कांग्रेस के गिरते वजूद की 'कड़वी दास्तां': 70 साल तक देश चलाया, अब क्षेत्रीय पार्टियों के आगे टेकने पड़ रहे घुटने?

Congress Party: साल 2014 के बाद से लगातार चुनावों में हार का सामना कर रही कांग्रेस इस उम्मीद में थी कि गठबंधन के जरिए भाजपा के विजयी रथ को रोका जा सकता है.

Manoj Aarya
Manoj Aarya

Congress Party: कांग्रेस को बड़ा झटका... कांग्रेस से इस्तीफा... कांग्रेस के लिए बुरी खबर... कांग्रेस की शर्मनाक हार.... कांग्रेस में टूट... ये तमाम हेडलाइन टीवी, समाचार पत्र और इंटरनेट पर आजकल आपको देखने को मिल रही हैं. एक तरफ आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर बीजेपी अपनी रणनीतियों को जमीनी स्तर पर लागू करने में जुटी हुई है. वहीं, देश का सबसे पुरानी राजनीतिक दल कांग्रेस अभी भी अपने पैरों को स्थिरता देने के लिए दो गज़ जमीन की तलाश में लगी है. इसका सीधा सा उदाहरण है उत्तर प्रदेश. कभी ये प्रदेश कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था. लेकिन आज राज्य के कुल 80 लोकसभा सीटों में से केवल 17 सीटों पर ही कांग्रेस को समाजवादी पार्टी से समझौता करने के लिए मजबूर होना पड़ा है.

वैसे तो कांग्रेस की वर्तमान स्थिति को बयान करने के लिए ज्यादा कुछ कहने की जरूरत नहीं है. क्षेत्रीय दलों के सामने इस तरह से झुक जाना उसकी असल स्थिति को बयान कर रहा है. यहां गौर करने की बात ये है कि उत्तर प्रदेश ही एक ऐसा राज्य नहीं है जहां कांग्रेस को अपनी हिस्सेदारी के लिए राज्य स्तर की पार्टियों के सामने हाथ फैलाने की जरूरत पड़ रही है. इस लिस्ट में बिहार, झारखंड, पंजाब, दिल्ली, महाराष्ट्र जैसे तमाम राज्य शामिल हैं.

गौरतलब है कि 2024 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को चुनौती देने के मकसद से बना विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' ताश के पत्तों की तरह बिखरता जा रहा है. पिछले साल जिस जोश और उत्साह के साथ इस गठबंधन की शुरुआत हुई तो ऐसा लगा कि इसके जरिए कांग्रेस खुद में जान भर सकती है. हालांकि, गठबंधन में शामिल अलग-अलग राजनीतिक दलों ने चुनाव से पहले ही खुद को किनारे कर लिया और फिर कांग्रेस अकेले खड़ी रह गई.

साल 2014 के बाद से लगातार चुनावों में हार का सामना कर रही कांग्रेस इस उम्मीद में थी कि गठबंधन के जरिए भाजपा के विजयी रथ को रोका जा सकता है. लेकिन, कांग्रेस की ये उम्मीद सिर्फ खयाली पुलाव बन कर ही रह गईं. पिछले साल के आखिर में पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी अपनी सरकार नहीं बचा पाई,  जबकि मध्य प्रदेश और मिजोरम में उसे करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा. हालांकि कांग्रेस तेलंगाना को जीतने में कामयाब रही है. लेकिन, सवाल यही है कि एक समय देश की सबसे बड़ी और पुरानी पार्टी होने के बाद भी कांग्रेस को क्षेत्रीय दलों के भरोसे क्यों रहना पड़ रहा है? अगर 2014 के बाद से कांग्रेस की चुनावी उपलब्धियों पर नजर डालें तो साल दर साल यह और खोखली होती जा रही है.

2014 में कांग्रेस का प्रदर्शन:

साल 2014 में आठ राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव हुए कांग्रेस केवल एक राज्य अरुणाचल प्रदेश में ही सरकार बना सकी, लेकिन जुलाई 2016 में मुख्यमंत्री पेमा खांडू समेत 33 विधायकों को बीजेपी में शामिल होने के बाद यह राज्य भी कांग्रेस के हाथों से छिन गया.

2015 में कैसा रहा कांग्रेस का हाल:

साल 2015 में दिल्ली और बिहार में विधानसभा चुनाव हुए. दिल्ली में कांग्रेस 70 में से एक भी सीट नहीं जीत पाई. वहीं, बिहार में कांग्रेस ने आरजेडी और जेडीयू के साथ गठबंधन कर 41 सीटों पर चुनाव लड़ा. पार्टी ने 27 सीटों पर जीत भी दर्ज की. 

