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धनखड़ को मिली थी महाभियोग की धमकी, स्वास्थ्य कारण सिर्फ बहाना... कल्याण बनर्जी का बड़ा दावा

टीएमसी सांसद जवाहर सरकार ने दावा किया कि उपराष्ट्रपति धनखड़ को महाभियोग की धमकी दी गई थी और पीएम मोदी के दबाव में उन्हें इस्तीफा देना पड़ा. इस बयान ने सियासी हलचल तेज कर दी है.

Utsav Singh
Edited By: Utsav Singh

तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे को लेकर एक चौंकाने वाला दावा किया है. उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वरिष्ठ कैबिनेट मंत्रियों ने धनखड़ को उनके पद से इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया. उनके अनुसार, अगर उन्होंने रात 9 बजे से पहले इस्तीफा नहीं दिया होता, तो उनके खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही शुरू की जाती. यह बयान ऐसे समय में आया है जब संसद का मॉनसून सत्र शुरू हुआ और ठीक उसके पहले धनखड़ ने अपने पद से हटने की घोषणा की.

ये हो सकते है अगले उपराष्ट्रपति ?


आपको बता दें कि कल्याण बनर्जी ने आगे दावा किया कि इस पूरी रणनीति के पीछे एक राजनीतिक योजना है, जिसके तहत केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को भारत का अगला उपराष्ट्रपति बनाए जाने की तैयारी है. उन्होंने कहा कि पहले एक चुनाव आयुक्त ने भी चुनावों से पहले इस्तीफा दे दिया था, और अब धनखड़ का जाना इस क्रम की अगली कड़ी है. इससे यह साफ़ संकेत मिलता है कि सरकार कुछ नए समीकरण तैयार कर रही है, जिससे सत्ता के समीकरणों में बदलाव किया जा सके.

‘दाल में कुछ काला’... कांग्रेस 


धनखड़ के इस्तीफे पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भी सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने कहा कि धनखड़ की तबीयत ठीक है, ऐसे में अचानक उनका इस्तीफा देना सामान्य बात नहीं है. खरगे ने कहा, “सरकार को साफ़ करना चाहिए कि उन्होंने इस्तीफा क्यों दिया. यह स्पष्ट है कि उनके फैसले के पीछे कोई गहरी साजिश है.” कांग्रेस नेता के अनुसार, धनखड़ हमेशा आरएसएस और बीजेपी की नीतियों का समर्थन करते रहे हैं, तो फिर ऐसा क्या हुआ कि उन्हें अचानक इस्तीफा देना पड़ा?

मोदी की प्रतिक्रिया ने खोला ‘राजनीतिक पहलू’?

विपक्ष के उपनेता गौरव गोगोई ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टिप्पणी पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की ‘भावनात्मक प्रतिक्रिया’ ने इस इस्तीफे की राजनीतिक पृष्ठभूमि को उजागर कर दिया है. गोगोई का मानना है कि यदि यह पूरी तरह निजी स्वास्थ्य का मामला होता, तो इतनी सियासी हलचल नहीं होती. धनखड़ ने अपने पत्र में यह जरूर लिखा कि वह अपनी स्वास्थ्य सेवा को प्राथमिकता देने और डॉक्टरों की सलाह पर ही पद से हट रहे हैं, लेकिन जिस तरह से घटनाएं घटीं, वह शक पैदा करती हैं.

धनखड़ का भावुक विदाई संदेश 

अपने इस्तीफे में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को धन्यवाद दिया और उनके सहयोग को ‘सुखद’ और ‘अद्भुत’ करार दिया. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मंत्रिपरिषद का भी आभार प्रकट किया. हालांकि उनका पत्र औपचारिक भाषा में था, लेकिन विपक्ष इसे महज ‘कवर-अप’ बता रहा है. विपक्ष का कहना है कि अगर सच में स्वास्थ्य कारण थे, तो प्रेस कॉन्फ्रेंस कर स्पष्ट किया जाना चाहिए था, न कि अचानक इस्तीफा और उसके बाद भावनात्मक पत्र जारी किया जाता.

धनखड़ का इस्तीफा अब सिर्फ एक संवैधानिक प्रक्रिया नहीं रह गया है, बल्कि एक बड़े राजनीतिक घटनाक्रम में तब्दील हो गया है. टीएमसी और कांग्रेस दोनों इसे एक प्रेशर टैक्टिक बता रहे हैं, जबकि सरकार की तरफ से अभी तक कोई स्पष्टीकरण नहीं आया है. आने वाले दिनों में यह मुद्दा संसद और मीडिया में चर्चा का केंद्र बना रहेगा.

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23 July 2025, 05:26 PM IST

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