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धर्मस्थल मामले की जांच में एक और यू-टर्न, महिला ने बेटी के 'गायब होने' का किया झूठा दावा

धर्मस्थल मामले में सुजाता भट्ट ने स्वीकार किया कि अनन्या भट्ट नाम की उनकी कोई बेटी नहीं थी. उनके झूठे आरोप कार्यकर्ताओं के उकसावे और संपत्ति विवाद से जुड़े पाए गए. एसआईटी जांच में खोपड़ी व नर कंकाल बरामद हुए लेकिन आरोप बेबुनियाद साबित हुए, जिससे मामला मनगढ़ंत कहानी बन गया.

Yaspal Singh
Edited By: Yaspal Singh

Sujata Bhatt: धर्मस्थल मामले ने नाटकीय मोड़ ले लिया है. सुजाता भट्ट ने खुद यह स्वीकार किया कि उनके आरोप झूठे थे. एक इंटरव्यू में उन्होंने साफ कहा कि अनन्या भट्ट नाम की उनकी कोई बेटी थी ही नहीं. यही वही लड़की थी, जिसके बारे में उन्होंने पहले दावा किया था कि वह 2003 में धर्मस्थल से लापता हो गई थी.

झूठे दावों के पीछे की कहानी

एक रिपोर्ट के मुताबिक, सुजाता ने खुलासा किया कि उन्हें कुछ कार्यकर्ताओं गिरीश मत्तनवर, जयंत टी और अन्य ने इस मामले में शिकायत दर्ज करने के लिए उकसाया था. इन कार्यकर्ताओं का मंदिर प्रशासन के साथ संपत्ति विवाद चल रहा था और उसी संघर्ष के चलते सुजाता को आगे कर दिया गया. रिपोर्ट के अनुसार, सुजाता का यह नया बयान उनके पुराने आरोपों से बिल्कुल उलट है. पहले वे कह चुकी थीं कि उनकी 18 वर्षीय बेटी मंदिर में दर्शन के दौरान लापता हो गई थी. इतना ही नहीं, उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि सच की पड़ताल करने पर उनका खुद अपहरण हुआ और उन्हें तीन महीने तक अस्पताल में कोमा में रखा गया.

एसआईटी जांच

कर्नाटक सरकार ने इस विवाद के बढ़ने पर एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया. इसका मकसद धर्मस्थल में कथित हत्याओं, यौन शोषण और सामूहिक दफन के आरोपों की सच्चाई सामने लाना था. इसी दौरान एक गवाह को सामने लाया गया, जिसने सनसनीखेज दावे किए. उसने कहा कि उसे मजबूर किया गया कि वह महिलाओं और लड़कियों के शवों को धर्मस्थल की जमीन में दफन करे. उसने यह भी आग्रह किया कि कब्रों को उसकी मौजूदगी में फिर से खोला जाए ताकि पीड़ितों के साथ हुए यौन अपराधों के सबूत सामने आ सकें.

इस गवाह ने जांच एजेंसियों को एक खोपड़ी भी सौंप दी, जिसके बारे में उसने दावा किया कि वह इन्हीं कब्रों में से मिली है. उसे शुरुआती दौर में गवाह संरक्षण अधिनियम के तहत सुरक्षा दी गई थी, लेकिन बाद में पुलिस सूत्रों ने बताया कि यह सुरक्षा हटा ली गई है.

मानव अवशेषों की बरामदगी

जांच की दिशा तब और गंभीर हो गई जब 7 अगस्त को कर्नाटक के गृह मंत्री परमेश्वर ने घोषणा की कि एसआईटी ने मंगलुरु जिले के धर्मस्थल क्षेत्र में चिन्हित कब्रिस्तानों से मानव हड्डियों और एक पूर्ण नर कंकाल को बरामद किया है. इन अवशेषों को फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला भेजा गया ताकि उनकी वैज्ञानिक जांच हो सके और यह पता लगाया जा सके कि क्या इनमें किसी अपराध के सबूत हैं.

कहानी का बदलता चेहरा

शुरुआत में यह मामला एक मां की न्याय की जंग के रूप में देखा गया, लेकिन सुजाता भट्ट के हालिया कबूलनामे ने पूरे घटनाक्रम को सवालों के घेरे में ला दिया है. उनके बयान ने स्पष्ट कर दिया कि अनन्या भट्ट जैसी कोई बेटी अस्तित्व में ही नहीं थी. इससे यह भी उजागर होता है कि निजी मतभेद और संपत्ति विवाद जैसे कारणों से किस तरह से सनसनीखेज आरोप गढ़े गए. अब यह मामला सिर्फ जांच का नहीं, बल्कि जनमानस के विश्वास से भी जुड़ गया है. लोग पूछ रहे हैं कि क्या इस तरह की मनगढ़ंत कहानियों के जरिए समाज में भ्रम फैलाना और धार्मिक संस्थानों की छवि धूमिल करना एक सोची-समझी रणनीति थी.

 

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23 August 2025, 02:45 PM IST

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