पुराने स्कूटर से लेकर कार का नंबर '1206'... विजय रुपाणी का लकी नंबर कैसे बना उनके लिए सबसे अनलकी?
गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी का लकी नंबर '1206' एक क्रूर इत्तेफाक बन गया, जब वो 12 जून, 2025 को एअर इंडिया फ्लाइट AI-171 के दुर्घटनाग्रस्त होने के कारण अपनी जान गंवा बैठे.

गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी के लिए 1206 एक लकी नंबर था. उनके स्कूटर से लेकर कार तक की नंबर प्लेट पर ये अंक हमेशा रहता था और वे इसे अपने लिए एक सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत मानते थे. लेकिन 12 जून, 2025 को ये नंबर एक क्रूर इत्तेफाक बन गया, जब वो अहमदाबाद से लंदन जा रही एअर इंडिया की फ्लाइट AI-171 में सवार थे और विमान के उड़ान भरने के कुछ ही मिनटों बाद ये बड़ा हादसा हो गया. इस दर्दनाक हादसे में विजय रूपाणी सहित 240 अन्य लोगों की भी जान चली गई, जबकि एक व्यक्ति किसी तरह बच गया.
ये हादसा अहमदाबाद के मेघाणी इलाके में हुआ, जिससे ना केवल विमान सवार बल्कि स्थानीय लोग भी अपनी जान से हाथ धो बैठे. विजय रूपाणी के निधन से पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है और उनके योगदान को लेकर सियासी और सामाजिक मंचों से श्रद्धांजलि अर्पित की जा रही है.
12 जून को क्यों स्थगित की थी यात्रा?
पंजाब भाजपा प्रमुख सुनील जाखड़ ने इस हादसे पर दुख प्रकट करते हुए बताया कि विजय रूपाणी को अपनी पत्नी के साथ 5 जून को लंदन जाना था, लेकिन लुधियाना पश्चिम उपचुनाव प्रचार के कारण उन्होंने अपनी यात्रा 12 जून तक स्थगित कर दी. सुनील जाखड़ ने कहा कि ये बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है. नियति और भाग्य ने ऐसा खेल खेला कि वो मुसीबत में फंस गए. विजय रूपाणी अपनी पत्नी और बेटी से मिलने लंदन जा रहे थे, लेकिन वो कभी नहीं पहुंचे.
राजकोट में शोक की लहर
राजकोट, जहां विजय रूपाणी का घर था और जहां उन्होंने मुख्यमंत्री रहते कई महत्वपूर्ण विकास कार्य किए, उनके निधन से पूरी तरह से सन्नाटे में डूब गया है. राजकोट निवासी संजय मेहता ने कहा कि विजय रूपाणी एक बड़े नेता थे, लेकिन इसके बावजूद वो हमेशा आम इंसान की तरह रहते थे. वो दयालु थे और उन्हें हम 'विजयभाई' कहते थे. उनके निधन की खबर फैलते ही हर गली में शोक की लहर दौड़ गई और सभी राजनीतिक दलों के नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की.
विजय रूपाणी का संघर्षपूर्ण जीवन
विजय रूपाणी का जन्म 2 अगस्त, 1956 को म्यांमार (तत्कालीन बर्मा) के यंगून शहर में एक जैन परिवार में हुआ था. 1960 में राजनीतिक अस्थिरता के कारण उनका परिवार भारत के राजकोट में आकर बस गया. कॉलेज के दिनों से ही उनका राजनीति में रुचि थी और वे छात्र राजनीति में सक्रिय रहे. बाद में वो भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से जुड़ गए. वो 2016 से 2021 तक गुजरात के मुख्यमंत्री रहे और इस दौरान उन्होंने कई अहम बुनियादी परियोजनाओं को पूरा किया. उनके योगदान को लोग हमेशा याद करेंगे.


