'कल के हथियारों से आज का युद्ध नहीं जीता जा सकता' — सीडीएस अनिल चौहान
जनरल अनिल चौहान ने ऑपरेशन सिंदूर का उल्लेख करते हुए बताया कि पाकिस्तान ने सीमा पार यूएवी और घूमते हथियार तैनात किए थे, लेकिन भारत ने उन्हें गतिज और गैर-गतिज तरीकों से निष्क्रिय कर दिया. उन्होंने कहा कि इन यूएवी से भारतीय सैन्य या नागरिक ढांचे को कोई नुकसान नहीं हुआ.

भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने बुधवार को देश की रक्षा क्षमताओं के आधुनिकीकरण की तत्काल आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि आधुनिक युद्ध के लिए केवल पारंपरिक सोच और पुरानी तकनीकें अब पर्याप्त नहीं हैं. उन्होंने कहा कि "हम कल की हथियार प्रणालियों से आज का युद्ध नहीं जीत सकते."
नई दिल्ली में यूएवी (Unmanned Aerial Vehicles) और मानवरहित हवाई प्रणालियों (Counter-UAS) के स्वदेशीकरण पर आयोजित एक कार्यशाला में जनरल चौहान ने आधुनिक तकनीकों के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि “आज का युद्ध कल की तकनीक से लड़ा जाना चाहिए, न कि दशकों पुरानी प्रणालियों से.”
अनिल चौहान ने युद्ध में आधुनिक हथियारों की आवश्यकता पर जोर दिया
सीडीएस ने कहा कि भारत को रक्षा क्षेत्र में विदेशी विशिष्ट तकनीकों पर अपनी निर्भरता घटानी होगी, क्योंकि आयात पर अत्यधिक निर्भरता देश की रणनीतिक तैयारियों को कमजोर कर सकती है. उन्होंने स्पष्ट किया कि “आयातित प्रौद्योगिकियों पर निर्भरता हमारी तैयारियों को कमजोर करती है. हमें आत्मनिर्भरता की दिशा में ठोस और तेज़ कदम उठाने होंगे.”
भारत के रक्षा आधुनिकीकरण पर सीडीएस ने रखा जोर
जनरल चौहान ने मई 2025 में भारत द्वारा किए गए ऑपरेशन सिंदूर का उल्लेख करते हुए बताया कि उस दौरान पाकिस्तान ने सीमा पार से ड्रोन और घूमते हुए हथियारों का उपयोग किया था. हालांकि, भारतीय सशस्त्र बलों ने अधिकतर ड्रोन को गतिज (kinetic) और गैर-गतिज (non-kinetic) तरीकों से निष्क्रिय कर दिया. उन्होंने आश्वासन दिया कि “इनमें से किसी भी यूएवी ने भारतीय सैन्य या नागरिक बुनियादी ढांचे को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया.”
आधुनिक युद्ध में ड्रोन की भूमिका
सीडीएस ने आधुनिक युद्ध में ड्रोन की भूमिका को लेकर विशेष चिंता जताई. उन्होंने कहा कि हाल के अंतरराष्ट्रीय संघर्षों में ड्रोन ने सामरिक संतुलन को अप्रत्याशित रूप से प्रभावित किया है. उनका कहना था कि “ड्रोन का इस्तेमाल अब सिर्फ़ एक संभावना नहीं है, बल्कि यह एक ऐसी हकीकत बन चुकी है जिसका सामना हम कर रहे हैं."
स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा
उन्होंने रक्षा क्षेत्र में नवाचार, अनुसंधान और स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि देश को भविष्य के युद्धों की तैयारियाँ आज ही करनी होंगी, ताकि रणनीतिक बढ़त बनाए रखी जा सके. जनरल चौहान की यह टिप्पणी आत्मनिर्भर भारत और तकनीकी सशक्तिकरण की दिशा में रक्षा क्षेत्र में एक स्पष्ट संदेश के रूप में देखी जा रही है.


