तबाह हुए घर, टूट गए सपने, सबसे बुरे सपने में बदल गई पंजाब की बाढ़
पंजाब में बाढ़ ने 23 जिलों को प्रभावित किया है. 43 लोगों की मौत और 3.84 लाख लोग प्रभावित हुए हैं. फसलों, घरों और रोज़गार पर गहरा असर पड़ा है. कई परिवार तंबुओं और अस्थायी आश्रयों में रहने को मजबूर हैं. एनडीआरएफ और सेना की टीमें राहत कार्य में जुटी हैं, लेकिन पुनर्निर्माण की चुनौती बनी हुई है.

Punjab flood 2025: 70 वर्षीय मिल्खी राम के लिए जिंदगी की जंग नई नहीं है. 1988 की भीषण बाढ़ ने उनकी आंखों की रोशनी छीन ली थी. कठिन परिस्थितियों में भी वे जीते रहे, लेकिन इस बार हालिया बाढ़ ने उनका सब कुछ छीन लिया. सात एकड़ खेत और घर बह जाने के बाद उनकी चीखें पूरे गांव में निराशा की गूंज बन गईं. उनका आठ सदस्यीय परिवार दस दिनों तक फंसा रहा और अंततः राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) ने उन्हें बचाया.
किसानों की टूटती उम्मीदें
सतलुज नदी की बाढ़ ने पंजाब के गांवों की रीढ़ मानी जाने वाली खेती को पूरी तरह से डुबो दिया. फिरोजपुर के गट्टी राजोके गांव के किसान तरसेम अब खुद को कुछ नहीं कहते हैं. बाढ़ ने उन्हें बेघर बना दिया, खेत जलमग्न हो गए और कर्ज का बोझ तीन लाख तक पहुंच गया. रिश्तेदारों द्वारा दिए गए तिरपाल के तंबू में रहते हुए वह कहते हैं कि भूत, वर्तमान और भविष्य सब नष्ट हो गया है.
खंडहर में जीते परिवार
इसी गांव की 70 वर्षीय प्यारो अपने बेटे और छह अन्य परिजनों के साथ आधे टूटे-फूटे घर में रह रही हैं. छत से लगातार पानी टपकता है और घर गिरने का डर हर पल बना रहता है. बच्चों की सुरक्षा को लेकर बहू ने उन्हें रिश्तेदारों के यहां भेज दिया है. वहीं, ज़मींदार रंजीत कौर पड़ोसी की दुकान में शरण ले चुकी हैं और कहती हैं कि बारिश ने सब कुछ तबाह कर दिया.
विकलांगों और बच्चों की पीड़ा
गांव की सुनीता के लिए हालात और कठिन हैं. उसे अपने विकलांग बेटे रोहित को हर जरूरत पर गोद में उठाना पड़ता है. स्वास्थ्य सेवाएं ठप होने से उसका दर्द और बढ़ गया है. रोहित बार-बार कहता है, "जब मां मुझे उठाती है, तो बहुत दर्द होता है." रुक्नेवाला गांव में भी परिवार दस दिनों तक बचाव टीम का इंतजार करते रहे. अब वे अस्थायी तंबुओं में रह रहे हैं. बच्चों ने दवा और सुरक्षा जैसी साधारण चीजों की गुहार लगाई है.
खेती और रोजगार पर प्रहार
हबीब गांव में किसानों पर सबसे गहरा असर पड़ा है. शिंगारा सिंह का कहना है कि उनकी 80 एकड़ की फसल डूब जाने से उन्हें लगभग 60 लाख रुपये का नुकसान हुआ है. कश्मीर कौर घर छोड़ने की पीड़ा को शब्दों में बयां नहीं कर पातीं, "दिल घर छोड़ने को तैयार नहीं था, लेकिन सब कुछ पीछे छोड़ना पड़ा." फाजिल्का के कनवा वाली गांव में हालात इतने बिगड़े कि 20 गांवों का संपर्क पूरी तरह कट गया. शेर सिंह जैसे किसान न्यूनतम साधनों पर गुज़ारा कर रहे हैं. त्वचा संक्रमण, मवेशियों और सामान की सुरक्षा उनकी नई चुनौतियां हैं.
तबाही का व्यापक असर
पंजाब के 23 जिलों में बाढ़ ने कहर बरपाया है. अब तक 43 लोगों की मौत हो चुकी है और 3.84 लाख लोग प्रभावित हुए हैं. कृषि तबाही का दायरा 1.71 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है. एनडीआरएफ, सेना, नौसेना और वायुसेना की 31 टीमें राहत और बचाव कार्य में जुटी हैं. हजारों लोग अस्थायी आश्रयों में जिंदगी बिता रहे हैं. लेकिन असली चुनौती अब उनकी टूटी ज़िंदगियों और रोज़गार को फिर से पटरी पर लाने की है.


