कोरोना के बाद भारत में आतंक मचा रहा GBS! असम में 1 और महाराष्ट्र में 5 की मौत
Guillain-Barré Syndrome: कोरोना महामारी के बाद भारत में गिलियन-बैरे सिंड्रोम (GBS) के मामलों में तेजी से इजाफा हो रहा है. महाराष्ट्र में इस बीमारी से पांचवीं मौत की पुष्टि हुई है, जबकि असम में पहली मौत दर्ज की गई है. पुणे में मामलों की संख्या बढ़ने से आईसीयू और वेंटिलेटर पर मरीजों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है.

Guillain-Barré Syndrome: कोरोना महामारी के बाद भारत में गिलियन-बैरे सिंड्रोम (GBS) का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है. महाराष्ट्र में इस गंभीर न्यूरोलॉजिकल बीमारी से पांचवीं मौत दर्ज की गई है, जबकि असम में पहली मौत की पुष्टि हुई है. पुणे में इस बीमारी के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, जिससे आईसीयू में भर्ती मरीजों की संख्या और वेंटिलेटर सपोर्ट की जरूरत में इजाफा हुआ है. विशेषज्ञों ने इस प्रकोप के संभावित कारणों में जल प्रदूषण को भी जोड़ा है.
पिछले कुछ दिनों में पुणे महानगर क्षेत्र में जीबीएस के मामले बढ़कर 149 हो गए हैं. खासतौर पर हाल ही में जोड़े गए ग्रामीण इलाकों में इसका असर अधिक देखा जा रहा है. स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, इस बीमारी के चलते आईसीयू में भर्ती मरीजों की संख्या 45 से बढ़कर 83 हो गई है, जबकि वेंटिलेटर पर रखे गए मरीजों की संख्या 28 हो गई है.
महाराष्ट्र और असम में मौत के नए मामले
महाराष्ट्र में जीबीएस से पांचवीं मौत पुणे के ससून अस्पताल में दर्ज की गई. यहां नांदेड़ गांव के 60 वर्षीय व्यक्ति की इलाज के दौरान मृत्यु हो गई. वह 16 जनवरी से अस्पताल में भर्ती थे और 21 जनवरी की आधी रात को उनकी मौत हो गई.
असम में इस बीमारी से पहली मौत गुवाहाटी के प्रतीक्षा अस्पताल में हुई, जहां 17 वर्षीय एक लड़की को भर्ती कराया गया था.
पश्चिम बंगाल के कोलकाता में भी जीबीएस से पीड़ित दो संदिग्ध मरीजों—10 और 17 वर्षीय लड़कों—के मामले सामने आए हैं, हालांकि उनकी आधिकारिक पुष्टि बाकी है.
गंभीर मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी
पुणे में जीबीएस के मामलों में तेजी से वृद्धि होने के कारण गंभीर मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है. ससून अस्पताल के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, हाल में जिन मरीजों की हालत बिगड़ी, उनमें से एक खड़कवासला का निवासी था, जहां इस बीमारी के कई मामले दर्ज किए गए हैं.
"रोगी को अस्पताल लाने से पहले सात दिनों तक दस्त की शिकायत थी. जब वह अस्पताल पहुंचा, तब तक उसकी हालत काफी बिगड़ चुकी थी और उसे चतुर्ध्रुवी पक्षाघात (हाथ-पैरों का पक्षाघात) हो गया था. इसके अलावा, उसे स्वायत्त शिथिलता और उच्च रक्तचाप भी था," अधिकारी ने बताया.
इस बीच, ससून अस्पताल के डीन डॉ. एकनाथ पवार ने बताया, "हमने शनिवार को पांच जीबीएस मरीजों को डिस्चार्ज कर दिया है. वर्तमान में अस्पताल में 27 मरीज भर्ती हैं और अगले दो-तीन दिनों में 10 और मरीजों को छुट्टी दी जा सकती है."
प्रदूषित पानी बना संभावित कारण
विशेषज्ञ इस प्रकोप के संभावित कारणों की जांच कर रहे हैं, जिसमें जल प्रदूषण की संभावना भी शामिल है. पहले संदेह था कि जीबीएस से प्रभावित मरीजों के मल नमूनों में पाए गए कैम्पिलोबैक्टर जेजुनी बैक्टीरिया का संबंध पानी से हो सकता है, लेकिन जल नमूनों में इस बैक्टीरिया की पुष्टि नहीं हुई.
हालांकि, जीबीएस प्रभावित इलाकों में जल आपूर्ति करने वाले निजी टैंकरों से लिए गए 15 नमूनों की जांच में कोलीफॉर्म और ई. कोली बैक्टीरिया का उच्च स्तर पाया गया. इनमें से 14 नमूने ई. कोली पॉजिटिव पाए गए, जिसमें प्रति 100 मिलीलीटर पानी में 16 से अधिक की मात्रा थी. गौरतलब है कि सुरक्षित पेयजल में ई. कोली की उपस्थिति शून्य होनी चाहिए.
सरकारी कदम और जनता के लिए चेतावनी
स्वास्थ्य विभाग ने प्रभावित क्षेत्रों में जल आपूर्ति की गुणवत्ता की सख्त निगरानी शुरू कर दी है और संदिग्ध जल स्रोतों की जांच के आदेश दिए हैं. नागरिकों को यह सलाह दी गई है कि वे उबला हुआ या फ़िल्टर किया हुआ पानी ही पिएं और स्वच्छता का पूरा ध्यान रखें.
विशेषज्ञों के अनुसार, जीबीएस एक दुर्लभ लेकिन गंभीर न्यूरोलॉजिकल स्थिति है, जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा तंत्रिका तंत्र पर हमला करने के कारण उत्पन्न होती है. यह स्थिति अस्थायी रूप से पक्षाघात का कारण बन सकती है, लेकिन यदि समय पर इलाज किया जाए तो मरीज ठीक हो सकते हैं.


