Atul Subhash Suicide Case: सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, बेटे की कस्टडी पत्नी को सौंपी... मचा बवाल!'
बेंगलुरू के इंजीनियर अतुल सुभाष की आत्महत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने नाबालिग बेटे की कस्टडी उनकी पत्नी को सौंप दी है, जबकि मां ने कस्टडी की मांग की थी. हालांकि, निकिता सिंघानिया पर आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप है, लेकिन कोर्ट ने उन्हें दोषी नहीं ठहराया. जानिए, इस मामले में आगे क्या होने वाला है और सुप्रीम कोर्ट ने कस्टडी पर क्या फैसला सुनाया? पूरा मामला पढ़ने के लिए लिंक पर क्लिक करें.

Atul Subhash Suicide Case: भारत में एक और जघन्य आत्महत्या मामले में, बेंगलुरू के इंजीनियर अतुल सुभाष की आत्महत्या के बाद सुप्रीम कोर्ट ने उनके नाबालिग बेटे की कस्टडी की स्थिति पर फैसला सुनाया. सोमवार को उच्चतम न्यायालय ने यह फैसला किया कि अतुल की पत्नी, निकिता सिंघानिया, को अपने बेटे की देखभाल की जिम्मेदारी दी जाएगी. हालांकि, निकिता सिंघानिया अपने परिवार के साथ आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोपों का सामना कर रही हैं, फिर भी कोर्ट ने उन्हें कस्टडी देने का आदेश दिया.
कस्टडी विवाद और मां का याचिका खारिज
अतुल सुभाष की मां अंजू देवी ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने अपने पोते की कस्टडी की मांग की थी. उनका कहना था कि बच्चों को बोर्डिंग स्कूल में नहीं भेजना चाहिए, और वह अपने पोते की देखभाल के लिए अधिक सक्षम हैं. लेकिन अदालत ने उनकी याचिका को खारिज करते हुए कहा कि अंजू देवी बच्चे के लिए "अजनबी" थीं. अदालत ने इस मामले में बच्चे से भी बात करने की इच्छा जताई, जो फिलहाल हरियाणा के बोर्डिंग स्कूल में पढ़ाई कर रहा है.
आत्महत्या के नोट में आरोप
अतुल सुभाष की मृत्यु 9 दिसंबर 2024 को हुई थी. उन्होंने अपने मृत शरीर के पास 24 पन्नों का एक नोट और 81 मिनट का एक वीडियो छोड़ा था, जिसमें उन्होंने अपनी पत्नी और उसके परिवार पर उत्पीड़न के आरोप लगाए थे. अतुल ने अपनी पत्नी, ससुराल और परिवार के खिलाफ कई आरोप लगाए थे, जिनमें दहेज उत्पीड़न, हत्या के प्रयास, और अप्राकृतिक यौन संबंध शामिल थे. इन आरोपों की वजह से सुभाष ने अपने परिवार के खिलाफ केस भी दर्ज कराए थे.
आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला
अतुल के भाई, विकास कुमार ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी और आरोप लगाया था कि निकिता और उसके परिवार ने अतुल को आत्महत्या के लिए उकसाया. इसके बाद पुलिस ने आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया और निकिता के खिलाफ गिरफ्तारी भी की. बाद में उन्हें जमानत मिल गई. इस बीच, कोर्ट ने कहा कि निकिता और उसके परिवार के खिलाफ आरोपों को लेकर अभी तक कोई ठोस प्रमाण नहीं मिले हैं, इसलिए इस पर आगे की जांच की जाएगी.
समाज में बढ़ती चिंता
इस घटना ने समाज में यह सवाल खड़ा किया है कि क्या व्यक्तिगत विवादों और परिवारिक तनावों का इतना गंभीर परिणाम हो सकता है, जिसमें आत्महत्या तक की नौबत आ जाए. साथ ही, अदालत ने इस मामले में मीडिया कवरेज को ध्यान में रखते हुए निष्कर्ष पर पहुंचने से बचने की सलाह दी है. अब, इस मामले में अगले कदम के रूप में कोर्ट से और भी महत्वपूर्ण फैसले हो सकते हैं, जो इस जघन्य घटना के असल कारणों को उजागर करेंगे.