एनसीईआरटी की कक्षा 8 की किताब में सल्तनत की क्रूरता और मुगलों की असहिष्णुता का उल्लेख
कक्षा 8 की सामाजिक विज्ञान की यह पुस्तक एनसीईआरटी की नई पुस्तकों में पहली है, जो छात्रों को दिल्ली सल्तनत और मुगल काल के इतिहास से परिचित कराती है. इसमें शासकों की नीतियों, धार्मिक असहिष्णुता, सैन्य अभियानों और ऐतिहासिक घटनाओं को संतुलित और साक्ष्य-आधारित रूप में प्रस्तुत किया गया है.

राष्ट्रीय शिक्षा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने कक्षा 8 की सामाजिक विज्ञान की नई पुस्तक 'समाज की खोज: भारत और उससे आगे' (भाग 1) में दिल्ली सल्तनत और मुगल काल को लेकर महत्वपूर्ण संशोधन किए हैं. यह किताब राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 और 2023 की नई राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा के अनुसार तैयार की गई है और इसी शैक्षणिक सत्र से उपयोग में लाई जा रही है.
इस पुस्तक में 13वीं से 17वीं शताब्दी के बीच भारत के इतिहास को समेटा गया है. इसमें दिल्ली सल्तनत का उत्थान और पतन, उसका प्रतिरोध, विजयनगर साम्राज्य, मुगलों का शासन और सिखों का उदय जैसे विषय शामिल किए गए हैं. अध्याय 'भारत के राजनीतिक मानचित्र का पुनर्निर्माण' के अंतर्गत सल्तनत काल को राजनीतिक अस्थिरता और सैन्य हमलों से भरा हुआ बताया गया है. इसमें गाँवों और शहरों की लूट, मंदिरों और शिक्षा केंद्रों को नष्ट करने जैसे कई संदर्भ शामिल किए गए हैं.
कक्षा 8 की नई किताब में बाबर को निर्दयी विजेता
नई पुस्तक में मुग़ल और सल्तनत काल की धार्मिक असहिष्णुता और क्रूरता का उल्लेख भी प्रमुखता से किया गया है. बाबर को एक निर्दयी विजेता बताया गया है, जिसने शहरों की पूरी आबादी का कत्लेआम किया. अकबर को सहिष्णुता और क्रूरता का मिश्रण बताया गया है, जबकि औरंगज़ेब को मंदिरों और गुरुद्वारों को नष्ट करने वाला शासक कहा गया है.
7 की पुरानी पुस्तकों में इन ऐतिहासिक तथ्यों का ज़िक्र नहीं
यह उल्लेखनीय है कि कक्षा 7 की पुरानी पुस्तकों में इन ऐतिहासिक तथ्यों का ज़िक्र नहीं था. एनसीईआरटी के अनुसार, अब इस कालखंड को केवल कक्षा 8 में पढ़ाया जाएगा, जिससे छात्रों को उस समय की घटनाओं की बेहतर और संतुलित समझ मिल सके.
औरंगज़ेब को मंदिर तोड़ने वाला बताया गया
एनसीईआरटी ने यह भी स्पष्ट किया है कि इन ऐतिहासिक घटनाओं को शामिल करने के पीछे उद्देश्य इतिहास से ईमानदारी से सबक लेना है, न कि आज के किसी समुदाय या व्यक्ति को दोष देना. इसके लिए पुस्तक में एक "चेतावनी नोट" और एक "इतिहास के अंधकारमय कालखंड पर टिप्पणी" नामक खंड भी जोड़ा गया है, जिसमें कहा गया है कि अतीत की घटनाओं के लिए आज किसी को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए.
इन संशोधनों के साथ एनसीईआरटी का प्रयास है कि छात्रों को संतुलित, साक्ष्य-आधारित और व्यापक ऐतिहासिक दृष्टिकोण प्रदान किया जाए, ताकि वे एक बेहतर, सहिष्णु और समझदार नागरिक बन सकें.