2016 में भी कमजोर हुई कांग्रेस

साल 2016 में पश्चिम बंगाल, असम, केरल, पुडुचेरी और तमिलनाडु में विधानसभा चुनाव हुए. असम और केरल में कांग्रेस अपनी मौजूदा सरकार को बचाने में नाकाम हुई. केवल पुडुचेरी में ही कांग्रेस को जीत मिल सका.

2017 में केवल पंजाब में मिली सफलता

साल 2017 में गुजरात, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर और गोवा में विधानसभा चुनाव हुए. यहां भी पार्टी ने हिमाचल प्रदेश और मणिपुर की सत्ता गंवा दी. गोवा में पार्टी ने ज्यादा सीटों पर जीत दर्ज की लेकिन सरकार बनाने में सफल नहीं हो सकी. कांग्रेस के लिए सिर्फ पंजाब से अच्छी खबर रही और वहां पार्टी ने सरकार बनाई.

2018 में कांग्रेस दिखाई ऊर्जा

साल 2018 के मार्च में त्रिपुरा, नागालैंड, मिजोरम और मेघालय में विधानसभा के चुनाव हुए. इन चार राज्यों में से एक में भी कांग्रेस जीत नहीं पाई. इसके बाद कर्नाटक में जनता दल (सेक्युलर) के साथ मिलकर कांग्रेस सरकार तो बनाई, लेकिन यहां भी बागियों की वजह से सत्ता से कुर्सी से नीचे उतरना पड़ना और बीजेपी ने सरकार बना ली. दिसंबर में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और तेलंगाना में विधानसभा चुनाव हुए. हालांकि ये चुनाव कांग्रेस के लिए अच्छे रहे. जहां तीन राज्यों में कांग्रेस ने जीत दर्ज की. 

2019 में सिर्फ 2 राज्यों में सरकार

2019 में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को केवल 52 सीटों पर जीत मिली. इसके बाद आंध्र प्रदेश, अरुणाचल, हरियाणा, झारखंड, महाराष्ट्र, ओडिशा और सिक्किम में विधानसभा चुनाव हुआ. इनमें भी सिर्फ झारखंड और महाराष्ट्र में कांग्रेस गठबंधन की सरकार बना पाई.

2020 में फिर दिल्ली में साफ

साल 2020 एक बार फिर बिहार और दिल्ली में विधानसभा चुनाव हुए. दिल्ली में फिर कांग्रेस अपना खाता तक नहीं खोल पाई. वहीं, बिहार में कांग्रेस ने आरजेडी के साथ गठबंधन किया, लेकिन उसे हार का सामना करना पड़ा.

2021 में कांग्रेस के हाथों से गए चार राज्य

2021 में तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, असम, केरल और पुडुचेरी में विधानसभा चुनाव हुए. इन सभी राज्यों में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा. 

2022 में छिन गया पंजाब 

2022 में मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, मणिपुर और गोवा में चुनाव हुए. इनमें से मध्य प्रदेश में ही कांग्रेस सरकार बनाने में कामयाब रही, बाकी हर जगह पार्टी हार गई. पंजाब में उसके हाथ से सत्ता चली गई. 2017 में कांग्रेस ने जो पंजाब जीता था वो भी इन चुनावों में उसके हाथों से फिसल गया.

2023 में कर्नाटक और तेलंगाना में मिली सफलता

2023 में सबसे पहले कर्नाटक में कांग्रेस ने जीत दर्ज की है. इसके बाद नवंबर में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, तेलंगाना और मिजोरम में चुनाव हुए, लेकिन पार्टी सिर्फ तेलंगाना में ही जीत दर्ज कर सकी. उसके हाथ से छत्तीसगढ़ और राजस्थान की सरकार भी चली गई.

10 वर्षों में 14 मुख्यमंत्रियों ने छोड़ा साथ:

1. अशोक चव्हाण
2. किरण कुमार रेड्डी
3. गुलाम नबी आजाद
4. दिगंबर कामत
5. प्रताप सिंह राणे 
6. कैप्‍टन अमरिंदर सिंह
7. लुइजिन्हो फलेरो
8. एस एम कृष्‍णा
9. नारायण राणे
10. विजय बहुगुणा
11. पेमा खांडू
12. रवि नाइक
13. जगदंबिका पाल
14. नारायण दत्त तिवारी

कमलनाथ के नाम की चर्चा:

पिछले दो-तीन दिन से कांग्रेस के दिग्गज नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के कांग्रेस छोड़ने और भाजपा में शामिल होने की अटकलों की चर्चा रहा. ऐसा कहा जा रहा था कि कमलनाथ अपने बेटे नकुल नाथ और कई समर्थक विधायक और स्‍थानीय नेताओं संग भाजपा में शामिल हो सकते हैं हालांकि, कमलनाथ ने भाजपा में शामिल होने से साफ इनकार कर दिया है.

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22 February 2024, 06:11 AM IST

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