बेंगलुरु भगदड़ केसः कर्नाटक सरकार की इमेज सुधारने की कोशिश, हटाए गए सीएम के राजनीतिक सचिव, सूचना प्रमुख का भी तबादला
चिन्नास्वामी स्टेडियम में हुई भगदड़ के बाद कर्नाटक सरकार ने सख्त कार्रवाई करते हुए मुख्यमंत्री के राजनीतिक सचिव के गोविंदराज को बर्खास्त किया, पुलिस आयुक्त सहित कई अधिकारियों को निलंबित किया और सूचना विभाग प्रमुख हेमंत निंबालकर का तबादला कर दिया. विपक्ष ने सरकार की विफलता बताते हुए इस्तीफे की मांग की है.

बेंगलुरू में चिन्नास्वामी स्टेडियम में हाल ही में हुई भगदड़ की घटना ने राज्य की राजनीति और प्रशासन में हलचल मचा दी है. इस घटना के बाद कर्नाटक सरकार ने एक के बाद एक सख्त कदम उठाते हुए उच्च स्तरीय अधिकारियों पर कार्रवाई शुरू कर दी है.
मुख्यमंत्री के राजनीतिक सचिव को पद से हटाया गया
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के राजनीतिक सचिव के गोविंदराज को सरकार ने उनके पद से बर्खास्त कर दिया है. यह निर्णय भगदड़ की घटना के संदर्भ में लिया गया है, जिसने सरकार और प्रशासन की तैयारियों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए थे. के गोविंदराज न केवल मुख्यमंत्री के करीबी माने जाते हैं, बल्कि वे कई राजनीतिक और प्रशासनिक फैसलों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे थे.
सरकारी सूत्रों के अनुसार, यह बर्खास्तगी "राजनीतिक जिम्मेदारी तय करने" की दिशा में उठाया गया एक बड़ा कदम है. हालाँकि सरकार की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया गया है कि गोविंदराज की भूमिका इस घटना में प्रत्यक्ष थी या नहीं, लेकिन जनता और मीडिया के दबाव के चलते यह निर्णय लिया गया.
पुलिस कमिश्नर सहित कई अफसर निलंबित
इससे एक दिन पहले ही सरकार ने बेंगलुरू के पुलिस आयुक्त समेत कुछ अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को निलंबित कर दिया था. आरोप है कि चिन्नास्वामी स्टेडियम में आयोजित कार्यक्रम के दौरान सुरक्षा व्यवस्था बेहद लचर थी, जिसके चलते भगदड़ मच गई. इस हादसे में कई लोग घायल हो गए और अफरा-तफरी का माहौल बन गया.
पुलिस की ओर से स्थिति को संभालने में भारी चूक हुई, जिसे सरकार ने गंभीरता से लिया और त्वरित कार्रवाई करते हुए निलंबन के आदेश जारी कर दिए.
सूचना विभाग प्रमुख का तबादला
सरकार ने इस मामले के बाद सूचना विभाग के प्रमुख हेमंत निंबालकर का भी तबादला कर दिया है. हेमंत निंबालकर एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी हैं और सूचना विभाग के प्रमुख पद पर तैनात थे. उनका तबादला इस पूरे घटनाक्रम से जोड़कर देखा जा रहा है, हालांकि इस पर भी कोई स्पष्ट आधिकारिक टिप्पणी नहीं की गई है.
राज्य सरकार ने यह कदम यह संकेत देने के रूप में उठाया है कि प्रशासनिक लापरवाही किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी, चाहे वह अधिकारी हो या राजनीतिक पदाधिकारी.
विपक्ष ने उठाए सवाल
इस घटना को लेकर विपक्ष ने सरकार पर तीखा हमला बोला है. विपक्षी दलों ने कहा है कि यह पूरी घटना सरकार की विफलता और कुप्रबंधन का नतीजा है. उन्होंने मुख्यमंत्री से भी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफे की मांग की है.


