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160 प्लस...दिल्ली-बिहार जीतने के बाद बीजेपी का मिशन बंगाल, ममता बनर्जी को घेरने की तैयारी

भाजपा बंगाल चुनाव 2025 के लिए ममता बनर्जी से ज्यादा टीएमसी के जमीनी कार्यकर्ताओं और अभिषेक बनर्जी पर निशाना साधने की रणनीति बना रही है. दलबदल से दूरी रखते हुए पार्टी ध्रुवीकरण, घुसपैठ और संगठन मजबूती पर फोकस कर रही है.

Yaspal Singh
Edited By: Yaspal Singh

नई दिल्लीः दिल्ली और बिहार में जीत के बाद अब भारतीय जनता पार्टी की नजर अगले बड़े लक्ष्य पश्चिम बंगालपर है. बिहार में मिली शानदार सफलता के बाद पार्टी नई ऊर्जा के साथ पूर्व की ओर बढ़ रही है. बंगाल में अगले साल मार्च-अप्रैल में चुनाव होने हैं और भाजपा पहले से ही अपनी चुनावी रणनीतियों को धार देने में जुट गई है.

सूत्रों के मुताबिक भाजपा इस बार सीधे मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर हमला करने से ज्यादा फोकस उनकी पार्टी के जमीनी कार्यकर्ताओं और संगठन पर करेगी. पार्टी का मानना है कि कई तृणमूल कार्यकर्ता अभिषेक बनर्जी के प्रति खास वफादारी नहीं रखते और यही भाजपा के लिए बड़ा मौका बन सकता है.

भाजपा के निशाने पर अभिषेक बनर्जी

ममता बनर्जी के भतीजे और TMC के प्रभावशाली नेता अभिषेक बनर्जी पर भाजपा वंशवाद का मुद्दा उठाकर हमला करने की तैयारी कर रही है. भाजपा नेताओं के अनुसार बंगाल की राजनीति में वंशवाद कभी अहम नहीं रहा, ऐसे में अभिषेक को भविष्य के मुख्यमंत्री के रूप में पेश किए जाने का संदेश पार्टी की छवि पर सवाल खड़ा करता है.

भाजपा का मानना है कि अभिषेक बनर्जी को उनकी बुआ ममता जितनी लोकप्रियता या पकड़ हासिल नहीं है. पार्टी इसे एक अवसर मानती है जिसके जरिए वह तृणमूल के जमीनी ढांचे में सेंध लगा सकती है.

दलबदल नहीं, कार्यकर्ताओं पर फोकस

2021 के चुनाव से पहले भाजपा ने तृणमूल के कई बड़े नेताओं को अपने पाले में किया था, जिनमें सुुवेंदु अधिकारी सबसे प्रमुख थे. उन्होंने नंदीग्राम से ममता बनर्जी को हराकर भाजपा को बड़ा मनोबल दिया. लेकिन इस बार भाजपा किसी बड़े दलबदल पर जोर नहीं देने वाली है. नेतृत्व का मानना है कि शीर्ष नेताओं को शामिल करने से वोट प्रतिशत में बड़ा फायदा नहीं मिलता. इसके बजाय कार्यकर्ताओं को जोड़ने से संगठन मजबूत होता है, मेहनत बढ़ती है, और पार्टी जमीनी स्तर पर अपनी पकड़ बना पाती है.

बंगाल का समीकरण

बिहार में भाजपा ने जातिगत समीकरण का शानदार इस्तेमाल किया. लेकिन बंगाल में जाति राजनीति की अहमियत कम है, इसलिए भाजपा इस बार क्षेत्रीय और धार्मिक संतुलन पर दांव लगाएगी. राज्य की लगभग 30% आबादी मुस्लिम है, पर उनका असर करीब 30–40 सीटों तक सीमित है. भाजपा का आकलन है कि तृणमूल को मुस्लिम इलाकों से मिलने वाले बड़े वोटों का चुनावी परिणामों पर सीमित प्रभाव पड़ता है. इसके जवाब में पार्टी हिंदू मतदाताओं के ध्रुवीकरण पर फोकस कर रही है.

फिर उठेगा पुराना मुद्दा 

सीमा सुरक्षा और अवैध घुसपैठ का मुद्दा एक बार फिर भाजपा की रणनीति का अहम हिस्सा होगा. पार्टी लंबे समय से ममता सरकार पर बांग्लादेशी घुसपैठ पर नरमी बरतने का आरोप लगाती रही है. वहीं TMC भाजपा पर बाहरी पार्टी होने का ठप्पा लगाकर पलटवार करती है.

संख्या का खेल

पिछले दो लोकसभा और दो विधानसभा चुनावों में भाजपा ने बंगाल में मजबूत वृद्धि दर्ज की है.

2019 लोकसभा: 18 सीटें, 40% वोट

2021 विधानसभा: 77 सीटें, 38% वोट

हालांकि 2024 के चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन थोड़ा कमजोर रहा. चुनाव जीतने के लिए भाजपा को लगभग 6% अतिरिक्त वोट चाहिए, जो आसान नहीं होगा.

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24 November 2025, 07:09 PM IST

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