प्लेन क्रैश में भी नहीं टूटता ब्लैक बॉक्स, जानिए कैसे करता है हादसे की सच्चाई उजागर
AI171 Crash: अहमदाबाद से लंदन जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट AI171 के भीषण हादसे ने पूरी दुनिया को स्तब्ध कर दिया है. 241 यात्रियों समेत 265 लोगों की मौत के बाद अब इस दर्दनाक दुर्घटना की असली वजह जानने की कोशिशें तेज हो गई हैं. ऐसे मामलों में जांच एजेंसियों की सबसे पहली और सबसे जरूरी प्राथमिकता होती है ब्लैक बॉक्स को ढूंढना.

AI171 Crash: अहमदाबाद से लंदन जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट AI171 के भयावह हादसे ने दुनियाभर को झकझोर कर रख दिया है. 241 यात्रियों समेत 265 लोगों की मौत के बाद, इस क्रैश की जांच के लिए सबसे महत्वपूर्ण उपकरण एक बार फिर सुर्खियों में है वो है ब्लैक बॉक्स.प्लेन दुर्घटनाओं में यह डिवाइस ही असली वजहों को उजागर करता है, चाहे आग लगी हो या विमान जलकर खाक हो गया हो, यह उपकरण ज्यादातर मामलों में सुरक्षित मिलता है.
लेकिन सवाल उठता है कि आख़िर ये ब्लैक बॉक्स बना किस चीज से होता है जो खतरनाक क्रैश, आग, पानी और तेज़ दबाव भी सहन कर जाता है? आइए जानते हैं इसके पीछे की तकनीक और अहमियत.
क्या होता है ब्लैक बॉक्स?
ब्लैक बॉक्स दरअसल एक विशेष प्रकार का रिकॉर्डिंग डिवाइस होता है जिसमें दो प्रमुख यूनिट होती हैं—CVR (Cockpit Voice Recorder) और FDR (Flight Data Recorder). ये दोनों मिलकर विमान के उड़ान से जुड़ी हर छोटी-बड़ी जानकारी को रिकॉर्ड करते हैं.
कैसे करता है काम?
CVR पायलटों की बातचीत, कॉकपिट के अलार्म, साउंड और दूसरी जरूरी आवाजों को रिकॉर्ड करता है. FDR यानी फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर, विमान की गति, ऊंचाई, पोजिशन, ईंजन की स्थिति, ऑटो-पायलट डेटा, तापमान, और सैकड़ों तकनीकी पहलुओं को रिकॉर्ड करता है. ये दोनों यूनिट्स मिलकर यह समझने में मदद करते हैं कि दुर्घटना के समय विमान में क्या हुआ और क्यों हुआ.
DVR क्या करता है?
क्रैश हुए विमान में DVR (Digital Video Recorder) भी एक अहम भूमिका निभाता है. इसमें प्लेन के अंदर लगे CCTV कैमरों की फुटेज रिकॉर्ड होती है. इसमें कॉकपिट, पैसेंजर केबिन, इमरजेंसी एग्जिट्स, प्रवेश और निकासी द्वार पर लगे कैमरों की वीडियो क्लिप्स सेव रहती हैं. इन फुटेज से हादसे से ठीक पहले और दौरान की वास्तविक स्थिति देखी जा सकती है.
किस चीज से बना होता है ब्लैक बॉक्स?
ब्लैक बॉक्स आमतौर पर टाइटेनियम या हाई ग्रेड स्टेनलेस स्टील से बना होता है. इसे इस तरह डिजाइन किया जाता है कि यह:
1100 डिग्री सेल्सियस तक की गर्मी को झेल सके
20,000 फीट तक गहराई वाले पानी में सुरक्षित रह सके
3400 G तक का दबाव सह सके (जो एक आम क्रैश में लगता है)
यह एयरक्राफ्ट के पिछले हिस्से में लगाया जाता है, क्योंकि क्रैश की स्थिति में यह हिस्सा सबसे अंत में प्रभावित होता है और ब्लैक बॉक्स के बचने की संभावना ज्यादा होती है.
क्यों जरूरी है ब्लैक बॉक्स?
जब कोई विमान हादसे का शिकार होता है, तो सबसे पहले ब्लैक बॉक्स और DVR को खोजा जाता है क्योंकि इन्हीं से मिलती है वह जानकारी जो बताती है कि क्या तकनीकी खराबी थी, मौसम की क्या स्थिति थी या कोई और मानवीय चूक हुई थी. इसके डेटा के बिना जांच अधूरी मानी जाती है.


