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सीमा विवाद नहीं बनेगा रिश्तों में बाधा... PM मोदी से मुलाकात के बाद जिनपिंग बोले- पंचशील को संजो कर रखना चाहिए

तियानजिन में SCO शिखर सम्मेलन से पहले पीएम नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात में पंचशील सिद्धांत पर जोर दिया गया. शी जिनपिंग ने कहा कि भारत-चीन संबंधों को सीमा विवाद से परे शांति, सहयोग और आपसी विश्वास पर आधारित होना चाहिए. उन्होंने बहुपक्षीय सहयोग, एशिया में शांति और वैश्विक स्थिरता को मज़बूत करने की अपील की. यह वार्ता दोनों देशों के रिश्तों में नया मोड़ ला सकती है.

Utsav Singh
Edited By: Utsav Singh

SCO Summit Tianjin 2025 : तियानजिन में होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच रविवार को द्विपक्षीय वार्ता हुई. इस बातचीत के बाद शी जिनपिंग ने कहा कि पंचशील सिद्धांत यानी शांतिपूर्ण सहअस्तित्व के पांच मूलभूत सिद्धांत भारत और चीन के बीच आपसी रिश्तों को मजबूत करने की नींव हैं. उन्होंने जोर दिया कि दोनों देशों को इन सिद्धांतों को संजोकर आगे बढ़ाना चाहिए.

29 अप्रैल 1954 को हुआ था पंचशील समझौता

भारत और चीन के बीच पंचशील समझौता 29 अप्रैल 1954 को हुआ था. इसे औपचारिक रूप से ‘तिब्बत क्षेत्र के साथ व्यापार और पारगमन समझौता’ कहा गया. दरअसल, इस समझौते के तहत दोनों देशों ने मिलकर पांच सिद्धांत तय किए थे, आपासी आक्रमण न करना, शांतिपूर्ण सहअस्तित्व, पारस्परिक लाभ, संप्रभूता का सम्मान और आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना.
यह ढांचा दोनों देशों के रिश्तों को दिशा देने वाला था.

दोनों लोकतंत्रीकरण की दिशा में योगदान दे

चीनी राष्ट्रपति ने कहा कि भारत और चीन को सीमा क्षेत्रों में शांति और स्थिरता बनाए रखनी होगी तथा सीमा विवाद को पूरे रिश्ते की परिभाषा नहीं बनने देना चाहिए. उन्होंने बहुपक्षीय सहयोग को मजबूत करने, साझा हितों की रक्षा करने और अंतरराष्ट्रीय न्याय एवं निष्पक्षता बनाए रखने की अपील की. 

भारत-चीन रिश्तों की चुनौतियाँ
हालांकि, हाल के वर्षों में दोनों देशों के संबंध तनावपूर्ण रहे हैं. 2017 का डोकलाम गतिरोध और 2020 की गलवान घाटी झड़प ने द्विपक्षीय रिश्तों को गहरी चोट पहुंचाई. इन घटनाओं के बाद भारत और चीन के बीच कई क्षेत्रों में सहयोग लगभग ठप हो गया. ऐसे में पंचशील सिद्धांतों का महत्व और भी बढ़ जाता है, क्योंकि यही दोनों देशों के बीच शांति और विश्वास का आधार हो सकते हैं.

वैश्विक परिप्रेक्ष्य और SCO शिखर सम्मेलन
वार्ता का समय भी बेहद अहम है क्योंकि अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा शुरू की गई टैरिफ वार ने भारत और चीन दोनों पर असर डाला है. ट्रंप प्रशासन ने भारतीय आयात पर 50 प्रतिशत और चीनी उत्पादों पर 145 प्रतिशत तक शुल्क लगाने की घोषणा की थी. हालांकि चीन पर लगाए गए शुल्क को अस्थायी रूप से 90 दिनों के लिए स्थगित कर दिया गया था.

इस पृष्ठभूमि में तियानजिन में SCO शिखर सम्मेलन आयोजित हो रहा है, जहां भारत, चीन और रूस आपसी सहयोग और वैश्विक चुनौतियों पर चर्चा कर रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सम्मेलन के दौरान रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से भी द्विपक्षीय मुलाकात करेंगे और सोमवार, 1 सितंबर को मुख्य बैठक में हिस्सा लेंगे.

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01 September 2025, 08:17 AM IST

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