भारत और कनाडा में गहरे संबंधों का संकल्प, 2030 तक 50 अरब डॉलर का व्यापार लक्ष्य
प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि 2030 तक भारत-कनाडा द्विपक्षीय व्यापार को 50 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.

जोहान्सबर्ग में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन भारत के लिए बहुपक्षीय सहयोग को मजबूत करने का एक बड़ा मंच साबित हुआ. रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कनाडाई प्रधानमंत्री मार्क कार्नी, इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी, जापान की प्रधानमंत्री साने ताकाइची और दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा से हुई बैठकों में व्यापार, निवेश, तकनीक और वैश्विक मुद्दों पर महत्वपूर्ण सहमतियां बनीं.
प्रधानमंत्री मोदी ने कनाडा संग लक्ष्य किया निर्धारित
कनाडा के साथ हुई बैठक में दोनों देशों ने रिश्तों को नई गति देने पर सहमति जताई. प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि 2030 तक भारत-कनाडा द्विपक्षीय व्यापार को 50 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जबकि वर्तमान व्यापार लगभग 30 अरब डॉलर के आसपास है. दोनों नेताओं ने ऊर्जा, शिक्षा, नवाचार और प्रौद्योगिकी में सहयोग बढ़ाने पर भी ज़ोर दिया. साथ ही मोदी ने कहा कि कनाडाई पेंशन फंड भारत की कंपनियों में गहरी रुचि दिखा रहे हैं, जिससे निवेश संबंध और मजबूत होने का संकेत मिलता है.
वहीं इटली के साथ भारत ने आतंकवाद के वित्तपोषण के खिलाफ संयुक्त पहल शुरू करने पर सहमति जताई. बातचीत के दौरान रक्षा सहयोग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, अंतरिक्ष, नवाचार और उच्च शिक्षा जैसे क्षेत्रों में साझेदारी को आगे बढ़ाने पर भी चर्चा हुई. विदेश मंत्रालय ने बताया कि यह नई पहल एफएटीएफ और जीसीटीएफ जैसे वैश्विक मंचों पर आतंकवाद के वित्तपोषण के खिलाफ दोनों देशों के संयुक्त प्रयासों को और मजबूत करेगी. मेलोनी ने दिल्ली में हुई आतंकवादी घटना पर भारत के प्रति सहानुभूति जताई और आतंकवाद के खिलाफ मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता दोहराई.
इतना ही नहीं, प्रधानमंत्री मोदी और जापानी पीएम ताकाइची के बीच हुई बातचीत में एआई, सेमीकंडक्टर, रक्षा, खनिज और प्रतिभा गतिशीलता पर सहयोग को तेज करने पर सहमति बनी. मोदी ने कहा कि भारत-जापान की विशेष रणनीतिक साझेदारी साझा मूल्यों और विश्वास पर आधारित है, जो वैश्विक स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है.
वैश्विक दक्षिण की आवाज़ को मजबूत करने पर जोर
दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति रामफोसा के साथ बैठक में दोनों देशों ने वैश्विक दक्षिण की आवाज़ को मजबूत करने पर ज़ोर दिया. साथ ही व्यापार, निवेश, खनन, युवा आदान-प्रदान, कौशल विकास और कृषि के क्षेत्रों में प्रगति की समीक्षा की गई. नेताओं ने डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर, महत्वपूर्ण खनिज और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में नई संभावनाओं पर चर्चा की.
शिखर सम्मेलन में अपनाए गए घोषणापत्र में भारत की प्राथमिकताओं- आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक अभियान, जलवायु वित्त और विकासशील देशों की चिंताओं को प्रमुखता से शामिल किया गया. सम्मेलन का घोषणापत्र वार्ता की शुरुआत में ही सर्वसम्मति से स्वीकृत हुआ, जो वैश्विक दक्षिण के लिए भारत के प्रयासों की सफलता को दर्शाता है.


