स्कूलों में छात्रों की सुरक्षा को लेकर बढ़ी चिंता, केंद्र ने जारी किए सिक्योरिटी ऑडिट के आदेश
शिक्षा मंत्रालय ने स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी राज्यों को सुरक्षा ऑडिट, आपातकालीन प्रशिक्षण, मानसिक स्वास्थ्य सहायता और 24x7 रिपोर्टिंग व्यवस्था लागू करने का निर्देश दिया है. साथ ही, जनसहभागिता को बढ़ावा देते हुए स्कूल परिसरों की निगरानी और जोखिमों की पहचान पर विशेष ज़ोर दिया गया है.

देशभर के स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ती जा रही है. इसी को देखते हुए शिक्षा मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को स्कूल परिसरों और बाल-सेवाओं में सुरक्षा, प्रशिक्षण और सहायता से जुड़े त्वरित कदम उठाने के निर्देश दिए हैं. इन उपायों का उद्देश्य संरचनात्मक और मानसिक दोनों तरह की सुरक्षा को मज़बूत करना है.
हर स्कूल में होगा अनिवार्य सुरक्षा ऑडिट
शिक्षा मंत्रालय के निर्देशों के अनुसार, स्कूलों और बच्चों द्वारा उपयोग किए जाने वाले सार्वजनिक स्थलों का सुरक्षा ऑडिट अनिवार्य किया गया है. यह ऑडिट राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन दिशा-निर्देशों के अनुसार किया जाएगा, जिसमें भवन की मजबूती, अग्निशमन व्यवस्था, आपातकालीन निकासी मार्ग और विद्युत सुरक्षा जैसे पहलुओं का विश्लेषण होगा. यदि किसी स्थान पर खतरे की स्थिति पाई जाती है, तो उसमें तुरंत सुधार के आदेश दिए गए हैं, जिससे अपरिहार्य दुर्घटनाएं रोकी जा सकें.
आपातकालीन प्रशिक्षण सभी के लिए अनिवार्य
मंत्रालय ने स्कूल स्टाफ और छात्रों को नियमित रूप से आपदा प्रबंधन से जुड़ा प्रशिक्षण देने को कहा है. इसमें अग्निशमन अभ्यास, प्राथमिक चिकित्सा, और आपातकालीन निकासी की प्रक्रिया शामिल होगी. इसके लिए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA), अग्निशमन विभाग, पुलिस और स्वास्थ्य एजेंसियों के साथ मिलकर संयुक्त मॉक ड्रिल और जागरूकता अभियान चलाए जाएंगे.
मानसिक स्वास्थ्य को भी मिली प्राथमिकता
सिर्फ भौतिक सुरक्षा ही नहीं, बच्चों के मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य पर भी ज़ोर दिया गया है. स्कूलों को सलाह दी गई है कि वे परामर्श केंद्र, सहकर्मी सहायता समूह और सामुदायिक कार्यक्रम शुरू करें, ताकि छात्रों को एक सुरक्षित और सहायक शैक्षणिक वातावरण मिल सके. मंत्रालय का मानना है कि एक छात्र तभी सफल हो सकता है, जब वह मानसिक रूप से भी सुरक्षित महसूस करे.
24x7 रिपोर्टिंग सिस्टम
राज्यों को निर्देश दिए गए हैं कि 24 घंटे के भीतर किसी भी घटना की सूचना संबंधित अधिकारियों को देना अनिवार्य होगा. किसी भी प्रकार की लापरवाही या देरी की स्थिति में कड़ी जवाबदेही तय की जाएगी. इसका उद्देश्य संवेदनशील घटनाओं को दबाने की प्रवृत्ति पर रोक लगाना है.
जनसहभागिता और निगरानी को मिली प्राथमिकता
मंत्रालय ने अभिभावकों, पंचायत प्रतिनिधियों और स्थानीय समाज से भी आग्रह किया है कि वे स्कूल परिसरों, बसों और खेल मैदानों जैसी जगहों पर संभावित जोखिमों की सूचना दें. यह सुनिश्चित करने के लिए कि कोई भी बच्चा रोकथाम योग्य दुर्घटनाओं का शिकार न हो, जन सहभागिता को एक अहम रणनीति बताया गया है.


