाव, टायर प्रेशर और एसी का उपयोग भी इसे प्रभावित करते हैं.

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने केंद्र की इथेनॉल सम्मिश्रण नीति को बड़ी राहत दी है. अब सरकार को E20 पेट्रोल के प्रसार में और तेजी लाने का रास्ता साफ हो गया है. इस नीति से जहां किसानों को सीधा लाभ मिलेगा, वहीं देश का कार्बन फुटप्रिंट घटाने और आयात पर निर्भरता कम करने में भी मदद मिलेगी.

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01 September 2025, 03:53 PM IST

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