CJI गवई का 6 महीने का कार्यकाल लग रहा छोटा? देश की पहली महिला चीफ जस्टिस सिर्फ 36 दिन संभालेंगी जिम्मेदारी
Chief Justice of India: जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने बुधवार को भारत के 52वें CJI के रूप में शपथ ली. उनका कार्यकाल लगभग छह महीनों का होगा. हालांकि यह कार्यकाल छोटा है, लेकिन 2027 में पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बनने वाली जस्टिस बीवी नागरत्ना का कार्यकाल और भी छोटा केवल 36 दिन का होगा.

Chief Justice of India: सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने बुधवार को भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली. उनका कार्यकाल लगभग छह महीनों का होगा, जो 23 नवंबर तक चलेगा. हालांकि यह कार्यकाल छोटा माना जा रहा है, लेकिन यदि हम 2027 में देश को मिलने वाली पहली महिला मुख्य न्यायाधीश की बात करें, तो उनका कार्यकाल केवल 36 दिन का होगा.
भारत की सर्वोच्च अदालत को स्थापित हुए 75 वर्ष हो चुके हैं, लेकिन आज तक कोई महिला मुख्य न्यायाधीश नहीं बनी है. यह ऐतिहासिक उपलब्धि 2027 में जस्टिस बीवी नागरत्ना के रूप में दर्ज हो सकती है, हालांकि उनका कार्यकाल सबसे छोटा नहीं होगा.
जस्टिस गवई ने ली शपथ
जस्टिस बीआर गवई को सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम की सिफारिश पर भारत के राष्ट्रपति ने मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया. उनका कार्यकाल 23 नवंबर 2025 तक रहेगा, जो कि मौजूदा मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना के कार्यकाल के समान छह महीने का होगा.
देश को अब तक नहीं मिला कोई महिला CJI
आज तक भारत को 51 पुरुष मुख्य न्यायाधीश मिल चुके हैं, जबकि सुप्रीम कोर्ट में केवल 11 महिला जजों ने ही सेवा दी है. वरिष्ठता नियम के अनुसार, जस्टिस बीवी नागरत्ना 2027 में भारत की पहली महिला सीजेआई बनने जा रही हैं.
जस्टिस बीवी नागरत्ना का कार्यकाल सिर्फ 36 दिनों का होगा, जो उन्हें सबसे छोटे कार्यकाल वाले मुख्य न्यायाधीशों की सूची में तीसरे स्थान पर रखेगा.
सबसे छोटे और सबसे लंबे कार्यकाल वाले CJI
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सबसे छोटा कार्यकाल: जस्टिस कमल नारायण सिंह – 17 दिन
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दूसरा सबसे छोटा: जस्टिस एस. राजेंद्र बाबू – 29 दिन
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संभावित तीसरा सबसे छोटा: जस्टिस बीवी नागरत्ना – 36 दिन
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सबसे लंबा कार्यकाल: जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़ – 7 साल 139 दिन
भारत की न्यायपालिका में एक अपारंपरिक लेकिन अनौपचारिक नियम यह है कि सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में वरिष्ठता के आधार पर नियुक्ति की जाती है. इसी के चलते सीजेआई का कार्यकाल अक्सर कम समय का होता है, जिससे न्यायिक स्थिरता और प्रभावशीलता पर प्रश्न उठते हैं.
हाई कोर्ट में भी कम समय के कार्यकाल पर बहस
पूर्व सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने जिन आठ हाई कोर्ट मुख्य न्यायाधीशों की नियुक्ति की, उनमें से एक – जस्टिस राजीव शकधर हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट में सिर्फ 24 दिन तक पद पर रहे. अन्य कई मुख्य न्यायाधीशों का कार्यकाल भी केवल छह महीने से एक वर्ष तक का रहा.
भारत के 40वें मुख्य न्यायाधीश पी. सदाशिवम ने अपने नौ महीने के कार्यकाल के अंत में कहा था, "मैं बहुत कुछ करना चाहता था लेकिन अल्पकालिक कार्यकाल के कारण नहीं कर पाया." उन्होंने मुख्य न्यायाधीशों के लिए निश्चित कार्यकाल की वकालत की थी.
सुप्रीम कोर्ट में महिला प्रतिनिधित्व की स्थिति
सितंबर 2024 में जस्टिस हिमा कोहली की सेवानिवृत्ति के बाद सुप्रीम कोर्ट में महिला जजों की संख्या घटकर 2 रह गई जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी.
1989 में जस्टिस फातिमा बीवी सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला जज बनी थीं, लेकिन उनका कार्यकाल सिर्फ ढाई साल का रहा महिला जजों में सबसे कम. जस्टिस नागरत्ना सुप्रीम कोर्ट में अब तक की सबसे लंबी सेवा देने वाली महिला जज बनेंगी छह साल दो महीने.


