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15 महीने की देरी के बाद 22 जुलाई को भारत पहुंचेगी अपाचे हेलीकॉप्टर की पहली खेप, इस राज्य में तैयार हुई स्क्वाड्रन

15 महीने की देरी के बाद भारतीय सेना को अपाचे AH-64E अटैक हेलीकॉप्टरों की पहली खेप 22 जुलाई को मिलने की संभावना है. यह डिलीवरी ऑपरेशन सिंदूर के तहत पश्चिमी सीमा पर सैन्य क्षमताओं को मज़बूत करेगी. उन्नत लक्ष्यीकरण, उच्च मारक क्षमता और टोही संसाधनों के साथ सेना की आक्रामक और रक्षात्मक रणनीति को नई ताकत मिलेगी.

Yaspal Singh
Edited By: Yaspal Singh

करीब 15 महीनों की देरी के बाद, भारतीय सेना को आखिरकार अमेरिका से मंगवाए गए अत्याधुनिक अपाचे एएच-64ई अटैक हेलीकॉप्टर की पहली खेप मिलने की संभावना है. यह डिलीवरी ऑपरेशन सिंदूर के तहत सेना की पश्चिमी सीमा पर लड़ाकू क्षमताओं को और मज़बूत करने की दिशा में एक अहम कदम मानी जा रही है. सूत्रों के अनुसार, पहले तीन हेलीकॉप्टर 22 जुलाई को भारतीय सेना की एविएशन कोर को सौंपे जा सकते हैं.

अमेरिका से हुआ था 600 मिलियन डॉलर का सौदा

भारतीय सेना ने वर्ष 2020 में अमेरिका के साथ 600 मिलियन अमेरिकी डॉलर का अनुबंध किया था, जिसके तहत छह अपाचे हेलीकॉप्टरों की आपूर्ति की जानी थी. डिलीवरी मई–जून 2024 तक पूरी होनी थी, लेकिन अमेरिका में तकनीकी दिक्कतों और सप्लाई चेन में रुकावटों के चलते यह समयसीमा दिसंबर 2024 तक टल गई. हेलीकॉप्टरों को दो बैचों में भारत आना था, लेकिन पहला बैच अब तक भारत नहीं पहुंच पाया है.

जोधपुर में तैयार स्क्वाड्रन

मार्च 2024 में जोधपुर के नागतलाव में भारतीय सेना ने पहला अपाचे स्क्वाड्रन तैयार किया. पायलटों और ग्राउंड स्टाफ को पूरी ट्रेनिंग दी गई, लेकिन अब तक स्क्वाड्रन के पास हेलीकॉप्टर नहीं हैं. इस देरी ने पश्चिमी सीमा पर खतरों को देखते हुए सेना की युद्ध तत्परता को प्रभावित किया है.

अपाचे की खूबियां

अपाचे एएच-64ई हेलीकॉप्टर दुनिया के सबसे उन्नत अटैक हेलीकॉप्टरों में से एक हैं. इनमें अत्याधुनिक टार्गेटिंग सिस्टम, लंबी दूरी की मारक क्षमता और उड़ान में चपलता शामिल है. ये दुश्मन के टैंकों, बंकरों और ग्राउंड टारगेट्स को बेहद सटीकता से निशाना बना सकते हैं. भारतीय वायुसेना ने 2015 में 22 अपाचे हेलीकॉप्टर पहले ही शामिल कर लिए थे, जबकि सेना को अब तक इनका इंतजार करना पड़ा.

एविएशन कोर की अन्य ताकतें

भारतीय सेना की एविएशन कोर, जो अग्रिम मोर्चों पर कार्यरत रहती है, के पास पहले से ही कई उन्नत हेलीकॉप्टर और विमानों की एक विस्तृत श्रृंखला है. इसमें ध्रुव ALH, रुद्र (सशस्त्र ALH), चेतक, चीता, और लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर (LCH) शामिल हैं. हाल ही में तटरक्षक बल के एक ALH के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद इसकी उड़ानों पर अस्थायी रोक लगाई गई थी, जिसे अब सीमित रूप से मंजूरी दी गई है.

UAVs और अन्य संसाधन

सेना निगरानी और टोही अभियानों के लिए हेरॉन और सर्चर UAVs का भी उपयोग करती है. इसके अलावा MI-17 हेलीकॉप्टरों का प्रयोग निकासी और रसद अभियानों के लिए किया जाता है, जबकि डोर्नियर 228 जैसे फिक्स्ड विंग एयरक्राफ्ट संचार और टोही में मदद करते हैं.

ऑपरेशन सिंदूर को मिलेगा नया बल

अपाचे हेलीकॉप्टरों की तैनाती से भारतीय सेना की आक्रामक और रक्षात्मक दोनों क्षमताओं में बड़ा सुधार होगा. ऑपरेशन सिंदूर के तहत चल रहे अभियानों में यह नया आयाम सेना की रणनीतिक तैयारियों को मजबूती देगा. अपाचे के आने से पश्चिमी सीमा पर किसी भी संभावित खतरे से निपटने में सेना पहले से कहीं अधिक सक्षम होगी.

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20 July 2025, 02:49 PM IST

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