फारूक अब्दुल्ला ने पहलगाम आतंकी हमले की निंदा की, पाकिस्तान और सुरक्षा एजेंसियों पर साधा निशाना
फारूक अब्दुल्ला ने पहलगाम आतंकी हमले की कड़ी आलोचना की. इसे सुरक्षा में लापरवाही का नतीजा बताया और क्षेत्र में अशांति फैलाने के लिए पाकिस्तान को दोषी ठहराया.

जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस (JKNC) के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले की तीखी आलोचना की है. उन्होंने हमले को सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों की विफलता करार देते हुए पाकिस्तान पर क्षेत्र को अस्थिर करने का प्रयास करने का आरोप लगाया.
फारूक अब्दुल्ला ने पत्रकारों से की बात
श्रीनगर में पत्रकारों से बात करते हुए अब्दुल्ला ने भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव पर चिंता जताई. उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच टकराव की आशंका बढ़ती जा रही है. यह ज़रूरी है कि आतंकी गतिविधियों के पीछे छिपे लोगों को बेनकाब कर कूटनीतिक समाधान तलाशा जाए.
#WATCH | #PahalgamTerrroristAttack | Srinagar | JKNC chief Farooq Abdullah says, " We don't know what will happen tomorrow. Today, two countries are getting ready for a fight. Attempts are being done to ensure this doesn't happen and a solution can be found to catch them… pic.twitter.com/daGWvEsofa
— ANI (@ANI) May 1, 2025
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हमले पर प्रतिक्रिया का समर्थन किया, लेकिन पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर की हाल की टिप्पणी को भड़काऊ बताया. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान यह नहीं देख पा रहा कि आतंकवाद भारत में खासकर मुसलमानों को कितना नुकसान पहुंचा रहा है.
दो राष्ट्र सिद्धांत
अब्दुल्ला ने कहा कि यह स्पष्ट रूप से सुरक्षा और खुफिया चूक का मामला है. पाकिस्तान यह बर्दाश्त नहीं कर पा रहा कि हमारे लोग शांति से रह रहे हैं. वह समाज में भ्रम फैलाकर नफरत की आग भड़काना चाहता है. उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ वर्षों से मुसलमानों को हाशिए पर धकेलने की कोशिशें हो रही हैं. अब पाकिस्तान की ओर से 'दो राष्ट्र सिद्धांत' को फिर से उठाया जाना आग में घी डालने जैसा है.
इसके साथ ही, उन्होंने भारत सरकार द्वारा हमले के बाद देश में रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों को देश छोड़ने के निर्देश पर भी आपत्ति जताई. उनका कहना था कि दशकों से भारत में रह रहे लोगों को केवल राष्ट्रीयता के आधार पर बाहर करना अमानवीय कदम है. ऐसे लोग जो 25-70 वर्षों से यहां बसे हैं, उन्हें एकाएक देश छोड़ने को कहना मानवता के खिलाफ है.


