चिकन नेक के पास बांग्लादेश खेल रहा खतरनाक खले, चीन को सौंप रहा एयरबेस... संसद में सरकार ने दी सफाई
बांग्लादेश के लालमोनिरहाट एयरबेस को चीन की मदद से फिर से शुरू करने की अटकलों के बीच भारत ने चिंता जताई है. यह क्षेत्र रणनीतिक रूप से भारत के सिलीगुड़ी कॉरिडोर के बेहद करीब है, जिससे सुरक्षा जोखिम बढ़ सकते हैं. हालांकि, बांग्लादेश ने स्पष्ट किया है कि इसका सैन्य उपयोग फिलहाल नहीं होगा. भारत स्थिति पर नजर बनाए हुए है और अपनी सुरक्षा रणनीति को मजबूत कर रहा है.

हाल ही में बांग्लादेश के लालमोनिरहाट जिले में पुराने एयरबेस को फिर से शुरू करने की खबरों ने भारत में चिंता बढ़ा दी. मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि बांग्लादेश इसे चीन की मदद से दोबारा सक्रिय करने की योजना बना रहा है. यह एयरबेस भारत के रणनीतिक दृष्टिकोण से बेहद संवेदनशील सिलीगुड़ी कॉरिडोर के पास स्थित है, जिसे ‘चिकन नेक’ के नाम से जाना जाता है. इस क्षेत्र की संवेदनशीलता के चलते भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर सवाल उठे हैं.
फिलहाल एयरबेस का कोई सैन्य उपयोग नहीं
रणनीतिक महत्व वाला लालमोनिरहाट एयरबेस
लालमोनिरहाट एयरबेस भारत-बांग्लादेश सीमा से केवल 12–20 किलोमीटर दूर और सिलीगुड़ी कॉरिडोर से लगभग 135 किलोमीटर की दूरी पर है. यह एयरबेस 1931 में अंग्रेजों द्वारा बनाया गया था और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान मित्र देशों के लिए उपयोगी साबित हुआ था. दशकों से यह निष्क्रिय पड़ा था, लेकिन हालिया खबरों के अनुसार बांग्लादेश इसे फिर से चालू करने की योजना बना रहा है.
चीन से सहयोग की कोशिश
मार्च 2025 में बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख सलाहकार मोहम्मद यूनुस की चीन यात्रा के दौरान इस एयरबेस को पुनर्जीवित करने पर चर्चा हुई थी. खबरों के अनुसार, चीन से वित्तीय और तकनीकी सहायता मांगी गई, और एक पाकिस्तानी कंपनी को इस परियोजना में सब-कॉन्ट्रैक्टर के रूप में शामिल किए जाने की बात सामने आई है. यूनुस ने भारत के पूर्वोत्तर को 'लैंड-लॉक्ड' करार देते हुए बांग्लादेश को ‘व्यापार का संरक्षक’ बताया, जिससे भारत की असहमति बढ़ी.
भारत की सुरक्षा तैयारियाँ और जवाबी रणनीति
सिलीगुड़ी कॉरिडोर की रणनीतिक अहमियत को देखते हुए भारत ने पहले से ही अपनी सैन्य तैयारियों को मजबूत किया है. त्रिशक्ति कोर राफेल, ब्रह्मोस और S-400 जैसे आधुनिक हथियारों से लैस है. इसके अलावा, भारत ने त्रिपुरा के कैलाशहर में पुराने एयरबेस को फिर से चालू करने की योजना बनाई है. यह कदम चीन-बांग्लादेश की संभावित साझेदारी को संतुलित करने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है.
लालमोनिरहाट एयरबेस का मुद्दा केवल एक सैन्य बेस नहीं, बल्कि क्षेत्रीय भू-राजनीति और सुरक्षा संतुलन का प्रतीक बन गया है. चीन की बढ़ती मौजूदगी और बांग्लादेश की सैन्य साझेदारियाँ भारत की सुरक्षा रणनीतियों को चुनौती दे रही हैं. ऐसे में भारत का कड़ा रुख और सावधानीपूर्वक निगरानी ही स्थिरता बनाए रखने का एकमात्र रास्ता है.


