Bihar Elections 2025: महागठबंधन में दरार? वाम दलों ने की 35 सीटों की मांग...जानें क्या है आरजेडी का प्लान
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन में सीट बंटवारे पर विवाद बढ़ गया है. भाकपा और माकपा ने 35 सीटों की मांग की, जबकि राजद 150 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है. छोटे दल असंतुष्ट हैं. देरी और असमंजस से गठबंधन की एकजुटता पर सवाल उठ रहे हैं.

बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों की आधिकारिक घोषणा से कुछ ही दिन पहले महागठबंधन में सीटों के बंटवारे को लेकर विवाद गहराने लगा है. खासकर वामपंथी दलों भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) (माकपा) ने स्पष्ट मांग की है कि उन्हें कुल 35 सीटें दी जाएं. इसमें भाकपा ने 24 और माकपा ने 11 सीटों पर चुनाव लड़ने की इच्छा जताई है. दोनों दलों ने संयुक्त रूप से आयोजित सम्मेलन में यह मांग रखी.
सीट बंटवारे में देरी पर नाराजगी
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान दोनों दलों ने सीट बंटवारे की घोषणा में हो रही देरी पर नाराज़गी जताई. नेताओं का कहना था कि यह देरी महागठबंधन की एकजुटता पर सवाल खड़े करती है और कार्यकर्ताओं में भ्रम की स्थिति पैदा करती है. उन्होंने उम्मीद जताई कि महागठबंधन की बड़ी पार्टियां राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कांग्रेस छोटे दलों के साथ सहयोगी रवैया अपनाएंगी और उन्हें पर्याप्त सीटें देंगी. भाकपा के राज्य सचिव राम नरेश पांडे ने कहा कि महागठबंधन की बड़ी पार्टियों को चाहिए कि वे छोटे सहयोगियों के लिए अपनी कुछ सीटों का त्याग करें. इससे गठबंधन मजबूत होगा.
पिछले प्रदर्शन का हवाला
वाम दलों ने अपनी मांग के समर्थन में 2020 के विधानसभा चुनावों के परिणामों का हवाला दिया. उस चुनाव में भाकपा ने छह सीटों पर चुनाव लड़ा था और दो सीटें जीती थीं. माकपा ने चार सीटों पर चुनाव लड़ी और दो पर विजय हासिल की. वहीं भाकपा-माले ने 19 सीटों पर उम्मीदवार उतारे और 12 सीटों पर जीत दर्ज की थी. इन परिणामों के आधार पर वाम दलों का तर्क है कि उनकी जमीनी पकड़ और संगठनात्मक मजबूती गठबंधन को चुनावी लाभ दिला सकती है.
माकपा के राज्य सचिव ललन चौधरी ने कहा कि हमारे पास मज़बूत संगठन, वैचारिक प्रतिबद्धता और सक्रिय कार्यकर्ताओं का आधार है. पिछले पाँच वर्षों से हम लगातार एनडीए सरकार के खिलाफ जनता को संगठित कर रहे हैं. यदि हमें अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने का अवसर मिलेगा तो यह महागठबंधन के लिए फायदेमंद होगा.
राजद में सीटों को लेकर दुविधा
दूसरी ओर, महागठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी राजद खुद बड़ी संख्या में सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है. सूत्रों के मुताबिक, राजद का लक्ष्य करीब 150 सीटों पर चुनाव लड़ने का है. यदि ऐसा होता है तो शेष 93 सीटों को अन्य सहयोगियों में बांटना होगा, जिससे असंतोष बढ़ सकता है.
पिछले महीने राजद नेता तेजस्वी यादव ने भी इशारा किया था कि उनकी पार्टी अधिकतर सीटों पर चुनाव लड़ेगी. उन्होंने एक रैली में यहां तक कहा कि वे “243 सीटों पर चुनाव लड़ने को तैयार हैं.” इस बयान को गठबंधन के छोटे सहयोगियों ने गंभीरता से लिया और अब वे अपने लिए स्पष्ट हिस्सेदारी की मांग कर रहे हैं.
गठबंधन की मुश्किलें
महागठबंधन में वाम दलों के अलावा अन्य छोटे दल भी सक्रिय हैं. इनमें मुकेश साहनी की विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी), हेमंत सोरेन की झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) और पशुपति कुमार पारस के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (आरएलजेपी) शामिल हैं. इन दलों के जुड़ने से सीट बंटवारे का गणित और जटिल हो गया है. महागठबंधन फिलहाल सीट बंटवारे को लेकर असमंजस की स्थिति में है. चुनाव नज़दीक आते ही यह तय करना कि कौन कितनी सीटों पर लड़ेगा, गठबंधन की एकजुटता और चुनावी रणनीति दोनों के लिए अहम साबित होगा.


