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2020 की झड़प से 2026 की फिल्म तक: क्या है गलवान घाटी का इतिहास? सलमान की फिल्म से चीन को लगी मिर्ची

सलमान खान की फिल्म बैटल ऑफ गलवान के टीजर ने गलवान घाटी को फिर चर्चा में ला दिया है. 2020 की भारत-चीन झड़प, घाटी का सामरिक महत्व और चीन की आपत्ति एक बार फिर बहस का कारण बन गई है.

लद्दाख की गलवान घाटी एक बार फिर सुर्खियों में है, लेकिन इस बार वजह सीमा पर हुई कोई नई झड़प नहीं, बल्कि सलमान खान की आने वाली फिल्म 'बैटल ऑफ गलवान' और उस पर चीन की कड़ी प्रतिक्रिया है. फिल्म के टीजर ने पुराने जख्मों को फिर से ताजा कर दिया है और भारत-चीन संबंधों पर बहस को दोबारा हवा दी है.

ससे पहले करीब पांच साल पहले यह घाटी तब सुर्खियों में आई थी, जब भारत और चीन के सैनिक आमने-सामने हुए थे. उस हिंसक संघर्ष में कई भारतीय जवान शहीद हुए, जबकि चीन को भी नुकसान झेलना पड़ा था. इससे भी पहले गलवान घाटी तब चर्चा में आई थी, जब पहली बार इसके अस्तित्व और महत्व के बारे में दुनिया को पता चला.

कैसे पड़ा गलवान घाटी का नाम 

गलवान घाटी का नाम उन्नीसवीं सदी के एक कश्मीरी गाइड गुलाम रसूल गलवान से जुड़ा है. ब्रिटिश दौर में जब विदेशी खोजकर्ता लद्दाख और काराकोरम क्षेत्र के दुर्गम इलाकों का नक्शा बना रहे थे, तब स्थानीय गाइड उनकी सबसे बड़ी ताकत थे. गुलाम रसूल गलवान ने श्योक नदी और आसपास के कठिन रास्तों को जोड़ने वाला एक अहम मार्ग खोजा. धीरे-धीरे उसी के नाम पर नदी और फिर पूरी घाटी को “गलवान” कहा जाने लगा. एक साधारण गाइड का नाम आज दुनिया के सबसे संवेदनशील इलाकों में गिना जाता है.

गलवान घाटी क्यों है खास?

गलवान घाटी सिर्फ एक पहाड़ी इलाका नहीं है, बल्कि भारत-चीन सीमा विवाद का अहम केंद्र है. यह इलाका वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के बेहद पास स्थित है. यहीं से दौलत बेग ओल्डी एयर स्ट्रिप और उससे जुड़ी सड़कों की सुरक्षा तय होती है. ऊंचाई, बर्फ, कम ऑक्सीजन और कठिन मौसम इसे सैन्य दृष्टि से बेहद चुनौतीपूर्ण बनाते हैं. भारत और चीन, दोनों के लिए यह क्षेत्र सामरिक बढ़त से जुड़ा हुआ है.

गलवान विवाद का इतिहास

जून 2020 में गलवान घाटी उस समय दुनिया भर में चर्चा में आ गई, जब भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई. बिना गोली चले, हाथापाई और डंडों से हुई इस लड़ाई में 20 भारतीय जवान शहीद हो गए. चीन ने भी अपने सैनिकों के नुकसान की बात मानी, हालांकि आंकड़ों को लेकर विवाद रहा. इस घटना ने दोनों देशों के रिश्तों में गहरी खटास पैदा कर दी. 

फिल्म 'बैटल ऑफ गलवान' और विवाद

सलमान खान की फिल्म बैटल ऑफ गलवान 2020 की इसी घटना से प्रेरित बताई जा रही है. टीजर में भारतीय सैनिकों की बहादुरी, कठिन हालात और बलिदान को दिखाया गया है. माना जा रहा है कि सलमान फिल्म में कर्नल बी. संतोष बाबू से प्रेरित किरदार निभा रहे हैं. फिल्म 2026 में रिलीज होगी. 

टीज़र सामने आते ही चीन के सरकारी मीडिया ने आरोप लगाया कि फिल्म इतिहास को एकतरफा तरीके से पेश कर रही है. चीन का कहना है कि बॉलीवुड इस मुद्दे को राजनीतिक रंग दे रहा है और राष्ट्रवादी भावनाएं भड़का रहा है. बीजिंग इसे सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि राजनीतिक संदेश मान रहा है.

गलवान घाटी का बड़ा संदेश

गलवान घाटी आज सिर्फ एक जगह नहीं, बल्कि इतिहास, राजनीति और सिनेमा का संगम बन चुकी है. यह दिखाती है कि आधुनिक दौर में सीमाओं की लड़ाई सिर्फ जमीन पर नहीं, बल्कि कहानियों और विचारों के स्तर पर भी लड़ी जाती है. गलवान अब भारतीय स्मृति का स्थायी हिस्सा बन चुकी है.

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