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Explainer: कहानी उस रात की जब जेल से भाग गए थे सारे कैदी, जानिए बिहार के जहानाबाद जेल ब्रेक कांड की पूरी कहानी

Explainer: ये कहानी बिहार के जहानाबाद जिले की है जब शहर धीरे-धीरे अंधेरे में ढलने लगी तो लगभग 1000 नक्सलियों ने जेल पर अटैक कर दिया था. इस हमले के बाद सारे कैदी जेल से फरार हो गए थे.

Jehanabad  Jail Break Incident : ये कहानी आज से लगभग 18 साल पहले बिहार के जहानाबाद जिले में एक ऐसा वाकया हुआ था जिसकी कहानी आज भी वहां के लोगों के जेहन से नहीं उतरती है. ये वो दौर था जब बिहार के बहुत कम घरों में बिजली की सुविधा थी. अधिकांश शहर अंधेरे में था और लोग सोने की तैयारी कर रहे थे.

उस दिन बिहार के सरकारी मशीनरी ने तीसरे चरण का मतदान संपन्न करवाया था. वोटिंग शांतिपूर्ण हुई थी जिसकी वजह से प्रशासन चैन की सांस ले रहे थे हालांकि आखिरी चरण का मतदान होना बाकी था लेकिन ये प्रशासन का ये चैन महज कुछ पलों का था.

दरअसल, उस रात जहान बाद जिले में ऐसे अपेक्षित उपद्रव और हिंसा हुआ था जिससे दिल्ली में गृह मंत्रालय, पटना में राजभवन और जहानाबाद जिला मुख्यालय तक ताप बढ़ गया. तो चलिए इस हिंसा के बारे में विस्तार से समझते हैं.

1000 लोग जब अपनी लक्ष्य की तरफ बढ़ें-

13 नवंबर साल 2005 को जब जहानाबाद शहर धीरे-धीरे रात के अंधेरे में डूबने लगा तो लगभग 1000 निगाहें चौकस हो उठी. ये लोग शहर के चप्पे-चप्पे पर अपनी लक्ष्य को अंजाम देने के लिए तैयार खड़े थे. शहर जैसे ही रात के अंधेरे में डूबा ये सभी लोग अपने मिशन को अंजाम देने के लिए निकल पड़े.

जब गोलियों की चमक से जाग उठा जहानाबाद-

रात होने के कुछ देर बाद जहानाबाद पुलिस लाइन के पास एक जोरदार धमाका हुआ. 9 बजते बजते सारे शहर में राइफल की धांय-धांय की आवाज गूंजने लगी. जहानाबाद जेल, पुलिस लाइन, जिला जज आवास, सहजानंद कॉलेज पर एक साथ फायरिंग की गई थी. धड़ाधड़ बम फेंके गए जिससे शहर का अंधेरा आसमान में गोलियों की रोशनी से जगमगा उठा सारा शहर जाग उठा. पुलिस लाइन  को घेर कर नक्सलियों ने ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी.

जहानाबाद जेल बन गई थी रणभूमि-

माओवादियों की मंशा पुलिस मैंगनीज में रखे हुए हथियार को लूटने की थी. वहीं अचानक फायरिंग से पुलिस लाइन में तैनात संतरी घबरा गए लेकिन, बिना देर किए उन्होंने मोर्चा संभाल लिया और माओवादियों को उनके मकसद में कामयाब नहीं होने दिया.इधर शहर के बीचों बीच स्थित जहानाबाद जेल उस रात रणभूमि बन गई थी. प्रतिबंधित सीपीआई के गुरिल्लाओं ने जेल को चारों तरफ से घेर लिया और पहला हमला जेल के मेन गेट पर किया. गेट को बम से उड़ा दिया गया हालांकि, जब माओवादियों को ऐसा करने से गेट पर तैनात संतरी दुर्गा रजक ने रोका तो उन्होंने उनकी हत्या कर दी.

जेल पर नक्सलियों का कब्जा-

जहानाबाद में जब ये हादसा हुआ उस दौरान बिहार में नक्सलियों का बहुत वर्चस्व था जिसकी वजह से मिनटों में जहानाबाद जेल को नक्सलियों ने अपने कब्जे में लिया. नक्सलियों की संख्या देखकर जेल प्रशासन भी असहाय और बेबस हो गए थे. उस दौरान लगभग 600 कैदी उस जेल में थे जिसमें दर्जनों कैदी नक्सलियों के सहयोगी थी. जेल में मौजूद सभी साथियों को ढूंढने के लिए नक्सलियों ने सभी वार्ड के दरवाजे खोल दिए और सभी कैदियों को आजाद कर दिया. गौरतलब है कि, इस जेल में रणवीर सेना के भी कुछ बड़े नेताओं को कैद कर रखा था.

9 से 11 बजे तक जहानाबाद शहर में चला था क्राइम का क्लाइमैक्स

आपको बता दें कि, उस दौरान जहानाबाद शहर में लाल आतंक का गढ़ हुआ करता था यही वजह है कि, प्रशासन ने बड़ी संख्या में गिरफ्तारी की थी और जेल में बंद किया था. उस रात जहानाबाद शहर में 9 से 11 बजे रात तक गोलियों और बमों की आवाज गूंजी थी. पूरे शहर को पता चल गया था कि कोई बड़ा हमला हुआ है. डर से लोग अपने-अपने घरों में दुबके बैठे थे. रात 11 बजे तक नक्सलियों ने जेल के आधे कैदियों को भगा दिया था.

अजय कानु समेट 341 कैदियों को लेकर रात को ही भाग गए. बता दें कि, अजय कानु हमलावरों का लीडर था जो जेल में बंद था. नक्सलियों  को ऐसा करने से रोकने के लिए पटना से फोर्स चली लेकिन समय पर पहुंच नहीं पाई. नक्सलियों ने पूरे शहर को घेर रखा था जिसकी वजह से पुलिस को डर था कि रास्ते में लैंड माइंस हो सकती हैं इसलिए पुलिस काफी सावधानी से कदम बढ़ा रही थी.

जहानाबाद जेल ब्रेक कांड की वजह क्या थी-

गौरतलब है कि, जब जहानाबाद जिले में ये वारदात हुई उस समय बिहार में चुनाव हो रहा था. राज्य में चुनी हुई सरकार नहीं थी यानी उस समय बिहार में राष्ट्रपति शासन लागू था. इन नक्सलियों ने चुनाव का बहिष्कार कर रखा था ऐसे में शांतिपूर्ण तरीके से चुनाव कराना राज्य के लिए बड़ी जिम्मेदारी थी. यही वजह थी की सभी प्रशासन और सुरक्षा कर्मी दूसरे जिलों में चुनाव कराने में व्यस्त थे. खुफिया विभाग ने कई बार नक्सली हमले की चेतावनी दी थी लेकिन इस बात को गंभीरता से नहीं लिया गया और इसी लापरवाही का फायदा उठाकर नक्सली अपने मकसद में कामयाब हो गए.

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09 January 2024, 06:59 PM IST

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