भारत इसका हकदार था" - 26/11 के बाद तहव्वुर राणा का चौंकाने वाला बयान सामने आया
तहव्वुर राणा और डेविड हेडली के बीच हुई बातचीत को अमेरिका की एजेंसियों ने इंटरसेप्ट किया था. इसका ब्यौरा अमेरिकी न्याय विभाग ने राणा के प्रत्यर्पण के बाद 10 अप्रैल को जारी अपने आधिकारिक बयान में साझा किया है.

मुंबई में 2008 में हुए आतंकवादी हमलों के आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा को अमेरिका से भारत प्रत्यर्पित कर दिया गया है. अमेरिका में हिरासत में रहने के दौरान उसकी बातचीत को इंटरसेप्ट किया गया था, जिसमें उसने इन हमलों को भारत के लिए न्यायसंगत बताया था. उसका यह भी मानना था कि लश्कर-ए-तैयबा के हमलावरों को पाकिस्तान का सर्वोच्च सैन्य सम्मान 'निशान-ए-हैदर' दिया जाना चाहिए.
अमेरिकी न्याय विभाग ने साझा की जानकारी
अमेरिकी न्याय विभाग ने 10 अप्रैल को राणा के प्रत्यर्पण के बाद यह जानकारी साझा की. उसके मुताबिक राणा ने हमले के सह-साजिशकर्ता और अपने बचपन के मित्र डेविड कोलमैन हेडली से बातचीत में आतंकियों की सराहना की थी. 64 वर्षीय राणा मूल रूप से पाकिस्तान का रहने वाला है और कनाडा का नागरिक है. वह 2020 से अमेरिका में बंद था, लेकिन अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट द्वारा उसकी अपीलें खारिज किए जाने के बाद उसे भारत भेजने का रास्ता साफ हो गया. उसे एक विशेष विमान के ज़रिए दिल्ली लाया गया और यहां पहुंचते ही राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने गिरफ्तार कर लिया. फिलहाल उसे 18 दिन की हिरासत में पूछताछ के लिए भेजा गया है.
अमेरिकी दस्तावेज़ में बताया गया है कि राणा पर भारत में हत्या, आतंकवादी गतिविधियों की साजिश और जालसाजी जैसे गंभीर आरोप हैं. वह लश्कर-ए-तैयबा, हरकत-उल-जिहादी इस्लामी और अन्य पाकिस्तानी आतंकवादी संगठनों के साथ मिलकर हमले की योजना में शामिल था.
राणा ने की डेविड हेडली की मदद
भारत का यह भी आरोप है कि राणा ने डेविड हेडली को भारतीय वीज़ा दिलाने और उसे एक वैध कवर प्रदान करने में मदद की, जिससे वह मुंबई में हमले से पहले रेकी कर सका. राणा ने अपने व्यापार के नाम पर हेडली को भारत में एक ऑफिस खोलकर वहां का प्रबंधक नियुक्त किया, जबकि उसे इस क्षेत्र में कोई अनुभव नहीं था.
अमेरिका के मुताबिक, राणा ने हेडली के झूठे दस्तावेज़ तैयार करने और अधिकारियों को गुमराह करने में भी मदद की. 26 से 29 नवंबर 2008 के दौरान हुए इन हमलों में 166 लोग मारे गए थे, जिनमें छह अमेरिकी नागरिक भी शामिल थे, जबकि सैकड़ों लोग घायल हुए. इस घटना को भारत के इतिहास की सबसे भीषण आतंकवादी घटनाओं में गिना जाता है.


