लद्दाख में विरोध प्रदर्शनों के बीच सरकार का बड़ा फैसला, सोनम वांगचुक के NGO का विदेशी फंडिंग लाइसेंस रद्द
Sonam Wangchuk NGO license cancelled : केंद्र सरकार ने लद्दाख में हालिया हिंसक प्रदर्शनों के बाद सोनम वांगचुक की संस्था SECMOL का FCRA लाइसेंस तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया है. गृह मंत्रालय के अनुसार, यह एनजीओ विदेशी फंडिंग नियमों का बार-बार उल्लंघन कर रहा था. प्रदर्शन में चार लोगों की मौत और कई घायल हुए थे. इस निर्णय ने लद्दाख में पर्यावरण और स्वशासन को लेकर चल रहे आंदोलन को नया मोड़ दे दिया है.

Sonam Wangchuk NGO license cancelled : केंद्र सरकार ने लद्दाख के जाने-माने पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक द्वारा संचालित गैर-सरकारी संगठन SECMOL (Students’ Educational and Cultural Movement of Ladakh) का विदेशी फंडिंग लाइसेंस FCRA कानून के तहत रद्द कर दिया है. गृह मंत्रालय (MHA) के अनुसार, यह कदम एनजीओ द्वारा बार-बार विदेशी फंडिंग संबंधी नियमों के उल्लंघन के कारण उठाया गया है. सरकार का दावा है कि SECMOL ने विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम के कई प्रावधानों का उल्लंघन किया, जिससे उसके पंजीकरण को निरस्त करना आवश्यक हो गया.
लद्दाख हिंसा के 24 घंटे बाद आया निर्णय
Govt cancels FCRA licence of activist Sonam Wangchuk-led Students' Educational and Cultural Movement of Ladakh: Order.
— Press Trust of India (@PTI_News) September 25, 2025
वांगचुक का जवाब: बलि का बकरा बनाया जा रहा
सरकारी आरोपों के जवाब में वांगचुक ने कहा है कि उन्हें बलि का बकरा बनाया जा रहा है और यह पूरी कार्रवाई जनभावनाओं को दबाने का प्रयास है. उन्होंने चेतावनी दी कि यदि उन्हें जन सुरक्षा अधिनियम (PSA) के तहत गिरफ्तार किया गया, तो इससे हालात और अधिक बिगड़ सकते हैं. वांगचुक का यह भी कहना है कि सरकार उनकी गिरफ्तारी की योजना बना रही है ताकि उन्हें दो साल तक हिरासत में रखा जा सके. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अगर सरकार उन्हें जेल भेजना चाहती है तो वह इसके लिए तैयार हैं, पर यह कदम सरकार के लिए अधिक समस्याएं उत्पन्न कर सकता है.
MHA का आरोप और राजनीतिक रंग
गृह मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि वांगचुक और कुछ राजनीतिक उद्देश्यों से प्रेरित लोग, जो सरकार और लद्दाखी प्रतिनिधियों के बीच चल रही बातचीत से संतुष्ट नहीं हैं, उन्हीं की भड़काऊ टिप्पणियों के चलते भीड़ हिंसक हुई. इस घटनाक्रम को राजनीतिक रंग दिए जाने की भी कोशिशें हो रही हैं, क्योंकि लद्दाख की मौजूदा स्थिति और उसमें शामिल आंदोलनों ने अब राष्ट्रीय चर्चा का रूप ले लिया है.


