1971 की युद्धभूमि से लेकर ऑपरेशन सिंदूर तक...भारतीय नौसेना की ताकत और PM मोदी का समंदर से पाकिस्तान को संदेश
PM Modi on INS Vikrant : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने INS विक्रांत पर दिवाली मनाकर पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश दिया कि भारत समुद्री शक्ति में अब पहले से अधिक सक्षम है. 1971 की तरह ही, भारतीय नौसेना की रणनीतिक पकड़ ने पाकिस्तान को एक बार फिर अपने युद्धपोत छिपाने को मजबूर किया. विक्रांत की उपस्थिति और ब्रह्मोस मिसाइलों की तैनाती ने पाकिस्तान के नौसैनिक मोर्चे पर दबाव और असुरक्षा की भावना पैदा कर दी है.

PM Modi on INS Vikrant : भारतीय नौसेना की शक्ति और उसकी रणनीतिक पकड़ एक बार फिर तब सामने आई, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिवाली का पर्व समुद्र के बीच INS विक्रांत पर तैनात जवानों के साथ मनाया. यह केवल एक प्रतीकात्मक कदम नहीं था, बल्कि पाकिस्तान के लिए एक स्पष्ट और शक्तिशाली संदेश भी था कि भारत की समुद्री सीमाएं पहले से कहीं अधिक सुरक्षित और आक्रामक रणनीति के तहत तैयार हैं. यह दिवाली, सैन्य इतिहास और कूटनीति का नया अध्याय बन गई.
1971 की याद और आधुनिक भारत की तैयारी
INS विक्रांत का डर: क्यों कांपता है पाकिस्तान?
INS विक्रांत भारत का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत है, जो न सिर्फ भारतीय नौसेना की ताकत का प्रतीक है, बल्कि रणनीतिक समुद्री वर्चस्व का भी परिचायक है. मई 2023 की घटनाओं ने दिखाया कि किस तरह पाकिस्तान ने भारतीय नौसेना की मौजूदगी से घबराकर कराची और ओरमारा के अपने पारंपरिक नौसैनिक अड्डों को खाली कर दिया था. अपने युद्धपोतों को उसने नागरिक बंदरगाहों और चीन-नियंत्रित ग्वादर पोर्ट तक भेज दिया था, क्योंकि दक्षिण में 300 नॉटिकल मील की दूरी पर INS विक्रांत के नेतृत्व में भारत का कैरियर बैटल ग्रुप सक्रिय था.
क्या होता अगर युद्ध लंबा चलता?
यदि युद्धविराम लागू नहीं होता, तो रिपोर्ट्स के अनुसार कराची बंदरगाह पर हमला लगभग तय था. INS विक्रांत के चार एस्कॉर्ट जहाजों पर तैनात ब्रह्मोस मिसाइलें हमले के लिए तैयार थीं, केवल आदेश का इंतजार था. यदि हमला होता, तो पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को तगड़ा झटका लगता. देश की 1,000 किमी लंबी समुद्री सीमा पर हमले से उसका विदेशी व्यापार रुक सकता था, तेल की आपूर्ति थम जाती और पाकिस्तान एक तरह से ‘लैंड लॉक्ड’ राष्ट्र में बदल जाता, जिसे ऊर्जा और आपूर्ति के लिए केवल ईरान, अफगानिस्तान और चीन पर निर्भर रहना पड़ता.
पाकिस्तान की भूगोलिक बाधाएं और नौसेना की कमजोरी
पाकिस्तान की सबसे बड़ी समस्या उसका सीमित समुद्री भूगोल और कमजोर नौसेना है. अरब सागर में उसकी तटीय रेखा एक संकरे कॉरिडोर की तरह है, जिससे बाहर निकलने के रास्ते सीमित हैं. इसके अलावा, भारतीय नौसेना की तुलना में पाकिस्तानी नौसेना संख्या और तकनीक दोनों में काफी पीछे है. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय वायुसेना ने कराची के पास मलिर कैंटोनमेंट में अमेरिका निर्मित रडार को नष्ट कर दिया था, जिससे पाकिस्तान की समुद्री रणनीति को बड़ा झटका लगा.
2025 में फिर वही डर: ग्वादर और पसनी की शरण
2025 की घटनाएं बता रही हैं कि पाकिस्तान एक बार फिर अपने युद्धपोतों को ग्वादर और पासनी जैसे बंदरगाहों में छिपाने को मजबूर है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष आसीम मुनीर ने अमेरिका को पसनी बंदरगाह सौंपने की कोशिश की, ताकि युद्ध के दौरान अमेरिका की उपस्थिति से भारतीय नौसेना के हमलों को रोका जा सके. वहीं, ग्वादर पहले से ही चीन के नियंत्रण में है. यानी पाकिस्तान अपने बंदरगाहों को अब दूसरे देशों की सुरक्षा में देने को मजबूर हो गया है.
मोदी की दिवाली और पाकिस्तान के लिए चेतावनी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का INS विक्रांत पर जाकर जवानों के साथ दिवाली मनाना केवल एक राष्ट्रीय भावना को मजबूत करने वाला कदम नहीं था, बल्कि पाकिस्तान को सीधे यह चेतावनी थी कि अगर उसने 1971 को भुला दिया है, तो भारत उसे फिर से याद दिलाने के लिए तैयार है. पीएम मोदी ने INS विक्रांत के नाम को ही दुश्मन के मनोबल को तोड़ने वाला बताया, और यह बात केवल भाषण नहीं, बल्कि रणनीतिक सच्चाई बनकर उभरी है.
यह स्पष्ट है कि भारत अब सिर्फ जवाब नहीं देता, बल्कि पहले से तैयार रहता है. नौसेना की ताकत, रणनीतिक सोच और राजनीतिक नेतृत्व की स्पष्टता ने पाकिस्तान को फिर सोचने पर मजबूर कर दिया है कि युद्ध केवल ज़मीन पर नहीं, समुद्र से भी जीता और हारा जा सकता है.


